ऑप्शनस ट्रेडिंग क्या होती है? | ऑप्शनस ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान (Option trading kya hoti hai)

Options Trading In Hindi:- यदि आप अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइड बनाना चाहते है या फिर आप स्टॉक और बॉन्ड के अलावा किसी और चीज़ में निवेश करना चाह रहे है तो हम आज आपको पैसा कमाने का एक तरीका बनाते वाले है जिसमे निवेश करके आप बहुत जल्दी लखपति बन सकते है। जी हाँ! अगर आप स्टॉक में पैसा नहीं लगाना चाहते है और अपने पैसे को जल्दी से जल्दी ग्रो होते देखना चाहते है तो आप ऑप्शनस डेरिवेटिव्स में अपना पैसा (Option trading kya hoti hai) लगा सकते है।

ऑप्शनस में ट्रेडिंग करना एक बहुत अच्छा विकल्प है। इसमें ट्रेड करने से बहुत लोगो को लाभ हुआ है परन्तु हम आपको यह भी बता दे कि ऑप्शनस में रिस्क की मात्रा स्टॉक खरीदने से बहुत ज़्यादा होती है। इसमें अगर आप एक दिन में 50,000 रूपए कमा सकते है तो ऐसा भी हो सकता है कि अगले दिन आपको 1,00,000 रुपयों का नुकसान लग जाये। इसलिए हम आपको (Call or Put option trading in Hindi) यह ही सलाह देंगे कि आपको हमेशा ऑप्शनस में सोच समझकर ही अपना पैसा इसमें लगाना चाहिए।

अगर आप सोच समझकर अपने पैसे को सही जगह पर लगाएंगे तो आपको बहुत फायदा मिलेगा। आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग है जिनको ऑप्शनस में ट्रेडिंग करना नहीं आता है और ना ही उन्हें यह पता है कि पुट और कॉल ऑप्शन क्या होते है। शेयर मार्किट में पैसा लगाने के बहुत सारे माध्यम निवेशकों को मिलते है और यह उनपर निर्भर करता है कि वो कौन से माध्यम के ज़रिए शेयर बाजार में पैसा कमाना चाहते है।

बहुत सारे लोग जो पुट एंड कॉल में पैसा लगाकर कमाते है उन्हें कम समय में बहुत फायदा होता है परन्तु नुकसान होने के चान्सेस भी उतने ही होते है। आज इस लेख में हम आपको आसान और सरल भाषा में ऑप्शनस में ट्रेडिंग करना सिखाएंगे। साथ ही हम आपको इसके फायदे और नुकसान के बारे में भी आपको बताएंगे और अंत में हम आपको ऑप्शनस में ट्रेड करने की कुछ टिप्स के बारे में भी आपको बताएंगे।

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ऑप्शनस ट्रेडिंग क्या होती है? (Option trading kya hoti h)

ऑप्शनस ट्रेडिंग कैसे करते है यह जानने से पहले हम यह जान लेते है कि ऑप्शनस ट्रेडिंग होती क्या है। ऑप्शनस ट्रेडिंग डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग का एक प्रकार है जो निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने का एक बेहतर विकल्प देता है। ऑप्शनस ट्रेडिंग एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट है जिसमे आपको एक तय की गयी तारिख को तय किये गए रूपए में सिक्योरिटी को खरीदना या फिर बेचना होता है। 

ऑप्शनस ट्रेडिंग क्या होती है ऑप्शनस ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान Option trading kya hoti hai

इसमें जो सिक्योरिटी बेचता है उससे ऑप्शनस सेलर कहते है और जो उस सिक्योरिटी को खरीदता है उसे ऑप्शनस बायर कहते है। ऑप्शनस ट्रेडिंग में बायर (Option trading kya hai in Hindi) के पास सिक्योरिटी खरीदने या न खरीदने का विकल्प होता है। हमारे कहने का तात्पर्य यह हुआ कि बायर अगर चाहे तो सिक्योरिटी खरीदने से मना भी कर सकता है, इसीलिए इसे हम ऑप्शनस ट्रेडिंग कहते है क्योंकि यह बायर को सिक्योरिटीज खरीदने या ना खरीदने का विकल्प प्रदान करता है।

