मूनलाइटिंग क्या होती है? कंपनियां इसे अनैतिक क्यों मानती हैं? इन दिनों मूनलाइटिंग चर्चा में क्यों है?

मूनलाइटिंग क्या होती है? [What is Moonlighting?] कंपनियां इसे अनैतिक क्यों मानती हैं? [Why do companies consider it unethical?] इन दिनों मूनलाइटिंग चर्चा में क्यों है? [Why is moonlighting in the news these days?]

जब भी आप किसी कंपनी में काम करते हैं तो आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि आप किसी दूसरी कंपनी को अपनी सेवाएं नहीं देंगे। कई कंपनियां इस बाबत कर्मचारियों के जॉब/कांट्रेक्ट लेटर में स्पष्ट रूप से उल्लेख भी करती हैं। इससे कर्मचारी शर्तों से बंध जाता है।

लेकिन कई बार देखने में आता है कि कंपनियां कर्मचारी पर मूनलाइटिंग (moonlighting) का आरोप लगाती हैं। उन पर कार्रवाई करती हैं। कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। यह मून लाइटिंग क्या होती है? ज्यादातर कंपनियां मून लाइटिंग को अनैतिक क्यों मानती हैं? इन दिनों मूनलाइटिंग चर्चा में क्यों है?, जैसे आपके कई सवालों का जवाब आज हम इस पोस्ट में देने का प्रयास करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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मूनलाइटिंग क्या होती है? (What is moonlighting?)

दोस्तों, सबसे पहले बात करते हैं कि मूनलाइटिंग क्या होती है? (What is moonlighting?) आपको बता दें कि यह कैंडल लाइट जैसी कोई चीज नहीं है, जैसा कि इसके नाम से लगता है। लोग इसके नाम से चकरा जाते हैं। यह दरअसल एक टर्म (term) है, जो तब इस्तेमाल की जाती है, जब किसी कंपनी के कर्मचारी अपने तय समय के बाद किसी दूसरी कंपनी के लिए भी कार्य करते हैं।

अधिकांश कंपनियां मूनलाइटिंग (moonlighting) को पसंद नहीं करतीं और इसे अनैतिक मानती हैं। क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है कि कर्मचारी प्रतिद्वंद्वी कंपनी (rival company) के लिए काम करते हैं, जिससे कंपनी को नुकसान होता है।

हाल ही में मूनलाइटिंग क्यों चर्चा में आई? (Why moonlighting came in to light recently?)

दोस्तों, आपको शायद जानकारी होगी कि आईटी क्षेत्र (IT field) की बड़ी कंपनी विप्रो (Wipro) ने हाल ही में अपने 300 कर्मचारियों पर मूनलाइटिंग का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया।

इसके बाद से हर जगह, हर कंपनी, हर कर्मचारी की जुबान पर मूनलाइटिंग का नाम है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर यह मूनलाइटिंग क्या होती है, जिसकी वजह से विप्रो के कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

मूनलाइटिंग क्या होती है? कंपनियां इसे अनैतिक क्यों मानती हैं? इन दिनों मूनलाइटिंग चर्चा में क्यों है?

मूनलाइटिंग में बढ़ोत्तरी का ट्रेंड कब देखने को मिली? (When the trend of increase seen in moonlighting?)

दोस्तों, आपको बता दें कि भारत में इससे पूर्व मूनलाइटिंग (moonlighting) शब्द बहुत अधिक चलन में नहीं देखा गया है। आखिर इस मूनलाइटिंग के ट्रेंड में बढ़ोत्तरी कब देखने को मिली? दोस्तों, आपको ध्यान होगा कि कुछ समय पूर्व कोरोना (corona) नामक महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया था। भारत भी इसका अपवाद नहीं था।

ढेरों कर्मचारियों ने इसकी वजह से अपनी नौकरी खो दी थी। कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कह दिया था। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम (work from home) के दौरान नौकरी के घंटे पूरे होने के बाद कर्मचारियों में अन्य कंपनियों के लिए काम करने की भी प्रवृत्ति देखने को मिली। यह ट्रेंड समय के साथ बढ़ गया है। इसी का नतीजा विप्रो के कर्मचारियों के साथ हुई कार्रवाई के रूप में सामने आया है।

कंपनियां मूनलाइटिंग के पक्ष में क्यों नहीं हैं? (Why the companies are not in the favour of moonlighting?)

