नीति आयोग क्या है? नीति आयोग के कार्य क्या हैं? यहां पाइए पूरी जानकारी

|| नीति आयोग क्या है? | नीति आयोग के कार्य क्या है? | Niti Aayog का अध्यक्ष कौन है? | Niti Aayog का अध्यक्ष कौन है? | नीति आयोग के उपाअध्यक्ष और सीओ कौन हैं? | नीति आयोग का क्या कार्य हैं? | Niti Aayog कब गठित हुआ? ||

अगर आप अर्थशास्त्र के छात्र हैं या सामाजिक विज्ञान में थोड़ी भी दिलचस्पी रखते होंगे तो आपने नीति आयोग का नाम जरूर सुना होगा। प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को तो यह नाम रट ही गया होगा। अक्सर उनमें नीति आयोग पर सवाल पूछे जाते हैं। नीति आयोग इस बीच अपने सीईओ के बयानों के चलते बेहद चर्चित भी रहा। लेकिन दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि नीति आयोग क्या है? इसका गठन क्यों किया गया? और यह करता क्या है? अगर आपका जवाब नहीं में है तो भी चिंता की कोई बात नहीं।

आज इस post के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि नीति आयोग क्या है, और इसके क्या कार्य हैं । इसके अलावा नीति आयोग से जुड़ी सारी जानकारी हम आपको इस post के जरिए उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे। आप बस हमेशा की तरह इस post को बिंदुवार पढ़ते जाइए। आइए शुरू करते हैं।

नीति आयोग क्या है?

नीति आयोग योजना आयोग का ही बदला हुआ नाम है। दरअसल, आज से करीब 70 साल पहले मार्च, 1950 में योजना आयोग का गठन किया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इसके पहले अध्यक्ष थे। इसका कार्य देश में उपलब्ध संसाधनों का आंकलन करना और पंचवर्षीय योजनाएं तैयार करना था। इनकी जरूरत के हिसाब से उन संसाधनों का आवंटन करना था। बाद में योजना आयोग पर काहिली के आरोप लगे। कहा गया कि योजना आयोग की योजनाएं धरातल पर फलीभूत नहीं हो रहीं।

आर्थिक विकास में देश के संसाधनों का समुचित इस्तेमाल और आवंटन नहीं हो पा रहा। ऐसे में आखिरकार 30 साल बाद पूर्ण बहुमत के रथ पर सवार होकर केंद्र की सत्ता में लौटी भाजपा सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से योजना आयोग को खत्म करने की घोषणा की। इसकी जगह नीति आयोग को लाए जाने की घोषणा की।

नीति आयोग क्या है? नीति आयोग के कार्य क्या हैं? यहां पाइए पूरी जानकारी

Niti Aayog कब गठित हुआ?

आज लगभग नीति आयोग को अस्तित्व में आए अभी 5 वर्ष ही हुए हैं। 1 जनवरी, 2015 को इसका गठन किया गया था। इसकी फुल फॉर्म थी राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान यानी नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (National Institute for Transforming India)। लिहाजा, इसे NITI पुकारा गया। इससे पहले इसकी संरचना तय की गई।

नीति आयोग के कार्य क्या है?

अब आपके दिमाग में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि जब योजना आयोग पहले से था, जो पंचवर्षीय योजनाएं बना रहा था तो उसकी जगह नीति आयोग की जगह क्यों पड़ी? इस नीति आयोग के कार्य क्या हैं? तो आपको बता दें कि दरअसल यह आरोप लग रहे थे कि योजना आयोग जो योजनाएं बना रहा है, वह हकीकत से दूर हैं। सभी हितधारकों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा। और जिन संसाधनों को आवंटित किया जा रहा है, उनका भी समुचित आवंटन नहीं हो पा रहा।

ऐसे में जमीनी हकीकत को देखते हुए योजनाएं बनाए जाने के उद्देश्य के साथ नीति आयोग का गठन किया गया। इसे केंद्र सरकार के ‘थिंक टैंक’ की संज्ञा दी गई। इसका कार्य मुख्य रूप से सरकार को आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर सलाह देना है। मसलन देश का देशी विदेशी आयात, अपने देश के साथ ही अन्य देशों की बेहतर नीतियों का प्रसार, इसके साथ ही नीति निर्धारक तत्व पर विमर्श का है।

कुल मिलाकर इसका कार्य एक ऐसा तंत्र यानी सिस्टम विकसित करना है, जिसमें केंद्र के साथ-साथ राज्य भी अपने विचार रखें। और जो भी योजनाएं बने वह गांव से लेकर जिला, इसके बाद राज्य और फिर केंद्र स्तर तक आपसी विचार-विमर्श के बाद बनाई जाए। ताकि सभी लोगों को इसका लाभ मिले। जैसे जम्मू कश्मीर का ही हवाला लें। वहां पर अनुच्छेद 370 की वापसी से ठीक पहले कई बार वहां नीति आयोग के अधिकारियों ने भी दौरा किया और वापस लौट कर कर अपनी राय रिपोर्ट के रूप में सरकार को दी थी। वहां किस तरह की नीति निर्धारित हो, जिससे वहां के हितधारकों का लाभ सध सके, यह इसका मकसद था।

Niti Aayog का अध्यक्ष कौन है?

