चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव

|| चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा पर ही क्यों लगता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? चंद्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (What is lunar eclipse? Why it always happens on purnima? What should be done during lunar eclipse? What effect will Lunar eclipse have on different rashis?) ||

चंद्रग्रहण (lunar eclipse) को लेकर हमेशा से लोगों के मन में एक उत्सुकता बनी रही है। बहुत से लोग इसे महज एक वैज्ञानिक घटना मानते हैं, लेकिन अधिसंख्य ऐसे हैं जो हिंदू मान्यताओं पर विश्वास करते हैं। और जिन्हें लगता है कि चंद्र ग्रहण का उनके जीवन पर बड़ा असर पड़ता है। 8 नवंबर, 2023 को वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण लग रहा है। आज इस पोस्ट के जरिए हम आपको बताएंगे कि चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा पर ही क्यों लगता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? आदि। आइए, शुरू करते हैं-

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चंद्र ग्रहण क्या होता है? (What is lunar eclipse)

दोस्तों, यदि हम चंद्रग्रहण क्या होता है? (What is lunar eclipse?) इस सवाल का जवाब तलाशते हैं तो हमारे सामने चंद्रग्रहण लगने के दो पहलू सामने आते हैं। एक है चंद्रग्रहण लगने का वैज्ञानिक कारण (scientific reason) एवं दूसरा धार्मिक मान्यता (religious belief)। आइए, सबसे पहले बात विज्ञान से जुड़े पहलू की करते हैं। हम सभी ने अपने बचपन से विज्ञान की किताबों में पढ़ा है ही पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। यानी उसके चारों तरफ घूमती है। इसी प्रकार चंद्रमा हमारी पृथ्वी का चक्कर लगाता है।

दोस्तों, इस प्रक्रिया में एक समय ऐसा आता है, जब चांद, पृथ्वी एवं सूरज तीनों एक ही सीध में आ जाते हैं। ऐसे में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर तो पड़ता है, किंतु चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता। इस खगोलीय घटना को विज्ञान की भाषा में चंद्र ग्रहण कहा जाता है। अब चंद्र ग्रहण के पीछे की धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं पर बात कर लेते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के पश्चात अमृत के लिए देवों एवं दानवों में संघर्ष प्रारंभ हो गया। ऐसे में देवों की सहायता के लिए भगवान विष्णु मोहिनी के रूप में प्रकट हुए। मोहिनी ने दानवों को मोहित कर लिया। इसके पश्चात मोहिनी ने देवों एवं दानवों को अलग-अलग बैठाया और कहा कि पहले देवता अमृत पान करेंगे, इसके पश्चात दानवों की बारी आएगी।

सभी दानव मोहिनी की बातों में आ गए, किंतु सर्वभानु नामक एक दैत्य मोहिनी की चाल को समझ गया। वह चुपचाप देवताओं के बीच जाकर बैठ गया। चंद्रमा एवं सूर्य ने उसे ऐसा करते देख लिया। मोहिनी सर्वभानु को अमृतपान करा रही थी कि तभी चंद्रमा एवं सूर्य ने मोहिनी को उस दैत्य के बारे में बता दिया। इस पर मोहिनी का रूप धरे विष्‍णु क्रोधित हो अपने वास्‍तविक रूप में आ गए। उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उस दैत्य का गला काट दिया। किंतु तब तक अमृतपान करके वह अमर हो चुका था। इसलिए चक्र ने उसके शरीर के दो हिस्से कर दिए। सिर का हिस्सा राहु, जबकि धड़ का हिस्सा केतु कहलाया।

कहा जाता है कि तभी से राहु एवं केतु की सूर्य व चंद्रमा से शत्रुता है। जब भी राहु सूर्य को अपना ग्रास बनाता है तो सूर्य ग्रहण होता है, जब वह चंद्रमा को ग्रास बनाता है तो चंद्र ग्रहण होता है। यह चंद्रमा एवं सूर्य का संकट काल होता है। किंतु चूंकि राहु का धड़ नहीं होता, लिहाजा, कुछ समय पश्चात चंद्र एवं सूर्य उसके चंगुल से छूट जाते हैं और ग्रहण समाप्‍त हो जाता है। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान देवों पर संकट रहता है, इसीलिए इस दौरान मानसिक जाप किया जाता है, ताकि वे पुनः शक्ति प्राप्त कर सकें।

चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? चंद्र ग्रहण राशियों पर प्रभाव

चंद्र ग्रहण सदैव पूर्णिमा पर क्यों लगता है? (Why lunar eclipse always happens on purnima tithi?)