अब आप यह सोच रहे होंगे कि यदि कोई कर्मचारी कार्य के नियत घंटों के बाद किसी अन्य कंपनी के लिए काम कर रहा है तो इसमें बुराई क्या है? लेकिन दोस्तों ज्यादातर कंपनियां इस नजरिए से नहीं सोचतीं। वे इसे अनैतिक (immoral) मानती हैं। दरअसल, जब वे किसी कर्मचारी को काम पर रखती हैं तो उनसे फुलटाइम अपने लिए श्रम की अपेक्षा रखती हैं।

क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि कर्मचारी दो जगह काम करेगा तो इससे उसे दिए गए दायित्व पर असर पड़ेगा। उसके काम में क्वालिटी नहीं रहेगी। किसी फ्री लांसर या कांट्रेक्ट पर काम कर रहे कर्मचारी से भी उनकी यही अपेक्षा रहती है कि वे कांट्रेक्ट की अवधि के दौरान किसी अन्य कंपनी अथवा नियोक्ता के लिए काम नहीं करेंगे।

इससे कर्मचारी की निष्ठा कंपनी के लिए ही बनी रहेगी। जब वे इसमें कमी देखती हैं तो निश्चित रूप से ऐसे कर्मचारी को कंपनी के लिए नुकसानदेह मानती हैं। लिहाजा, वे मूनलाइटिंग करने वाले कर्मचारी के खिलाफ एक्शन लेने में समय नहीं लगातीं।

विप्रो वाले मामले में कर्मचारियों की मूनलाइटिंग कैसे पकड़ी गई? (How the employees of Wipro caught for moonlighting?)

मित्रों, अब आपके दिमाग में यह सवाल अवश्य आ रहा हो कि विप्रो वाले मामले में कर्मचारियों की मूनलाइटिंग कैसे पकड़ी गई? आपको बता दें दोस्तों उनकी यह चोरी सालाना आडिटिंग (annual auditing) के वक्त पकड़ी गई।

दरअसल, विप्रो कंपनी के कर्मचारियों एवं वेंडर्स की सालाना आडिटिंग के समय नियोक्ता के पोर्टल (employer’s portal) से उनके यूएएन (UAN) यानी यूनिवर्सल एकाउंट नंबर (universal account number) एक्सेस (access) किए गए। यहां ईपीएफओ (EPFO) की वेबसाइट (website) से यह पता लगा कि ये कर्मचारी विप्रो के अलावा किसी दूसरी कंपनी के लिए भी काम कर रहे हैं।

क्या भारत में मूनलाइटिंग पर प्रतिबंध है? (Is moonlighting restricted in India?)

दोस्तों, विप्रो के मामले से आपके दिमाग में यह प्रश्न अवश्य आ रहा होगा कि क्या भारत में मूनलाइटिंग पर प्रतिबंध है? तो आपको बता दें कि हमारे देश में मूनलाइटिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं है। लेकिन यह जरूर है कि यदि किसी कर्मचारी के कांट्रेक्ट में एक साथ दो नौकरी न कर पाने की बात स्पष्ट रूप से लिखी है तो कंपनी अनुबंध के उल्लंघन के लिए दंडस्वरूप कर्मचारी को सेवा से बाहर कर सकती है। यहां कांट्रेक्ट (contract) ही मायने रखता है।

दरअसल, कांट्रेक्ट का अर्थ ही यह होता है कि कर्मचारी कंपनी की ओर से काम के अतिरिक्त आराम के लिए दिए गए समय के दौरान प्रतिस्पर्धियों के साथ काम न कर सके। अमूमन यह एक निहित शर्त भी मानी जाती है, जिसे कई बार लिखित न होने पर भी समझ लिया जाता है। यहां एक और बात स्पष्ट कर दें कि भारत में कारखाना अधिनियम यानी फैक्ट्री एक्ट (factory act), 1948 की धारा 60 में श्रमिकों (workmen) के दोहरे रोजगार पर रोक लगाई गई है।

लेकिन यह एक ऐसी टर्म है, जिसमें मैनेजर/एडमिनिस्ट्रेटिव/ सुपरवाइजरी वर्क करने वालों को छोड़कर सभी श्रमिक हैं। ऐसे में आईटी कर्मचारियों के लिए श्रमिक शब्द इस्तेमाल होगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं। इस आधार पर आईटी कर्मचारियों के लिए मूनलाइटिंग को जायज ठहराया जा सकता है।

कर्मचारी के लिए मूनलाइटिंग के फायदे क्या हैं? (What are the advantages of moonlighting for an employee?)

मित्रों, अब हम आपको कर्मचारी के लिए मूनलाइटिंग के फायदे व नुकसान के बारे में जानकारी देंगे, पहले बात लाभ की, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • कर्मचारी के लिए आय में बढ़ोत्तरी का जरिया।
  • अपने स्किल्स को मांजने का तरीका।
  • एक जगह से नौकरी छूटने पर रोजगार का संकट न रहना।
  • बेहतर जीवनशैली विकसित करने में कामयाबी।

कर्मचारी के लिए मूनलाइटिंग के नुकसान क्या हैं? (What are the disadvantages of moonlighting for an employee?)