अगर हम आपको उदाहरण के तौर पर यह समझाये तो मान लीजिये की आप किसी शेयर के ऑप्शन का रेट आज के दिन 50 रूपए चल रहा है और आप उसके 1000 शेयर 1 महीने बाद 100 रूपए में खरीदने का ऑप्शन लेते है। अब ये मान लीजिये की 1 महीने बाद उस शेयर का रेट 50 रूपए से 70 रूपए हो जाता है परन्तु आपने उस शेयर को 100 रूपए में खरीदने का ऑप्शन लिया था। 

अब अगर आप अपनी ऑप्शन ट्रेडिंग पूरी करते है तो आपको 1 शेयर पर 30 रूपए का नुकसान झेलना पड़ेगा यानि कि आपको कुल 3000 रूपए का नुकसान झेलना पड़ेगा। परन्तु आपके पास यह ऑप्शन पूरा ना करने का राइट है। यानि कि आपके पास विकल्प होगा उस शेयर को 70 रूपए में ना खरीदने का। इस तरह ऑप्शनस ट्रेडिंग आपके रिस्क को कम करने में आपकी मदद करता है।

कॉल और पुट क्या है? (Call or Put option trading in Hindi)

ऑप्शन ट्रेडिंग को हम किसी भी इंडेक्स, स्टॉक, करेंसी, सिक्योरिटी या फिर कमोडिटी में ट्रेड कर सकते है। साथ ही ऑप्शन ट्रेडिंग में (Call or Put option in Hindi) आप सिर्फ मार्किट बढ़ने पर ही नहीं बल्कि उसके गिरने पर भी खूब सारा पैसा बना सकते है। ऑप्शन ट्रेडिंग 2 प्रकार से की जाती है जिसमे से एक है कॉल ऑप्शन और दूसरे को हम पुट ऑप्शन कहते है।

कॉल ऑप्शन (Call option trading kya hai)

अगर आप कोई भी कॉल ऑप्शन लेते है फिर चाहे वो शेयर, करेंसी, इंडेक्स, सिक्योरिटी या फिर कमोडिटी हो तो यह डेरीवेटिव आपको उस सिक्योरिटी को एक निर्धारित दिन पर, निर्धारित समय और निर्धारित रेट पर खरीदने का अधिकार प्रदान करता है लेकिन दायित्व नहीं देता। इस ऑप्शन को खरीदने के लिए आपको कुछ पैसे भरने होते है जिसे हम शेयर मार्किट की भाषा में प्रीमियम कहते है।

जिस दिन कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने की आखिरी तिथि होती है उस दिन वह ऑप्शन समाप्त हो जाता है। कॉल ऑप्शन से पैसा कमाने के लिए आपको यह तब खरीदना चाहिए जब आपको लगे की आगे जाकर इसका प्राइस बढ़ सकता है और आप आगे जाकर इससे खूब सारा पैसा बना सकते है।

पुट ऑप्शन (Put option trading kya hai)

पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन से बिलकुल अलग काम करता है। जिस तरह कॉल ऑप्शन में आपको सिक्योरिटी खरीदने का अधिकार दिया जाता है उसी प्रकार से आपको पुट ऑप्शन में सिक्योरिटी, इंडेक्स, शेयर, करेंसी या फिर कमोडिटी बेचने का अधिकार दिया जाता है।

पुट ऑप्शन से पैसा कमाने के लिए आपको इसमें तब निवेश करना चाहिए जब आपको लगे कि अब इस सिक्योरिटी या इंडेक्स का प्राइस नीचे जा सकता है तब आप इसके पुट ऑप्शन को ख़रीद ले। अगर उस शेयर का प्राइस नीचे गया तो आपको बहुत लाभ होगा। इस प्रकार आप शेयर मार्किट के नीचे गिरने पर भी डेरीवेटिव में निवेश करके खूब सारा पैसा कमा सकते है। इसमें आप कम कैपिटल में खूब सारा लाभ उठा सकते है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान (Options trading advantages disadvantages in Hindi)

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान दोनों होते है। इसलिए आपको सोच समझकर ही इनमे निवेश करना चाहिए। आइये हम अच्छे से ऑप्शनस में निवेश करने के फायदे और नुकसान के बारे में जानते है।

ऑप्शन ट्रडिंग के फायदे (Option trading ke fayde) 