दोस्तों, आपने गौर किया होगा कि हिंदू पंचांग (hindu panchang) की गणना (calculation) के अनुसार चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा की तिथि पर ही लगता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है? नहीं न! तो आपको बता दें दोस्तों कि हिंदू हिंदू कैलेंडर (hindu calendar) के अनुसार हर एक माह में पूर्णिमा तिथि जरूर आती है। जब भी चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो उस दिन पूर्णिमा होती है। इस दिन सूर्य (Sun), पृथ्वी (Earth) एवं चंद्रमा (moon) तीनों एक सीध में होते हैं। जो चंद्र ग्रहण का कारण बनता है।

अब आप कहेंगे कि पूर्णिमा हर माह आती है, ऐसे में हर पूर्णिमा पर तो ग्रहण नहीं लगता। इसका जवाब यह है कि दरअसल, चंद्रमा हमारी पृथ्वी की कक्षा पर करीब 5 डिग्री तक झुका रहता है। इस झुकाव के कारण चंद्रमा हर बार पृथ्वी की छाया से होकर नहीं गुजरता है। जिसके कारण ज्यादातर मौके पर चंद्रमा पृथ्वी के ऊपर या नीचे से निकल जाता है। इस कारण से हर पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रग्रहण की घटना नहीं होती।

भारत में चंद्र ग्रहण को किस प्रकार की घटना माना जाता है? (How the incident of lunar eclipse is assumed in india?)

दोस्तों, बेशक चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना (astronomical incident) है। लेकिन हिंदू मान्यताओं की बात करें तो उसमें ग्रहण को शुभ घटना नहीं माना जाता। ग्रहण काल को सूतक काल माना जाता है। इस दौरान पूजा पाठ नहीं होता। मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण समाप्ति के उपरांत शुद्धि करण (purification) कर पुनः पूजा पाठ के लिए मंदिरों के कपाट खोले जाते हैं। इस अवसर पर भक्तजनों के बीच दान पुण्य करने की होड़ लगी रहती है।

इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण कब है? (When this year’s last lunar eclipse will take place?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि इस वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण 8 नवंबर, 2023 को लगेगा। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं, हिंदू पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा तिथि के दिन लग रहा है। इस चंद्रग्रहण की शुरुआत दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से होगी। वहीं, भारत में भारत में 4 बजकर 23 मिनट से लेकर 6 बजकर 19 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा। सूतक काल का समापन शाम 6 बजकर 19 मिनट पर होगा।

हमारे देश में पूर्ण चंद्रग्रहण कहां कहां रहेगा? (Where full solar eclipse can be seen in our country?)

मित्रों, चंद्रग्रहण से संबंधित जानकारी देने के पश्चात हम आपको यह बताएंगे कि हमारे देश यानी भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण कहां कहां रहेगा? दोस्तों, ये छह शहर इस प्रकार से हैं-

  • कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
  • कोहिमा (नागालैण्ड)
  • पटना (बिहार)
  • पुरी (ओडिशा)
  • रांची (झारखंड)
  • ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश)

दोस्तों, आपको बता दें कि इन शहरों के अतिरिक्त हमारे देश के अन्य शहरों में आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा। यदि आपको लग रहा है कि चंद्रग्रहण केवल भारत में रहेगा तो आपकी जानकारी को दुरुस्त करते हुए बता दें कि एशिया के साथ ही उत्तरी-पूर्वी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका में भी चंद्रग्रहण का असर रहेगा।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए? (what should not be done during lunar eclipse?)

मित्रों, यह माना जाता है कि चंद्र ग्रहण का प्रभाव पृथ्वी वासियों पर भी पड़ता है। चंद्र ग्रहण को लेकर विद्वत जनों द्वारा कई प्रकार की नसीहत दी जाती है। उनके अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान इस प्रकार के कार्य नहीं किए जाने चाहिए-

  • -चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना दोनों ही निषिद्ध हैं।
  • -चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए। यदि संभव हो तो घर के मंदिर पर भी पर्दा लगा दें।
  • -चंद्र ग्रहण के दौरान जितना हो सके, सोने से बचें। इसके अतिरिक्त जितनी देर ग्रहण लगे उतनी देर भगवान के नाम का जाप करें। माना जाता कि कि इससे देवों को शक्ति मिलती है। उनके संकट हरते है।
  • -गर्भवती महिलाओं के ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
  • -गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान चाकू अथवा कैंची का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान पेड़-पौधों को भी छूने से बचना चाहिए।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या किया जाना चाहिए? (What should be done during lunar eclipse?)

मित्रों, अब हम आपको बताएंगे कि चंद्र ग्रहण के दौरान क्या क्या किया जाना ज्योतिष शास्त्र सम्मत है। विद्वानों के अनुसार चंद्र ग्रहण को देखते हुए ये कार्य अवश्य किए जाने चाहिए-

  • -चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व खाने-पीने की सभी वस्तुओं में तुलसी के पत्ते अवश्य डालें।
  • -चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से लेकर इसके समाप्त होने तक ईश्वर के नाम का जप अवश्य करें।
  • -चंद्र ग्रहण की समाप्ति के पश्चात घर की साफ-सफाई अवश्य करें।
  • -चंद्र ग्रहण के पश्चात स्नान करें एवं पूरे घर में गंगा जल छिड़के।
  • -जब ग्रहण समाप्त हो जाए तो जरूरतमंदों को यथासंभव अन्न एवं अन्य वस्तुओं का दान करें।

चंद्र ग्रहण का किन राशियों पर क्या असर पड़ेगा? (What effect this lunar eclipse will have on different rashis?)