यदि बात मूनलाइटिंग के नुकसान की करें तो वे इस प्रकार से हैं-

  • अधिकांश कंपनियां इसे अनैतिक करार देती हैं।
  • कंपनी द्वारा प्रदत्त रोजगार पर कभी भी आंच आ सकती है।
  • दो जगह कार्य करने से कई बार काम की क्वालिटी में अंतर आता है।
  • आपको भरोसेमंद कर्मचारी नहीं माना जाता।
  • अधिक काम के चलते सेहत से समझौता करना पड़ता है।
  • कई बार व्यक्तिगत जिंदगी, रिश्तों में नुकसान झेलना पड़ता है।

मूनलाइटिंग में कार्रवाई होने पर कर्मचारियों के पास क्या विकल्प रहता है? (What option an employee has, if action is taken against him?)

साथियों, यदि आपके अथवा आपके किसी साथी पर कंपनी ने मूनलाइटिंग में कार्रवाई की है तो अब हम आपको बताएंगे कि ऐसे में आपके पास क्या विकल्प रहता है। दोस्तों, यदि कर्मचारी को लगता है कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे कंपनी के कांट्रेक्ट का उल्लंघन होता है तो ऐसे में वह कानूनी (legal) लड़ाई लड़ सकता है।

इस दौरान उसे यह बात मनवानी होगी कि उसके कांट्रेक्ट के जरिए कंपनी ने उसे कंपनी के बाहर कहीं रोजगार की तलाश करने से स्पष्ट रूप से नहीं रोका है। कोई कर्मचारी अपनी नौकरी से बाहर अपना व्यक्तिगत कार्य (personal work) करने का दावा कर सकता है। इस प्रकार वह मूनलाइटिंग के दायरे में नहीं आएगा। इसके अतिरिक्त जिस कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है, वह इसे मनमाना, अवैध अथवा अनुचित श्रम व्यवहार बताकर भी अपने बकाया वेतन एवं बहाली की मांग कर सकता है।

मूनलाइटिंग पर सरकार का क्या रूख है? (What is government’s outlook on moonlighting?)

आइए, दोस्तों अब मूनलाइटिंग पर सरकार का रूख भी देख लेते हैं। आपको बता दें कि कुछ ही समय पूर्व हमारे देश के आईटी राज्यमंत्री (state minister for IT) राजीव चंद्रशेखर (Rajeev chandrashekhar) ने मूनलाइटिंग का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि यदि कोई युवा अपनी स्किल का इस्तेमाल करके एक साथ कई काम करना चाहता है तो उसे दबाया नहीं जाना चाहिए। यह युवा के आत्मविश्वास (self confidence) को दर्शाता है।

यद्यपि उन्होंने यह बात भी जोड़ी थी कि फ्रीलांसिंग कभी भी कंपनी में संबंधित व्यक्ति के दायित्व की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। लेकिन यदि पूरी तरह से देखा जाए तो वे मूनलाइटिंग के पक्ष में ही खड़े नजर आए।

मूनलाइटिंग क्या होती है?

मूनलाइटिंग किसी कंपनी के कर्मचारी द्वारा अपनी नौकरी के घंटे पूरे करने के पश्चात किसी दूसरी कंपनी के लिए कार्य को कहा जाता है।

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हाल ही में कौन सी कंपनी मूनलाइटिंग के खिलाफ कार्रवाई को लेकर चर्चा में आई है?

हाल ही में विप्रो कंपनी मूनलाइटिंग के आरोप में अपने 300 कर्मचारियों को बर्खास्त करने को लेकर चर्चा में रही है।

मूनलाइटिंग के ट्रेंड में कब से बढ़ोत्तरी देखने को मिली है?

कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम कल्चर के बढ़ने से मूनलाइटिंग के ट्रेंड में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।

क्या भारत में मूनलाइटिंग पर प्रतिबंध है?

जी नहीं, हमारे देश में मूनलाइटिंग को प्रतिबंध के दायरे में नहीं रखा गया है।

मूनलाइटिंग में कार्रवाई होने पर कर्मचारी के पास क्या विकल्प रहता है?

मूनलाइटिंग के आरोप में कार्रवाई होने पर संबंधित कर्मचारी के पास नियोक्ता के खिलाफ कानूनी लड़ाई का अधिकार होता है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको मूनलाइटिंग क्या है? कंपनियां मूनलाइटिंग को अनैतिक क्यों मानती हैं? इन दिनों यह शब्द चर्चा में क्यों है? आदि के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप इसी प्रकार की जानकारीवर्धक पोस्ट हमसे चाहते हैं तो हम तक अपनी बात नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके पहुंचा सकते हैं। धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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