  • इसमें आपको ऑप्शन खरीदने पर उस ऑप्शन का सारा भुगतान उसी समय नहीं करना होता बल्कि उसका कुछ हिस्सा ही भुगतान करना होता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी भी शेयर के 2000 शेयर 80 रूपए पर खरीदते है तो आपको उसके लिए 16000 रूपए का भुगतान उसी समय करना होगा। परन्तु अगर आप उतने ही रूपए का ऑप्शन लेते है तो आपको केवल 4000 रूपए का भुगतान करना होगा। इससे मार्जिन पेमेंट के रूप में आपको भरना होगा। 
  • ऑप्शन ट्रेडिंग आपको निवेश करने के बहुत सारे तरीके प्रदान करता है। ऑप्शन ट्रेडिंग के ज़रिए आप केवल शेयर में ही नहीं बल्कि सिक्योरिटीज़, इंडेक्स, फॉरेन करेंसी, शेयर, बॉन्ड, सोना, चांदी और यहाँ तक की दाल चावल जैसी कमोडिटी में भी ट्रेडिंग कर सकते है। अगर आपको लग रहा है कि शेयर में अभी कोई खास तेज़ी या मंदी नहीं आने वाली है परन्तु गेंहू में तेज़ी आने की पूरी सम्भावना है तो आप गेंहू में भी ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते है और खूब सारा पैसा कमा सकते है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग अपने निवेशकों को फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करती है। इसका मतलब निवेशकों के पास ऑप्शन को कैंसिल करने का पूरा अधिकार होता है। इससे निवेशकों का रिस्क कम होता है। ऑप्शन ट्रेडिंग की तारिक और समय तय किया जाता है जिसमे निवेशक उस सिक्योरिटी को लेते या फिर बेचते है। परन्तु अगर उनको इसमें नुकसान लग रहा हो तो वो उस कॉन्ट्रैक्ट को कैंसिल भी कर सकते है और अपना नुकसान हने से भी बच सकते है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग आप किसी भी मार्किट कंडीशन में कर सकते है। हमारे कहने का अर्थ हुआ कि अगर मार्किट ऊपर की तरफ भाग रही है तो आप ऑप्शन में पैसा लगा सकते है और अगर मार्किट नीचे की तरफ चल ही है तो भी आप ऑप्शन ट्रेडिंग के माध्यम से खूब पैसा कमा सकते है। ऑप्शन ट्रेडिंग जैसा विकल्प किसी ट्रेडिंग में संभव नहीं है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग अपने निवेशकों को रिस्क हेजिंग प्रदान करता है। इससे निवेशकों का रिस्क कम होता है। निवेशक ऑप्शनस में ट्रेड करके अपने रिस्क और उससे होने वाले नुकसान को कम कर सकते है परंतु ऐसा दूसरे किसी अन्य विकल्प में संभव नहीं है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के नुकसान (Option trading ke nuksan)

  • ऑप्शन को खरीदने या बेचना शेयर मार्किट जैसा नहीं है। इसका पूरा प्रोसेस अलग है। यदि आप ऑप्शन में ट्रेडिंग कैसे करते है यह नहीं जानते तो आप इसमें ट्रेडिंग नहीं कर पाएंगे। ऑप्शनस में ट्रेडिंग करने के नियम और रणनीति अलग होती है। इसलिए ज़्यादातर लोग जिनको इनमे ट्रेड करना नहीं आता वो इसमें ट्रेड करने से बचते है।
  • अगर आप ऑप्शन में लम्बे समय के लिए निवेश करना चाहते है तो ऐसा संभव नहीं है क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग छोटी अवधि में पैसा कमाने के लिए अच्छा ऑप्शन है। अगर आपके पास रोज़ ऑप्शन में ध्यान देने का समय नहीं है तो आप शेयरस में ही अपना पैसा लगाए जिसमे आप लम्बी अवधि के लिए उसमे निवेश कर सके और आपका ज़्यादा समय भी व्यर्थ न हो।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग में आपको भारत सरकार को टैक्स भी ज़्यादा भरना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑप्शनस में आप केवल छोटे समय के लिए ही निवेश कर पाते है और भारत सरकार के टैक्स नियमो के मुताबिक निवेशकों को शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लॉन्ग टर्म टैक्स के मुकाबले ज़्यादा भरना पड़ता है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग में आप आंख बंद करके पैसा नही लगा सकते है क्योंकि इसमें हर डेरीवेटिव में ट्रेड करते है तो हमे बाजार की पूरी जानकारी होना आवश्यक होता है। अगर हम यूँ ही अपनी मर्ज़ी से किसी भी ऑप्शन में पैसा लगाते रहेंगे तो हम अपना पैसा खो भी सकते है। इसलिए ऑप्शन में ट्रेड करने के लिए हमे शेयर बाजार की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
  • अगर आप ऑप्शनस में ट्रेडिंग करते है तो आपको इसमें ब्रोकर को कमीशन भी ज़्यादा देना पड़ता है। ऑप्शन ट्रेडिंग में शेयर खरीदने से ज़्यादा कमीशन भरना पड़ता है क्योंकि इसमें रिस्क की मात्रा भी उससे ज़्यादा पायी जाती है। इसलिए आप सोच समझकर ही ऑप्शन में ट्रेड करे।

ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करे? (Option trading kaise kare)

अभी तक आपने ऑप्शन ट्रेडिंग का मतलब, कॉल और पुट ऑप्शन, और इसमें निवेश करने के फायदे और नुकसान के बारे में जाना है। अब हम आपको ऑप्शन में ट्रेडिंग कैसे करते है इसके बारे में आपको जानकारी देंगे। ऑप्शन ट्रेडिंग करने के पूरे प्रोसेस को बहुत ध्यान से पढ़े।

ऑप्शन ट्रेडिंग आप ऑनलाइन ब्रोकरेज की वेबसाइट या ऍप के माध्यम से कर सकते है। तो ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपको किसी भी ब्रोकरेज कंपनी में अपना ऑनलाइन डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा। आप चाहे तो इसकी ऐप भी अपने फ़ोन में डाउनलोड कर सकते है जिससे आपको ट्रेड करने में आसानी होगी और टाइम भी कम लगेगा।

अब हम आपको ऑप्शन में ट्रेड करने की कुछ ऐसी टर्म्स आपको बताएंगे जो आपको ट्रेड करते समय दिखाई देंगी और इसकी जानकारी होना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है अन्यथा इसके बिना आप ऑप्शनस में ट्रेडिंग नहीं कर पाएंगे। तो आइये अब हम जान लेते है ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़े कुछ ज़रूरी टर्म्स के बारे में।

  • एक्सपायरेशन डेट 

ऑप्शन ट्रेडिंग करने की सबसे पहली टर्म आती है इसकी एक्सपायरेशन डेट। एक्सपायरेशन डेट वो डेट होती है जिस दिन या उससे पहले दिनऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को सेटल करना जरुरी होता है। अगर उस दिन से पहले कॉन्ट्रैक्ट सेटल नहीं होता है तो उसके बाद कॉन्ट्रैक्ट निषेध माना जाता है क्योंकि वह उस कॉन्ट्रैक्ट की आखिरी तारिख होती है। 

  • प्रीमियम 

ऑप्शन ट्रेडिंग की दूसरी टर्म है प्रीमियम। प्रीमियम पेमेंट वह पेमेंट होती है जिसको कॉन्ट्रैक्ट होल्डर को कॉन्ट्रैक्ट लेते समय एडवांस में पेमेंट करनी होती है। यह पेमेंट पूरे कॉन्ट्रैक्ट का कुछ हिस्सा होता है और बाकि की पेमेंट कॉन्ट्रैक्ट होल्डर को कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने पर करनी होती है।

  • स्ट्राइक प्राइस 

स्ट्राइक प्राइस को एक्सरसाइज प्राइस भी कहा जाता है। स्ट्राइक प्राइस वह प्राइस होता है जो कि कॉन्ट्रैक्ट खरीदने और बेचने वाले के बीच तय किया जाता है। यह प्राइस फिक्सड होता है जो कि निर्धारित तिथि और निर्धारित मूल्य पर तय किया जाता है।

  • स्टॉक सिंबल 

ऑप्शन ट्रेडिंग की ज़रूरी टर्म में अगले नंबर पर है स्टॉक सिंबल। स्टॉक सिंबल का अर्थ है कि ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट से सम्बंधित किसी शेयर या इंडेक्स की पहचान करने के लिए एक सिंबल। उदाहरण के तौर पर – निफ़्टी 17000 PE.

