स्ट्रीट हैरेसमेंट क्या है? नियम कानून दंड प्रावधान 2023

शायद ही कोई ऐसी महिला हो, जिसका कभी न कभी सड़क पर उत्पीड़न यानी स्ट्रीट हैरेसमेंट (street harrasment) न हुआ हो। देश में स्ट्रीट हैरेसमेंट के आंकड़े इस अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता हुआ बताते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में महिलाएं इन्हें इग्नोर (ignore) करके आगे बढ़ जाती हैं।

जिन मामलों में बात हद से गुजर जाती है, उसी में वे अपने परिवार को इन्वाल्व (involve) करना अथवा थाने में शिकायत करने की जहमत उठाती हैं। जबकि कानून में महिलाओं को स्ट्रीट हैरेसमेंट से बचाने के लिए प्रावधान किया गया है। आज इस पोस्ट में हम आपको स्ट्रीट हैरेसमेंट एवं इसके लिए किए गए प्रावधानों के विषय में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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स्ट्रीट हैरेसमेंट क्या है? [What is Street Harassment?]

स्ट्रीट हैरेसमेंट से तात्पर्य सड़कों, शाॅपिंग माॅल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट (public transport) आदि जगहों पर उत्पीड़न से है। इसमें महिलाओं से छेड़छाड़, उनके प्रति भद्दे इशारे, अश्लील फब्तियां कसना, उनका पीछा करना, अजनबियों द्वारा अनचाहा स्पर्श, लैंगिक टिप्पणी आदि को शामिल किया गया है।

हालांकि यह उत्पीड़न महिलाओं एवं पुरूषों दोनों का हो सकता है, लेकिन स्ट्रीट हैरेसमेंट के सौ में से 98 मामले महिलाओं से ही संबंधित होते हैं।

स्ट्रीट हैरेसमेंट को लेकर आईपीसी (IPC) क्या कहता है

दोस्तों, आपको बता दें कि इंडियन पीनल कोड (indian penal code) यानी आईपीसी (IPC) के तहत स्ट्रीट हैरेसमेंट को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन ऐसी स्थिति से महिलाओं को बचाने का प्रावधान अवश्य किया गया है।

यानी महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए ऐसा करने वालों के लिए खिलाफ दंड (punishment) का प्रावधान किया गया है।

स्ट्रीट हैरेसमेंट के लिए किन धाराओं में दंड का प्रावधान है

साथियों, आपको बता दें कि आईपीसी (IPC) में स्ट्रीट हैरेसमेंट (street harrasment) के लिए धारा (section) 294 एवं 509 के तहत दंड का प्रावधान किया गया है। किसी भी उम्र की महिला के प्रति अपमानजनक टिप्पणी अथवा भद्दे इशारे करने के लिए किसी व्यक्ति अथवा समूह को इन धाराओं के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है।

मसलन सार्वजनिक स्थान (public place) पर किसी महिला को टारगेट करते हुए अश्लील गाने गाना भी यौन हिंसा के दायरे में आता है। आईपीसी की धारा 294 में इसके तहत तीन महीने की सजा मुकर्रर की गई है। वहीं, महिलाओं के खिलाफ किसी भी पब्लिक प्लेस पर किसी तरह का सेक्सुअल रिमार्क (sexual remark) करना भी अपराध है।

स्ट्रीट हैरेसमेंट क्या है? नियम कानून दंड प्रावधान 2023

इसके लिए धारा 509 के तहत तीन साल का कारावास अथवा जुर्माने का दंड मिल सकता है। अथवा दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं। आपको बता दें कि एक महिला की इज्जत खराब करने के इरादे से उसके खिलाफ अपमानजनक शब्द निकालने, भाव भंगिमा दिखाने अथवा व्यवहार करने से जुड़े मामलों में धारा 509 लगाई जाती है। आपको यह भी जानकारी दे दें कि यह धारा जमानत योग्य है।