मित्रों, यह तो आप जानते ही हैं कि ग्रहण के दौरान बहुत नकरात्मकता फैल जाती है, किंतु इसका असर सभी राशियों पर नकारात्मक नहीं पड़ता। कुछ राशियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। आइए, जान लेते हैं कि इस चंद्र ग्रहण का किस राशि पर क्या असर पड़ेगा-

  1. मेष राशि- चंद्र ग्रहण के प्रभाव से आप अपने स्वास्थ्य को लेकर कुछ चिंतित हो सकते हैं। स्वास्थ्य हानि संभव है।
  2. वृष राशि – चंद्रग्रहण आपके शैय्या सुख पर ग्रहण लगा सकता है। आपके परिवार को लेकर आज आपको कुछ चिंता संभव है।
  3. मिथुन राशि – यह चंद्र ग्रहण आपके लिए अच्छा रह सकता है। इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से आपको सुख की प्राप्ति संभव है।
  4. कर्क राशि – इस चंद्र ग्रहण से आपके एवं आपके पिता के करियर पर ग्रहण लग सकता है। इसके अतिरिक्त मानसिक परेशानी की भी आशंका है।
  5. सिंह राशि- इस चंद्र ग्रहण से आपके जीवन में उतार-चढ़ाव लगे रह सकते हैं। पल में तोला, पर में माशा की स्थिति रहने की संभावना है।
  6. कन्या राशि – इस चंद्रग्रहण के प्रभाव से आपकी आयु में बढ़ोतरी की संभावना है। आपको धन लाभ भी हो सकता है।
  7. तुला राशि – इस चंद्रग्रहण से आपके जीवनसाथी के साथ आपके रिश्तों पर यह ग्रहण लगने एवं किसी अर्थ हानि की आशंका है।
  8. वृश्चिक राशि – इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से आपके स्वास्थ्य में थोड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
  • धनु राशि – इस ग्रहण के प्रभाव से आपको शारीरिक रूप से कुछ परेशानी उठानी पड़ सकती है ।
  • मकर राशि – यह चंद्र ग्रहण मकर राशि वालों को अच्छा फल दे सकता है। इस ग्रहण के प्रभाव से उन्हें धन लाभ के अवसर भी प्राप्त हो सकते हैं।
  • कुंभ राशि – कुंभ राशि वालों पर भी इस ग्रहण का अच्छा प्रभाव देखने को मिल सकता है। उनके भाई-बहनों के धन में वृद्धि होगी । इसके अतिरिक्त उन्हें भी उनसे आर्थिक रूप से सहयोग मिलेगा।
  • मीन राशि – मीन राशि वालों को इस ग्रहण के प्रभाव से अपने धन के प्रति कुछ चिंता हो सकती है या आर्थिक कठिनाई देखने को मिल सकती है।

इस वर्ष 2023 का अंतिम चंद्र ग्रहण कब है?

इस वर्ष 8 नवंबर को पड़ने वाला यह चंद्र ग्रहण साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है।

चंद्र ग्रहण क्या होता है?

जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक सीध में होते हैं तो ऐसे में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है किंतु चंद्रमा पर नहीं। इसे चंद्रग्रहण कहते हैं।

चंद्र ग्रहण किस प्रकार की घटना है?

विज्ञान की दृष्टि से चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है।

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चंद्र ग्रहण को लेकर हिंदू मान्यताओं में कौन सी कथा प्रचलित है?

इस कथा के विषय में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताया है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।

भारत में चंद्रग्रहण को किस प्रकार की घटना माना जाता है?

भारत में चंद्रग्रहण का बहुत महत्व है, लेकिन यहां इसको शुभ घटना नहीं माना जाता।

भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण कहां कहां रहेगा?

भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण कोलकाता (पश्चिम बंगाल), कोहिमा (नागालैण्ड), पटना (बिहार), पुरी (ओडिशा), रांची (झारखंड) एवं ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में रहेगा।

इस चंद्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर क्या असर पड़ेगा?

इसे हमने विस्तार से ऊपर पोस्ट में बताया है, आप वहां से देख सकते हैं।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में चंद्र ग्रहण के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि आप किसी अन्य विषय पर हम से जानकारी चाहते हैं तो उसका नाम हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट करके बता सकते हैं। सामान्य जागरूकता के मद्देनजर इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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