  • अमेरिकन ऑप्शन 

अमेरिकन ऑप्शन उस प्रकार के ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होते है जो कि उस समय पर आधारित होते है जहां ऑप्शनस का उपयोग समाप्ति तिथि या फिर उससे भी पहले किया जाता है।

पुट ऑप्शन में ट्रेडिंग कैसे करे? (Put option trading kaise kare)

अब हम आपको पुट ऑप्शन में ट्रेडिंग कैसे करते है इसके बारे में आपको जानकारी देंगे। अगर आप एक पुट ऑप्शन में ट्रेड करते है तो इसका मतलब है कि आप एक कॉन्ट्रैक्ट ले रहे है जिसमे आपको उस कॉन्ट्रैक्ट को एक निर्धारित तिथि और निर्धारित रूपए पर पूरा कारना होगा।

#1. पुट ऑप्शन लेते समय आपको कुछ बातो का ध्यान रखना होगा। जैसे कि आप पुट ऑप्शन के लिए कितने लोट लेना चाहते है। उदाहरण के तौर पर अगर आप निफ़्टी पुट लेते है तो उसके 1 लोट में 50 शेयर आते है और अगर आप बैंकनिफ़्टी में ऑप्शन लेते है तो उसके 1 लोट में 25 शेयर आते है।

#2. दूसरी बात जो आपको ध्यान रखनी है वह है कि आप किस प्रकार की एक्सपायरी में ट्रेड करना चाहते है। ऑप्शनस में आप 2 प्रकार की एक्सपायरी में ट्रेड कर सकते है। पहली है वीकली एक्सपायरी जो कि हर हफ्ते के वीरवार को समाप्त हो जाती है और दूसरी है मंथली एक्सपायरी जो हर महीने के अंत के वीरवार को समाप्त हो जाती है।

#3. इसके बाद आपको इस बात पर विशेष ध्यान देना है कि आप इस कॉन्ट्रैक्ट में कितना रिस्क उठा सकते है। अगर आपको लगता है कि जिस चीज़ में आप पुट ऑप्शन लेना चाह रहे है उसका प्राइस आगे जाकर बढ़ेगा ही बढ़ेगा तो आप उसमे ज़्यादा रूपए लगा सकते है परन्तु अगर आप उसको लेके निश्चिंत नहीं है तो आप उसमे कम पैसा ही लगाए।

#4. अपने रिस्क फैक्टर को देखने के बाद आपको बाजार की हालत के बारे में भी अच्छे से जानकारी होने चाहिए। हो सकता है कि बाजार के हालत बदल जाये और जिस कॉन्ट्रैक्ट में आपको फायदा हो रहा हो उसमे एक दम से आपको नुकसान लगने लग जाये। इसलिए आपको शेयर बाजार की पल पल की खबर होनी चाहिए। 

अब पुट ऑप्शन खरीदने के लिए अपना आर्डर प्लेस करना होगा जिसमे आपको उसका लोट साइज और प्राइस डालना होगा। पुट ऑप्शन आप तब ख़रीदे जब आपको लगे कि उस सिक्योरिटी या इंडेक्स का प्राइस आगे जाकर गिरने वाला है जिससे आपको बहुत लाभ हो सकता है। आप हमेशा एक्सपायरी डेट से पहले अपने पुट ऑप्शन को बेच दे नहीं तो आपके सारे पैसे डूब जायेंगे।

कॉल ऑप्शन में ट्रेडिंग कैसे करे? (Call option trading kaise kare)

अब हम जान लेते है कि कॉल ऑप्शन में ट्रेडिंग कैसे कर सकते है। कॉल ऑप्शन में ट्रेडिंग करने के लिए भी आपके पास ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए। इससे ट्रेडिंग करने में आपको बहुत सुविधा मिलती है और ट्रेडिंग करना बहुत आसान हो जाता है। आइये अब हम जान लेते है कि कॉल ऑप्शन में ट्रेडिंग कैसे करनी चाहिए।

#1. कॉल ऑप्शन को आप तब खरीदते है जब आपको लगता है कि आगे जाकर उस ऑप्शन का प्राइस बढ़ने वाला है जिससे आपके पैसे बढ़ेंगे और आपको बहुत लाभ होगा। कॉल ऑप्शन एक वह कॉन्ट्रैक्ट है जिसको आप एक निर्धारित तिथि पर और निर्धारित मूल्य पर उस कॉन्ट्रैक्ट को खरीदते है।

#2. कॉल ऑप्शन लेते समय आप इस बात पर निश्चिंत होते है कि आगे जाकर उस कॉन्ट्रैक्ट का प्राइस बढ़ने वाला है जिससे उस ऑप्शन का प्राइस भी बढ़ेगा और आपको बहुत लाभ होगा।