लोक लाज के भय से स्ट्रीट हैरेसमेंट पर लड़कियां चुप रह जाती हैं

दोस्तों, हमारे समाज में लड़कियों का पालन पोषण इस तरह किया जाता है कि वे गलत बात पर भी आवाज नहीं उठा पातीं। दूसरे घर (ससुराल) जाने का हवाला देकर उन्हें बचपन से ही सब कुछ सहना सिखाया जाता है। यही वजह है कि अधिकांश लड़कियां, युवतियां स्ट्रीट हैरेसमेंट पर चुप रह जाती हैं।

उन्हें लगता है कि यदि वे इस तरह के उत्पीड़न के संबंध में अभिभावकों को बताएंगी तो वे बजाय थाना कचहरी करने के उनका घर से बाहर निकलना बंद कर देंगे। उनकी पढ़ाई आदि छुड़वा देंगे।

बहुत से मामलों में उनका यह डर सही भी साबित होता है। बहुतेरी जगह लड़कियों के इस संबंध में शिकायत करने पर मां बाप ने बजाय परेशान करने वाले के खिलाफ कदम उठाने के अपनी पुत्री का ही घर से निकलना बंद करना उचित समझा।

छात्राओं को छेड़छाड़ से बचाने के लिए पुलिस ने कई जगह आपरेशन मजनू चलाए

अक्सर आपने भी देखा होगा कि गर्ल्स काॅलेजों, कोचिंग संस्थानों के इर्द गिर्द शोहदों की भीड़ मंडराती रहती है। वे यहां आने जाने वाली छात्राओं पर फब्तियां कसते हैं। उन्हें भद्दे इशारे करते हैं। कई तो स्कूली छात्राओं के रास्ते में रूककर उनका इंतजार करते हैं, ताकि अपनी मंशा पूरी कर सकें।

इस तरह के शोहदों से निपटने के लिए न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों में भी पुलिस ने यदा-कदा आपरेशन मजनू (operation Majnu) अभियान चलाए हैं।

इस तरह के अभियानों का असर देखने को भी मिलता है। हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास में सड़क पर पुलिस ने लड़कियों से छेड़छाड़ करने वाले युवकों की अच्छी खबर ली। महिला पुलिस कांस्टेबलों ने छात्राओं से छेड़छाड़ करने वाले मजनुओं से सड़क पर ही उठक बैठक कराई।

ऐसी कार्रवाई के बाद कई दिन तक शोहदे गर्ल्स कालेजों एवं कोचिंग संस्थानों के इर्द गिर्द नजर नहीं आते। हालांकि इस समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं निकल सका है।

लड़के को महिलाओं की इज्जत का संस्कार देना आवश्यक

हमारे समाज में लड़के लड़की के लालन-पालन, उनकी परवरिश में भेदभाव बहुत हद तक लड़कियों के स्ट्रीट हैरेसमेंट अथवा उनका ऐसे मामलों के खिलाफ आवाज न उठाने के लिए जिम्मेदार है। लड़कों को असहमति बर्दाश्त करना नहीं सिखाया जाता। न ही उन्हें महिलाओं की इज्जत का संस्कार दिया जाता है।

ऐसे में यदि लड़की उन्हें भाव नहीं देती अथवा उनकी इच्छापूर्ति में सहायक नहीं होती तो वे छेड़छाड़ पर उतर आते हैं। लड़कियां अपने संस्कारों की वजह से मामले को पी जाने में भलाई समझती हैं।

ऐसे में इस तरह का हैरेसमेंट करने वाले आरोपियों की हिम्मत बढ़ती जाती है। कई बार इस तरह के मामलों का बहुत बुरा नतीजा देखने को मिलता है। कई बार बार रेप एवं हत्या तक पहुंच जाती है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा सड़क पर उत्पीड़न करना सबसे अपमानजनक

बात चार साल पुरानी है, लेकिन मौजूं है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (highcourt) की ग्वालियर बेंच (gwalior bench) ने सड़क उत्पीड़न के एक मामले में जिला कोर्ट (district court) श्योपुर का फैसला पलट दिया था। जस्टिस आनंद पाठक (justice anand Pathak) ने कहा कि सड़क पर उत्पीड़न करना शारीरिक उत्पीडन (physical harrasment) से भी अधिक अपमानजनक है।