नीति आयोग के अध्यक्ष इस वक्त देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी हैं। एक पद उपाध्यक्ष का है, जिस पर नियुक्ति प्रधानमंत्री ही करते हैं। इस वक्त यह पद डॉ. राजीव कुमार के हवाले है। नीति आयोग में एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ का भी होता है। इस समय अमिताभ कांत इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

आयोग की गवर्निंग काउंसिल में कौन हैं?

इस आयोग की गवर्निंग काउंसिल में देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा है, वहां के मुख्यमंत्री शामिल किए गए हैं।

क्षेत्रीय परिषद क्या है?

नीति आयोग के तहत क्षेत्रीय परिषदों का गठन भी किया जाता है। इसमें किसी राज्य या कई राज्यों से जुड़े मसलों को रखा जाता है। इसमें राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल शामिल होते हैं। जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा है, वहां के मुख्यमंत्री इनके सदस्य होते हैं। दोस्तों, आपको यह भी बता दें कि इनका गठन किसी विशेष मसले उद्देश्य को लेकर होता है। आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया जाता है।

यह क्षेत्रीय परिषद विभिन्न राज्यों और इनसे जुड़े मसलों पर विचार और फैसले के लिए होता है। जैसा कि हम हाल ही में जीएसटी यानी गुड्स एंड सेल्स टैक्स के मसले पर देख चुके हैं। आपको लगे हाथ यह भी बता दें कि क्षेत्रीय परिषदों की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष करते हैं।

नीति आयोग की संरचना क्या है?

आइए, अब आपको नीति आयोग की संरचना के बारे में बताएं। दोस्तों, इसमें अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। इसमें एक उपाध्यक्ष होता है, जिसकी नियुक्ति प्रधानमंत्री करते हैं। एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ होता है। उसकी भी नियुक्ति प्रधानमंत्री करता है। यह केंद्र में सचिव स्तर का अधिकारी होता है। इसके अलावा आयोग में पूर्णकालिक सदस्य होते हैं। अंशकालिक सदस्य होते हैं और पदेन सदस्य होते हैं। जिनमें चार सदस्यों को प्रधानमंत्री खुद कैबिनेट से नामित करते हैं। इसके अलावा आमंत्रित सदस्य भी रखे जाते हैं। ये वे लोग होते हैं, जो अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर चुके होते हैं।

नीति आयोग के गठन पर आरोप क्या लगा?

दोस्तों, आपको यह भी बता दे कि जब नीति आयोग के गठन के बाद उठी तो कांग्रेस ने इस आयोग के गठन पर सवाल उठाए।
उनका कहना था कि वर्तमान सरकार देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा स्थापित और उनके वक्त में स्थापित संस्थाओं को खत्म करने पर तुली है। और इसी वजह से योजना आयोग को खत्म किया जा रहा है, जबकि योजना आयोग और नीति आयोग की कार्यप्रणाली में कोई ज्यादा अंतर नहीं है। उन्होंने इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया। इसके बाद भी कांग्रेस वर्तमान सरकार के कई कदमों पर नेहरू के विरोधी होने की वजह से संस्थाओं को खत्म करने का आरोप लगाती रही।

केंद्र सरकार के बात बात में देश की बर्बादी का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराए जाने की वजह से, पिछले 70 साल में कोई भी काम ना होने, और देश की अर्थ व्यवस्था के लिए पंडित नेहरू को दोषी ठहराने की वजह से यह आरोप लग रहे थे और यह केंद्र के कदम को आरोपित करते रहे। मोदी सरकार बार बार दोहराती रही कि नीति आयोग के जरिए एकीकृत विकास संभव होगा और इसका क्रम नीचे से ऊपर की ओर होगा। वहीं योजनाएं बनाई जाएंगी, जिनसे प्रशासन की सबसे निचली इकाई गांव तक उनका लाभ पहुंचे। हालांकि कई योजनाओं का विपक्ष ने केवल नाम भर बदले जाने का भी आरोप जड़ा।

निति आयोग की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें

नीति आयोग स्थापना के बाद से विवादों में क्यों है?