#3. अगर आप कॉल ऑप्शन लेते है तो इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि आप उस कॉल ऑप्शन को उसकी समाप्ति तिथि से पहले उसको स्क्वायर ऑफ कर दे। अगर आप ऐसा करने में असफल रहे तो आपका सारा पैसा डूब सकता है और आपको भारी नुकसान लग सकता है।

#4. कॉल ऑप्शन खरीदने के लिए आप किसी भी ऑनलाइन ब्रोकिंग की वेबसाइट पर लॉगिन करे। जिस भी शेयर, सिक्योरिटी, इंडेक्स, करेंसी या फिर कमोडिटी में ट्रेड करना चाहते है उसका आर्डर प्लेस कर दे। आर्डर प्लेस करते समय लोट साइज पर पूरा ध्यान दे और सारी जानकारी अच्छे से चेक कर ले। 

#5. अब कॉल ऑप्शन लेने के बाद आप इस कॉन्ट्रैक्ट के रेट के बढ़ने का इंतज़ार करे और इसके बढ़ते है आप उस कॉन्ट्रैक्ट को स्क्वायर ऑफ कर दे। इससे आपको बहुत लाभ होगा। परन्तु आप उस कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी तिथि का अवश्य ध्यान रखे।

ऑप्शनस में ट्रेडिंग करने के लिए कुछ टिप्स (Option trading karne ki tips in Hindi)

अब तक हमने आपको ऑप्शन डेरीवेटिव में ट्रेड कैसे करते है इसके बारे में आपको सारी जानकरी दे दी है। अब हम आपको ऑप्शन में ट्रेड करने के लिए कुछ आसान टिप्स आपके साथ साँझा करेंगे जिन्हे अगर आप ऑप्शनस में ट्रेड करते समय अपनाएगे तो आपको बहुत फायदा होगा। तो आईये जानते है ऑप्शनस में ट्रेड करने की कुछ आसान और असरदार टिप्स के बारे में।

#1. ऑप्शनस में ट्रेड करने के लिए हमारी सबसे पहली टिप आपके लिए यह है कि आपको ऑप्शनस खरीदते समय सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करना आना चाहिए तभी आप इससे पैसा कमा पाएंगे। इसके लिए आपको बहुत प्रैक्टिस की आवश्कयता होगी क्यूंकि जितनी प्रैक्टिस आप करेंगे आपको उतना ही सही स्ट्राइक प्राइस का अंदाज़ा होगा। शेयर बाजार में पैसा कमाने के लिए ज़रूरी है कि आप स्ट्राइक प्राइस को सोच समझ कर ही सेट करे।

जिस तरह से हम कपड़ो में मोल भाव करते है और हमे इस बात का पता चल जाता है कि यह कपडा कितने रूपए तक का होना चाहिए उसी प्रकार ऑप्शनस को खरीदते समय भी हमे उसके सही स्ट्राइक प्राइस का पता होना चाहिए अन्यथा गलत स्ट्राइक प्राइस लगाने से हमे भारी नुकसान भी हो सकता है। इसलिए आप हमेशा ऐसे स्ट्राइक प्राइस को चुने जहां आपको लगता है कि यह स्ट्राइक प्राइस इतना तो आराम से जा सकता है। 

#2. ऑप्शनस में सही से ट्रेडिंग करने के लिए हमारी दूसरी सबसे बड़ी टिप आपके लिए यह है कि आप अपने रिस्क के हिसाब से ही इसमें निवेश करे। आप कभी भी अपना सारा पैसा इसमें न लगाए और ना ही कभी किसी से उधार लेकर इसमें निवेश करे क्योंकि शेयर बाजार एक तरह का सट्टा ही है जहाँ कभी भी कुछ भी हो सकता है। आप हमेशा अपने रिस्क को मैनेज करके ही इसमें निवेश करे।

ऑप्शनस ट्रेडिंग बहुत ही जोखिम भरी होती है। जिसमे अगर आपका पैसा बन सकता है तो उससे बही ज़्यादा पैसा डूब भी सकता है। आपको बहुत सोच समझकर ही इसमें अपनी मेहनत का पैसा लगाना चाहिए। अगर आप अपने रिस्क को मैनेज करके चलेंगे तो आपको नुकसान लगने के चान्सेस बहुत कम हो जायेंगा।

