नैरोबी मक्खी क्या है? यह कितनी खतरनाक है? इसके हमले से बचाव के उपाय?

|| नैरोबी मक्खी क्या है? यह कहां से आई है? इसके हमले से बचाव के उपाय? (What is Nairobi makhi? Where it has come from? Precautions to get away from the attack of it?) ||

अभी तक भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस से बचाव के तरीकों से ही जूझ रही है। इस बीच नैरोबी मक्खी (Nairobi makhi) ने भी आतंक मचाना शुरू कर दिया है। भारत के सीमावर्ती इलाकों में इन दिनों केवल इसी मक्खी का नाम सुनाई दे रहा है।

बगैर काटे भी यह मक्खी लोगों की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा बनी हुई है। आज इस पोस्ट में हम आपको नैरोबी मक्खी (Nairobi makhi) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं –

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नैरोबी मक्खी क्या है? (What is Nairobi makhi?)

दोस्तों, सबसे पहले नैरोबी मक्खी (Nairobi makhi) के बारे में जान लेते हैं। आपको बता दें कि यह मक्खी मूल रूप से पूर्वी अफ्रीका (East Africa) से आती है। इसे केन्याई मक्खी (Kenyan fly), एसिड फ्लाई (acid fly) अथवा ड्रैगन बग (dragon bug) भी पुकारा जाता है। मूल रूप से यह मक्खी/कीड़ा अधिक वर्षा वाले, गर्म एवं आर्द्रता वाले इलाकों में मुख्य रूप से पाई जाती है। इसका रंग काला एवं लाल होता हैं। यह देखने में चींटी जितनी छोटी एवं उडने वाली जीव है।

अमूमन इसकी लंबाई 6 मिलीमीटर से लेकर 10 मिलीमीटर तक होती है। वहीं, इसकी चौड़ाई की बात करें तो वह लगभग 0.5 से लेकर 1.0 मिलीमीटर तक होती है। दोस्तों, खास बात यह है कि यह फ्लोरेसेंट रोशनी (florescent light) से आकर्षित होती है।

नैरोबी मक्खी क्या है? यह कहां से आई है? इसके हमले से बचाव के उपाय?

क्या नैरोबी मक्खी खतरनाक है? (Is Nairobi makhi dangerous?)

दोस्तों, आपको बता दें कि इन दिनों नैरोबी मक्खी का आतंक मचा हुआ है। यह बेहद खतरनाक हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, यदि यह आंखों पर बैठ जाए तो आंखों की रोशनी तक जा सकती है। दोस्तों, विशेष बात यह है कि नैरोबी मक्खी किसी इंसान को काटती नहीं और न ही यह डंक मारती है, लेकिन यह किसी भी व्यक्ति की त्वचा (skin) पर चिपक जाती है।

ऐसे में यदि संबंधित व्यक्ति उसे छूता अथवा मसलता है तो वह जिस स्थान पर वैठी होती है, वहां वह पेडरिन (pedrin) नाम का एसिड (acid) जैसा जहरीला (poisonous) पदार्थ स्रावित करती है। आपको बता दें दोस्तों कि यह एक हानिकारक रसायन (harmful chemical) है, जो त्वचा के संपर्क में आने पर संबंधित स्थान पर जलन पैदा करता है।

व्यक्ति की त्वचा पर तेज खुजली होती है। महज 24 से 48 घंटे के भीतर पीले रंग के पदार्थ से भरे फफोले बन जाते हैं। किसी किसी की त्वचा पर लाल चकत्ते व घाव भी बन जाते हैं।

यह मक्खी भारत कैसे पहुंची? (How did this fly reached india?)