आरोपियों ने स्कूल से लौट रही एक छात्रा को सड़क पर रोककर उससे छेड़छाड़ की थी। नाबालिग छात्रा ने आरोपी संतोष शर्मा, धर्मेंद्र गौतम के खिलाफ 6 अगस्त, 2017 को छेड़छाड़ और पीछा कर रास्ता रोकने, अश्लील हरकत करने व जान से मारने की धमकी देने की शिकायत पुलिस थाना कराहल में की।

जिला कोर्ट श्योपुर ने मामले में उन्हें दोषमुक्त कर दिया था, जिस पर पीड़िता ने हाईकोर्ट में अपील की। इसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

हाईकोर्ट ने सुनवाई करने के बाद आरोपियों को दोषी पाया। उसने उन्हें तीन तीन साल के कारावास की सजा सुनाई। उन पर विभिन्न धाराओं में 15-15 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया। हाईकोर्ट ने साफ साफ कहा कि महिलाओं के प्रति अपराधों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। अभियोजन की कमी के कारण आरोपियों के मन में दंड से बचने की धारणा पनपती है।

यह प्रवृत्ति उन्हें और अधिक गंभीर अपराध करने के लिए प्रेरित करती है। यदि नाबालिग लड़कियों के साथ किए जाने वाले उत्पीड़न को संज्ञान में न लिया जाए अथवा साक्ष्यों का सही विश्लेशण (analysis) न किया जाएं एवं अपराधी दोषमुक्त हो जाए तो यह अपराधी को गंभीर अपराध करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

कई बार झूठे मामलों में भी फंसाती हैं लड़कियां

कानूनों को महिला सुरक्षा (women safety) के लिए बनाया गया है, लेकिन कई बार लड़कियां इनका दुरूपयोग (misuse) करने से भी नहीं चूकतीं। हाल ही में दिल्ली मेट्रो में एक मामला सामने आया था, जिसमें एक लड़की ने एक लड़के पर हैरेसमेंट का आरोप लगाया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी कर लिया।

लेकिन बाद में अन्य लोगों की गवाही एवं एक घटना से संबंधित एक वीडियो से यह प्रूव हुआ कि लड़की ने जानबूझकर लड़के को फंसाने के लिए यह आरोप लगाया। इससे साफ है कि कई बार किसी को नापसंद करने की वजह से अथवा बदला लेने की गरज से भी लड़कियां लड़कों को इस तरह के केस में फंसा देती हैं।

सिनेमा इस तरह की हरकतों को ग्लैमराइज करता है, जिसका समाज पर असर होता है

दोस्तों, यदि आप सिनेमा का शौक रखते हैं तो आपने यह जरूर देखा होगा कि कई फिल्मों में नायक नायिका को सड़क पर आते जाते परेशान करता है। लेकिन बाद में उनके बीच प्रेम पनप जाता है। कुछ ऐसी ही आकांक्षा ऐसा सिनेमा देखने के बाद युवाओं के मन में जागृत होती हैं। वे खुद में नायक का अक्स देखते हैं एवं इस तरह की हरकतों को अंजाम देते हैं।

उन्हें लगता है कि जिस तरह फिल्म में ऐसी हरकतों से नायिका नायक के करीब आ जाती है, वे भी लड़की को करीब ला सकेंगे। लेकिन होता इसका ऐन उल्टा है। लड़की कभी कभी अपने भाई अथवा दोस्तों को इस संबंध में बताती है और आरोपी संग मार-पिटाई होती है। कई मामले पुलिस तक भी पहुंचते हैं। कोर्ट कचहरी तक भी होती है।

ज्यादातर मामलों में लड़की की गलती निकाल देते हैं

हमारे समाज की मानसिकता इस प्रकार की है कि यदि कोई लड़की स्ट्रीट हैरेसमेंट की शिकार होती है तो लोग बजाय लड़के को दोष देने के, लड़की की ही गलती निकाल देते हैं। उससे तमाम तरह के बेजा सवाल करते हैं। मसलन अकेले बाहर जाने की जरूरत क्या थी?