साथियों, आपको बता दें कि नीति आयोग अपनी स्थापना के बाद से ही विवादों के घेरे में रहा है। कई मुद्दों पर आंकड़ों के जाल में उलझी केंद्र सरकार को उससे उबारे जाने का कार्य भर किया। या फिर सरकार के लिए सफाई देने को आगे आने का काम किया। बीते साल फरवरी में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ अमिताभ कांत ने विकास दर में देश के पिछड़ने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को जिम्मेदार ठहराया था। जिसको लेकर बहुत बवाल हुआ था।अमिताभ कांत के बयानों पर राजनीति पूरी तरह गरमाई रही।

विपक्ष ने केंद्र सरकार पर बहुत निशाने साधे। संबंधित राज्यों की ओर से भी, और खास तौर पर वह राज्य जिनमें विपक्षी सरकारें थी, इन बयानों को आड़े हाथ लिया गया। मामला यहां तक जा पहुंचा कि आयोग के सीईओ को सफाई पेश करनी पड़ी। लेकिन यह कोई अकेला मामला नहीं था। इसके बाद जब इससे पहले बेरोजगारी दर के बीते 45 साल में अपने उच्चतम स्तर 6.1 पर पहुंच जाने का मामला सामने आया था तो भी नीति आयोग ने आनन-फानन में सरकार का बचाव किया था।

इन सारे विवादों को देखते हुए नीति आयोग की छवि बहुत खराब हो गई थी। जीडीपी के आंकड़ों को लेकर भी नीति आयोग सवालों के घेरे में था। इतना ही नहीं, बीते साल फरवरी में नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अपने अध्यापन का कार्य जारी रखेंगे और यूनिवर्सिटी ने और अवकाश बढ़ाने से इंकार कर दिया है, जबकि जानकारी यह थी कि इसके पीछे नीति आयोग में बढ़ती राजनीति को जिम्मेदार माना गया था।

अरविंद पनगढ़िया आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बाद दूसरे व्यक्ति थे जिन्होंने विदेश में जाकर अध्यापन का कार्य जारी रखने का फैसला किया था। अरविंद पनगढ़िया के बाद डॉ राजीव कुमार को नीति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। वही अभी इसके उपाध्यक्ष हैं।

नीति आयोग के सदस्य –

पद नाम
उपाध्‍यक्षडॉ. राजीव कुमार, अर्थशास्‍त्री
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)अमिताभ कांत
पूर्णकालिक सदस्‍य[डॉ विनोद पॉल],लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ

 

विजय कुमार सारस्वत, पूर्व डीआरडीओ सचिव

रमेश चंद, कृषि विशेषज्ञ

पदेन सदस्‍यराजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री

 

Nirmala sitaraman, केंद्रीय मंत्री

Narendra Singh tomar, केंद्रीय मंत्री

विशेष आमंत्रितनितिन गडकरी, सङक एंव परिवहन मंत्री

 

[थावरचंद गहलोत], केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारता मंत्री

[Ramesh nishak pokhriyak] मानव संसाधन विकास मंत्री

तो दोस्तों, यह थी नीति आयोग क्या है? और नीति आयोग के कार्य क्या हैं? के साथ ही नीति आयोग से जुड़ी हर वह जानकारी, जो आप जानना चाहते थे। और जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। अगर आप इससे इतर यानी कि अलग हटकर किसी अन्य बिंदु पर आधारित जानकारी चाहते हैं तो नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे अपनी बात साझा कर सकते हैं।

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नीति आयोग से संबंधित प्रश्न उत्तर

नीति आयोग क्या हैं?

यह एक ऐसा गठन है जिसमे देश मे उपलब्ध संसाधनों का आंकलन करना और पंचवर्षीय योजनाएं तैयार किया जाता हैं।

नीति आयोग के उपाअध्यक्ष और सीओ कौन हैं?

वर्तमान में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सीओ अमिताभ कांत जी हैं।

नीति आयोग का गठन क्यो किया गया था?

भारतीय नागरिको के लिए उनकी जरूरत आकांक्षाओ के अनुसार भारत सरकार योजनाओँ को लागू कर सके, इसलिए 1950 में नीति आयोग का गठन किया गया था।

नीति आयोग का क्या कार्य हैं?

नीति आयोग भारत सरकार को प्राथमिक कार्य और सामाजिक कार्य व आर्थिक मुद्दों पर सलाह देती है, फिर उसके अनुसार ही भारत सरकार लोगो के हित मे सरकारी योजनाओं को लागू करती हैं।

नीति आयोग के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्तमान समय में नीति आयोग के पहले अध्यक्ष हैं। जो की नीति आयोग के उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।

अगर आपकी इच्छा इसके अलावा किसी अन्य विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करना है, तो भी कोई मुश्किल नहीं। आप इस संबंध में भी हमसे कमेंट बॉक्स के जरिए संपर्क साध सकते हैं। हमारी यह पूरी पूरी कोशिश रहेगी कि हम आपको आपके पूछे गए विषय के बारे में बताएं, उसकी पूरी जानकारी उपलब्ध करा सकें। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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