मित्रों, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नैरोबी मक्खी (Nairobi makhi) करीब सात हजार किलोमीटर की दूरी तय कर भारत पहुंची है। यहां उसने लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि यह करीब 14 किलोमीटर प्रतिदिन की औसत से उडान भरती है। सिक्किम (Sikkim) एवं उत्तरी बंगाल (North Bengal) के पश्चात फिलहाल बिहार (Bihar) में इसका प्रकोप खास तौर पर देखने को मिल रहा है।

सिक्किम की हालत तो यह थी कि वहां एक इंजीनियरिंग कालेज के 100 के लगभग छात्रों को नैरोबी मक्खी के संपर्क में आने से त्वचा के गंभीर संक्रमण (serious skin infection) का सामना करना पड़ा। यहां तक कि एक छात्र के हाथ की सर्जरी (surgery) करने की नौबत तक आ गई।

यद्यपि बिहार की बात करें तो अभी तक इस राज्य में इन मक्खियों के लोगों एवं जानवरों आदि पर प्रभाव को लेकर कोई अध्ययन (study) नहीं किया गया है। चिंताजनक बात यह है कि इस मक्खी के देश के दूसरे राज्यों में फैलने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है।

नैरोबी मक्खी नए क्षेत्रों में क्यों जा रही है? (Why Nairobi makhi is flying to new areas?)

साथियों, आपको जानकारी दे दें कि नैरोबी मक्खी (Nairobi makhi) लगातार नए क्षेत्रों (new areas) में प्रवेश कर रही है। इसकी वजह यह है कि उन्हें प्रजनन (reproduction) के अनुकूल माहौल चाहिए व दूसरी बात यह कि उन्हें पर्याप्त खाद्य आपूर्ति (food supply) की तलाश रहती है, जिसकी वजह से वे नए नए क्षेत्रों में धावा बोलती हैं।

अभी वे बंगाल (Bengal) के रास्ते बिहार (Bihar) में पहुंची हैं। वहां विभिन्न ब्लाकों में इन मक्खियों का प्रकोप चल रहा है। इसके बाद उनके नए क्षेत्रों में जाने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।

नैरोबी मक्खी से बचाव कैसे किया जा सकता है? (How one can get away from the mal effect of Nairobi makhi?)

अब हम आपको जानकारी देंगे कि आप नैरोबी मक्खी से बचाव कैसे कर सकते हैं। मित्रों, त्वचा पर होने वाले किसी भी प्रकार के संक्रमण (infection), दानों इत्यादि को हल्के में कतई न लें। तुरंत डाक्टर (doctor) से संपर्क करें। इसके अतिरिक्त घर में आप इस मक्खी से अपनी त्वचा की रक्षा के लिए यह कदम उठा सकते हैं-

  • यदि मक्खी आपके शरीर की त्वचा पर बैठे तो उसे छुएं अथवा मसलें नहीं। केवल फूंक मारकर उड़ा दें।
  • यदि मक्खी आपके शरीर की त्वचा पर चिपक गई हो तो उस स्थान को बार बार ठंडे पानी से धोएं।
  • यदि मक्खी आपके शरीर की त्वचा से चिपक जाए तो उस स्थान को साबुन से अच्छी तरह धोकर मल्हम भी लगा सकते हैं।
  • मक्खी के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए एंटी एलर्जिक दवाओं का इस्तेमाल करें।
  • हम आपको बता चुके हैं कि यह फ्लोरेसेंट रोशनी की ओर आकर्षित होती है, लिहाजा घर में मंद रोशनी (dim light) का इस्तेमाल करें।
  • शाम को बाहर जाने से बचें एवं पूरी बाजू के कपड़े पहनें।
  • यदि आंगन मेें सो रहे हैं तो मच्छरदानी आदि का उपयोग करें।

नैरोबी मक्खी से बचने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं? (What steps are taken by the government to become safe from Nairobi makhi?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि नैरोबी मक्खी को लेकर सरकार के स्वास्थ्य विभाग (health department) की ओर से भी चिंता जताई गई है। जिन राज्यों में नैरोबी मक्खी का प्रकोप है, वहां की सरकार द्वारा जनता के लिए एडवाइजरी (advisory) जारी की गई है। इसमें उन्हें नैरोबी मक्खी (Nairobi makhi) के हमले से बचाव के उपाय बताए गए हैं, ताकि मक्खी के हमले से उन पर कोई प्रभाव न पड़े। जिस प्रकार हादसों के बारे में कहा जाता है कि सावधानी ही बचाव है।

उसी प्रकार नैरोबी मक्खी के हमले के बारे में भी यही कहा जा सकता है कि, सावधानी ही बचाव है। एक राज्य में उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकर दूसरे राज्यों के लोग भी नैरोबी मक्खी के हमले को लेकर सावधान एवं सतर्क हो सकते हैं। इस मक्खी को लेकर जन जागरूकता फैलाने पर अधिक जोर है। लोग जितने जागरूक होंगे, वे उतने ही इस नैरोबी मक्खी के हमले से दूर रह सकेंगे।

इन दिनों वायरस, मक्खियां ही क्यों बन रहे रोगों की वजह? (Why these days viruses and flies are becoming the reason of illness?)