#3. हमारी तीसरी बड़ी सलाह आपके लिए यह है कि आप हमेशा पूरी जानकारी के साथ ही किसी ऑप्शन ट्रेड में पोजीशन ले। जानकारी से हमारा मतलब है कि आपको मार्किट कंडीशन की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि मार्किट किन कारणों से भागति या फिर गिरती है। अगर आपको मार्किट की जानकारी नहीं होगी तो आपको ऑप्शनस में ट्रेडिंग करने में कॉन्फिडेंस नहीं आएगा और मज़ा भी कम हो जायेगा।

मार्किट की जानकारी होने के साथ साथ आपको ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते है और इसके सारे फीचर्स की जानकारी होना भी अत्यंत आवश्यक है। अगर आपको ऑप्शनस ट्रेडिंग के अंदर इस्तेमाल होने वाले सारे फीचर्स के बारे में पता होगा तो आप अच्छे से उनका इस्तेमाल कर पाएंगे और लाभ कमा पाएंगे।

#4. ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए हमारी चौथी टिप आपके लिए यह है कि जैसा की हम सब जानते है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है। अगर आप ऑप्शन में ट्रेडिंग कर रहे है तो आपको बहुत सयंम और समझदारी से काम लेना होगा। अगर आप बहुत जल्दी मचाएंगे तो आपको नुकसान ज़्यादा होगा और प्रॉफिट कम।

सयंम के साथ साथ ज़रूरी है कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में अपना समय दे पाए। हमारे कहने का अर्थ है कि अगर आप ऑप्शनस में अपना पैसा लगा रहे तो आपको समय समय पर इसपर ध्यान भी देना होगा क्योंकि ऑप्शनस के रेट में बहुत जल्दी उतार चढाव होता है। आप इसको खरीद कर न छोड़ दे बल्कि इसपर अपना थोड़ा बहुत ध्यान भी रखे।

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#5. ऑप्शन में ट्रेडिंग करने के लिए हमारी आखिरी टिप आपके लिए यह है कि आप ट्रेडिंग शुरू करने से पहले अपने वित्तीय गोल को लेकर निश्चिंत हो जाये। आप इस बात के लेकर निश्चिंत हो जाये कि आपने किस पर्पज़ के लिए ट्रेडिंग अकाउंट खोला है कितना पैसा कमाना चाहते है। 

ऑप्शनस ट्रेडिंग और कॉल एंड पुट की सभी जानकारी जानिए – Related FAQs 

प्रश्न: शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं?

उत्तर: ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दो तरह से ट्रेडिंग कर सकते है जिसके से एक है कॉल ऑप्शन और दूसरा है पुट ऑप्शन। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ से पैसा कमा सकते है यानि कि मार्किट जब गिरे या फिर चढ़े आप दोनों तरह से पैसा कमा सकते है।

प्रश्न: ऑप्शन में ट्रेड कब करें?

उत्तर: ऑप्शन ट्रेडिंग आप तब करे जब आपको मार्किट की कंडीशन का पूरा अंदाज़ा हो और आपको पता हो की मार्किट अब ऊपर जाएगी या फिर नीचे। ऑप्शन ट्रेडिंग करके आप बहुत सारा पैसा कमा सकते है।

प्रश्न: एक अच्छा ट्रेडर कैसे बने?

उत्तर: एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए ज़रूरी है की आपको शेयर बाजार की पूरी जानकारी हो। साथ ही आपको अपना रिस्क मैनेज करना भी आना चाहिए जिससे कि अगर आपको कभी भी ज़्यादा नुकसान ना लगे। अधिक जानकारी के लिए आप हमारे ऊपर दिए गए आर्टिकल को पढ़ सकते है।

प्रश्न: क्या मैं भारत से ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकता हूं?

उत्तर: जी बिलकुल आप भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते है। आप भारत में रह कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापर सकते सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप हमारे ऊपर दिए गए आर्टिकल को पढ़ सकते है।

प्रश्न: कॉल और पुट में क्या अंतर है?

उत्तर: अगर आप कॉल ऑप्शन लेते है तो आपको उस सिक्योरिटी को एक निर्धारित दिन पर, निर्धारित समय और निर्धारित रेट पर खरीदने का अधिकार प्रदान करता है लेकिन दायित्व नहीं देता। और अगर आप पुट ऑप्शन लेते है आपको उस सिक्योरिटी को निर्धारित तिथि और मूलय पर बेचने का अधिकार दिया जाता है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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