सड़क पर चलते हुए ज्यादा दांत निकालने की क्या जरूरत थी? इतना बन ठन कर बाहर क्यों गईं थीं? जरूर तुम्हीं ने कुछ किया होगा कि कोई पीछे लग गया आदि-आदि। यही वजह है कि लड़कियां बहुत कम मामलों में ही अपने साथ हुए हैरेसमेंट की बात जाहिर करती हैं। वे इस बात को समझती हैं कि बगैर कुछ किए वे अपराधी ठहरा दी जाएंगी एवं हैरेसमेंट करने वाले का कुछ नहीं बिगड़ेगा।

कानून के प्रति जागरूकता का अभाव भी केस बढ़ने के लिए जिम्मेदार

यह तो आप जानते ही हैं कि महिलाओं के प्रति अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इसी में स्ट्रीट हैरेसमेंट भी शामिल है। साथियों, आपको बता दें कि अधिकांश लड़कियों को स्ट्रीट हैरेसमेंट तो छोड़िए, किसी भी तरह के उत्पीड़न से संबंधित कानून की जानकारी नहीं है।

उन्हें नहीं पता कि यदि कोई सड़क पर उन्हें परेशान करे तो वे क्या कर सकती हैं। कानून के प्रति जागरूकता का अभाव भी इस तरह के केस बढ़ने के प्रति जिम्मेदार है। यदि उन्हें पता हो कि वे आरोपित व्यक्ति के खिलाफ किस तरह कानून का इस्तेमाल कर सकती हैं तो शायद वे ऐसे मामलों के खिलाफ आवाज उठाने का साहस करें।

घरवालों का साथ मिले तो बदल सकती है सूरत

दोस्तों, हमने आपको बताया कि स्ट्रीट हैरेसमेंट के अधिकांश केसों में लड़कियां चुप ही रहती हैं, वे अपने घरवालों तक से इस बात का जिक्र नहीं करतीं। जबकि यदि घरवाले साथ दें तो सूरत काफी हद तक बदल सकती है। उन्हें पीड़िता से चुप रहने के लिए कहने की बजाय उसका साथ देना चाहिए।

पहले संबंधित व्यक्ति को व्यक्तिगत स्तर पर समझाकर देखें। यदि वह न समझे तो पुलिस में शिकायत करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त कोर्ट का भी रास्ता खुला है। एक केस में महिला के आवाज उठाने का असर होता है। कई आवाजें अपने लिए उठ खड़ी होती हैं।

स्ट्रीट हैरेसमेंट से क्या तात्पर्य है?

स्ट्रीट हैरेसमेंट से आशय जैसा कि नाम से स्पष्ट है, सड़क पर किए जाने वाले उत्पीड़न से है। इसमें अश्लील फब्तियां कसना, भद्दे इशारे करना, लैंगिक टिप्पणी करना आदि को शामिल किया गया है।

आईपीसी में स्ट्रीट हैरेसमेंट की क्या परिभाशा दी गई है?

आईपीसी में स्ट्रीट हैरेसमेंट को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन इसमें महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए दंड का प्रावधान किया गया है।

स्ट्रीट हैरेसमेंट के लिए किन धाराओं में दंड की व्यवस्था की गई है?

स्ट्रीट हैरेसमेंट के लिए धारा 294 एवं धारा 509 के तहत दंड का प्रावधान किया गया है।

धारा 509 के अंतर्गत कितनी सजा का प्रावधान किया गया है?

धारा 509 के अंतर्गत तीन साल के कारावास का प्रावधान किया गया है। यदि जज चाहे तो इसके साथ जुर्माना भी ठोक सकता है।

कोर्ट इस तरह के मामलों के प्रति क्या रूख दिखाता है?

कई मिसालें हैं, जहां कोर्ट ने स्ट्रीट हैरेसमेंट को शारीरिक उत्पीड़न से भी अधिक अपमानजनक करार दिया है।

मित्रों, हमने आपको स्ट्रीट हैरेसमेंट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यदि आप इसी प्रकार की किसी जनहित से जुड़ी योजना के संबंध में जानकारी चाहते हैं तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों का स्वागत है। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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