दोस्तों, एक सवाल आपके मन में अवश्य आ रहा होगा कि आखिर इन दिनों वायरस एवं मक्खियां ही रोगों की मुख्य वजह बन रहे हैं? यह आप सोच सकते हैं। इसकी एक मुख्य वजह बरसात के मौसम को माना जा सकता हैं। जैसे-हमने आपको बताया कि नैरोबी मक्खी अधिक वर्षा, गर्मी एवं आर्द्रता वाले क्षेत्रों में पाई जाती है।

वहीं, इसका प्रकोप ज्यादा होता है। इसी प्रकार कुछ दिनों पूर्व कई स्थानों पर एंथ्रेक्स (anthrax) रोग फैलने की भी सूचनाएं विभिन्न राज्यों से मिली थीं। यह भी बैक्टीरिया (bacteria) जनित रोग है, जो वनस्पतिभोजी जंतुओं एवं खास तौर पर भेड़, बकरी, घोड़ा, खच्चर आदि में आम तौर पर देखने को मिलता हैं। जिन बैक्टीरिया के कारण यह होता है, उसका नाम बेसिलस एंथ्रासिस (bacillus anthracis) है।

नैरोबी मक्खी क्या होती है?

यह मूल रूप से पूर्वी अफ्रीका की मक्खी है, जो काले व लाल रंग की है। यह त्वचा के संपर्क में आकर उसे संक्रमण का शिकार बनाती है।

क्या नैरोबी मक्खी खतरनाक होती है?

जी हां, यह खतरनाक होती है। यदि नैरोबी मक्खी आंख पर चिपक जाए तो आंखों की रोशनी तक जा सकती है।

नैरोबी मक्खी के त्वचा के संपर्क में आने से क्या नुकसान होता है?

इससे त्वचा पर तेज खुजली, लाल चकत्ते व घाव बन जाते हैं।

क्या नैरोबी मक्खी काटती है?

जी नहीं, यह मक्खी काटने अथवा डंक मारने वाली नहीं है। यह त्चचा पर चिपक जाती है।

मक्खी के त्वचा पर चिपकने पर यदि उसे छुआ या मसला जाए तो कौन सा जहरीला पदार्थ निकलता है?

मक्खी त्वचा पर जिस जगह चिपक जाती है, वहां उसे मसलने पर वह पेडरिन नाम का जहरीला पदार्थ छोड़ती है। इससे त्वचा पर फफोले पड़ जाते हैं।

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नैरोबी मक्खी से बचाव के क्या उपाय हैं?

इन उपायों की जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है, आप वहां से पढ़ सकते हैं।

इन दिनों भारत के किस राज्य में नैरोबी मक्खी का आतंक है?

इन दिनों भारत के बिहार राज्य में नैरोबी मक्खी का आतंक है।

नैरोबी मक्खी प्रभावित इलाकों में घरों में मंद रोशनी रखने को क्यों कहा जाता है?

ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि नैरोबी मक्खी फ्लोरेसेंट रोशनी की ओर तुरंत आकर्षित होती है।

देश में नैरोबी मक्खी के हमले की पहली पुष्टि कब हुई?

सिक्किम के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों पर इस मक्खी के हमले के बाद पहली बार देश में नैरोबी मक्खी की आमद की पुष्टि हुई।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में नैरोबी मक्खी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि नैरोबी मक्खी के बारे में जानकर आपको इसके प्रभाव से बचने में सहायता मिलेगी। यदि आपका इस पोस्ट को लेकर कोई सवाल है तो उसे नीचे दिए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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