लिव इन रिलेशनशिप कानून, लिव इन में रहने वाली महिला के क्या अधिकार हैं?

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हमारे समाज में एक युवक-युवती के एक साथ रहने को सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता। लेकिन इन दिनों तमाम बड़े शहरों में लिव इन रिलेशनशिप खूब पनप एवं फल फूल रही हैं। खास बात यह है कि समाज बेशक उन्हें तिरछी नजर से देखे, लेकिन कानून उनके साथ खड़ा है।

ऐसे बहुत से मामलों में कोर्ट ने लिव इन में रहने वाले जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने के भी निर्देश दिए हैं, जिन्हें इस रिश्ते की वजह से अपने परिजनों अथवा समाज के किसी वर्ग से खतरा था।

लिव इन में रह रही महिलाओं को कानून में कई तरह के अधिकार दिए गए हैं। आज इस पोस्ट में हम आपको लिव इन रिलेशनशिप कानून एवं ऐसे रिश्ते में रहने वाली महिला के अधिकारों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं।

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लिव इन रिलेशनशिप क्या है?

दोस्तों, आपको बता दें कि भारत में इस संबंध में संसद में कोई कानून नहीं बनाया गया है, अपितु सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस संबंध में दिए गए आदेश को ही कानून मान लिया गया है। सामान्य शब्दों में कहें तो यह ऐसी व्यवस्था है, जिसमें दो लोग, जिनका विवाह नहीं हुआ है पति पत्नी की तरह साथ रह सकते हैं।

किंतु यह संबंध स्नेहात्मक एवं लंबे समय तक चलने वाला होना चाहिए। रात भर किसी के साथ गुजारने से लिव इन रिलेशनशिप नहीं कही जा सकती। सबसे बड़ी बात कि ऐसे दोनों लोग बालिग हों।

1978 में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी तौर पर सही ठहराया –

दोस्तों, आपको बता दें कि आज से करीब 43 साल पहले सन् 1978 में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने पहली बार लिव इन रिलेशनशिप (live in relationship) को कानूनी तौर (legally) पर सही कहा। जस्टिस कृष्ण अय्यर ने कहा कि यदि पार्टनर लंबे समय तक पति पत्नी की तरह साथ रहे हैं तो पर्याप्त कारण है कि इसे विवाह माना जाए।

लिव इन रिलेशनशिप कानून, लिव इन में रहने वाली महिला के क्या अधिकार हैं?

उन्होंने आगे लिखा कि इसे चुनौती दी जा सकती है, लेकिन यह संबंध विवाह नहीं था, इसे साबित करने का दायित्व उस पक्ष पर होगा, जो इसे शादी मानने से इन्कार कर रहा है। आपको बता दें कि अब तक समाज में विवाह एक धार्मिक कृत्य हुआ करता था, लिहाजा वह एक ऐतिहासिक फेसला था।

दोस्तों, आपको बता दें कि 15 साल पहले यानी 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में फैसला देते हुए कहा था कि वयस्क होने के बाद व्यक्ति किसी के भी साथ रहने अथवा शादी करने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने साफ किया था कि कुछ लोगों की निगाह में अनैतिक माने जाने के बावजूद ऐसे रिश्ते में रहना कोई अपराध (crime) नहीं।

घरेलू हिंसा अधिनियम के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप की परिभाषा क्या है?

मित्रों, आपको बता दें कि घरेलू हिंसा अधिनियम (domestic violence act)- 2005 की धारा 2(f) के तहत लिव इन रिलेशनशिप को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार

  • 1-लिव इन रिलेशनशिप के लिए एक जोड़े का पति-पत्नी की तरह साथ रहना जरूरी है। हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा (time limit) निर्धारित नहीं है, लेकिन लगातार साथ रहना आवश्यक है। कभी कोई साथ रहे, फिर अलग हो जाए एवं फिर कुछ दिन साथ रहे, ऐसे संबंध को लिव इन की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।
  • 2-लिव इन में रहने वाले जोड़े का एक ही घर में साथ-साथ पति पत्नी की तरह रहना आवश्यक है।
  • 3-जोड़े को संयुक्त रूप से एक ही घर के सामान का इस्तेमाल करना होगा।
  • 4- लिव इन में रह रहे जोड़े को घर के कार्यों में एक दूसरे की सहायता करनी होगी।
  • 5- यदि लिव इन में रह रहे जोड़े के बच्चे हो जाएं तो उन्हें भरपूर प्रेम व स्नेह देना होगा। साथ ही उनका उचित पालन-पोषण करना होगा।
  • 6- यह संबंध वैध है, लिहाजा समाज को इसकी जानकारी होनी चाहिए।
  • 7- यह सबसे जरूरी बात है इस संबंध में रहने के लिए दोनों पार्टनर का वयस्क होना आवश्यक है।

लिव इन रिलेशनशिप जीवन के अधिकार (right to life) की श्रेणी में –

अपको बता दें कि लिव इन रिलेशनशिप को कोर्ट संविधान के अनुच्छेद (section)-21 के तहत दिए गए राइट टू लाइफ यानी जीने के अधिकार की श्रेणी में करार देता है। लोग बेशक इस संबंध को सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों की कसौटी पर कसें, लेकिन यह दो लोगों की निजी जिंदगी से जुड़ा मसला है।

कोर्ट कई मामलों में यह कह चुकी है कि लिव इन रिलेशनशिप को पर्सनल आटोनामी (personal autonomy) यानी व्यक्तिगत स्वायत्तता के चश्मे से देखने की आवश्यकता है। सामाजिक नैतिकताओं की धारणाओं से नहीं।

यदि जोड़े में से एक पहले से शादीशुदा तो उसे लिव इन यानी साथ रहने का अधिकार नहीं –

दोस्तों, आपको बता दें कि लिव इन रिलेशनशिप में दो गैर शादीशुदा अथवा दो तलाकशुदा, अथवा जिनके पार्टनर गुजर गए हैं, ऐसे लोग साथ रह सकते हैं। लेकिन यदि जोड़े में से कोई एक शख्स भी पहले से शादीशुदा है तो उसे लिव इन यानी साथ रहने का अधिकार नहीं होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से 15 जून, 2021 को एक जोड़े की लिव इन याचिका पर दिए गए आदेश में भी यह साफ किया गया है। इसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि वह लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है, लेकिन ऐसे जोड़े को साथ रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जिसमें से एक पहले से ही शादीशुदा हो। उसने यह भी साफ किया कि यदि दो बालिग लोग साथ रहना चाहते हैं, एवं अविवाहित हैं तो इसमें कानून कोई अड़चन नहीं है।

आपको बता दें कि यह सुरक्षा याचिका थी एवं एक ऐसे जोड़े की ओर से दी गई थी, जो लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते थे, लेकिन लड़की इसमें पहले से शादीशुदा थी। कोर्ट ने यह सुरक्षा याचिका तो खारिज की ही, याचिकाकर्ता पर पांच हजार रूपये का जुर्माना भी ठोका। हालांकि कुछ समय पूर्व एक फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा व्यक्ति को लिव इन में रहने की इजाजत दे दी थी।

समाज में अवैध संबंधों को बढ़ावा देने वाली याचिका स्वीकार नहीं –

लिव इन में रहने की इच्छा रखने वाले ऐसे जोड़े की ओर से दायर सुरक्षा याचिका पर, जिनमें से एक शादीशुदा था, एक जस्टिस कौशल जयेंद्र ठाकुर एवं दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा कि वे ऐसी याचिका नहीं स्वीकार कर सकते, जो समाज में अवैध संबंधों को बढ़ावा दे।

उन्होंने जोड़े के संबंध को हिंदू विवाह अधिनियम (hindu marriage act) के खिलाफ बताया। साथ ही कहा कि संविधान का अनुच्छेद-21 स्वतंत्रता की अनुमति तो देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता उस कानून के दायरे में होनी चाहिए, जो उन पर लागू होता है।

लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला के अधिकार –

लिव इन रिलेशनशिप कानून, लिव इन में रहने वाली महिला के क्या अधिकार हैं?

अब आपको बताते हैं कि लिव इन में रह रही महिला पक्षकार के क्या क्या अधिकार हैं-

1- लिव इन में रह रही महिला को भरण पोषण का अधिकार –

दोस्तों, सबसे पहली बात यह है कि लिव इन में रह रही महिला को भरण पोषण की मांग करने का अधिकार है। इस संबंध में कोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि महिला को यह कहकर भरण पोषण के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता कि उन्होंने कानूनी विवाह नहीं किया है।

2- लिव इन से उत्पन्न संतान को माता-पिता की संपत्ति में अधिकार –

लिव इन में रहने के दौरान यदि कोई संतान उत्पन्न होती है तो उसे अपने माता-पिता की संपत्ति (property) में पूरा अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इससे कोई भी लिव इन में रहने वाला जोड़ा नहीं बच सकता।

हाल ही में नुसरत जहां की वजह से चर्चा में रही लिव इन रिलेशनशिप –

मित्रों, हाल ही में लिव इन रिलेशनशिप चर्चा में रही। तृणमूल कांग्रेस सांसद एवं बंगाली अभिनेत्री नुसरत जहां की वजह से लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कई सवाल उठे। नुसरत का दावा था कि बिजनेसमैन निखिल जैन के साथ उनका विवाह कानूनी नहीं है, वरन वे उनके साथ लिव इन रिलेशनशिप में हैं।

उनका कहना था कि उनकी शादी तुर्की में हुई थी। इसे भारतीय कानून (indian law) के मुताबिक मान्यता नहीं। अंतरधार्मिक विवाह होने के नाते इसे भारत में विशेष विवाह अधिनियम (special marriage act) के तहत मान्यता की आवश्यकता थी।

लिव इन रिलेशनशिप को लेकर बयान पर दक्षिण भारतीय फिल्म अभिनेत्री खुशबू पर भी दर्ज हुए मुकदमे –

साथियों, शायद आपको याद हो। दक्षिण भारतीय अभिनेत्री खुशबू ने 2005 में लिव इन रिलेशनशिप एवं विवाह पूर्व सेक्स संबंधों के पक्ष में बोला तो खूब बवाल मचा। कई संगठन उनके खिलाफ खड़े हो गए। उन पर भारतीय संस्कृति को ठेस पहुंचाने के आरोप जड़े गए।

साथ ही, उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए थे। लेकिन इसके ठीक पांच साल बाद यानी सन् 2010 में दिए गए फैसले में कोर्ट ने खशबू को निर्देश ठहराया। उसने कहा कि साथ रहना जीवन के अधिकार का हिस्सा है। इस वजह से यह गैर कानूनी नहीं है।

तलाक (divorce) लिए बगैर लिव इन रिलेशनशिप में रहे तो क्या होगा –

दोस्तों, यह तो हमने आपको बताया कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए जोड़े में से किसी का भी पति पत्नी नहीं होना चाहिए। तलाकशुदा अवश्य लिव इन में रह सकते हैं। लेकिन क्या होगा यदि कोई तलाक लिए बगैर लिव इन रिलेशनशिप में रहे तो? इस सवाल का जवाब यह है कि ऐसा करना भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी (IPC) की धारा 494 के तहत अपराध माना जाएगा।

इस धारा के अंतर्गत प्रावधान किया गया है कि यदि कोई भी पति अथवा पत्नी के जीवित होते हुए ऐसी स्थिति में विवाह करेगा, जिसमें पति अथवा पत्नी के जीवनकाल में विवाह करना अमान्य होता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे सात सात तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही अर्थदंड से दंडित किया जाएगा।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पति से तलाक बगैर लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली एक महिला की सुरक्षा याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि इस तरह के संबंध व्यभिचारी जीवन के अंतर्गत आते हैं। ये लिव इन रिलेशनशिप अथवा रिलेशनशिप के दायरे में नहीं आते।

इसी तरह के एक मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहित व्यक्ति के साथ रह रही एक विधवा को पुलिस सुरक्षा से वंचित कर दिया। उसने कहा कि याचिकाकर्ताओं के बीच ऐसा संबंध लिव इन रिलेशनशिप के दायरे में नहीं आता, बल्कि इस तरह के रिश्ते विशुद्ध रूप से ‘अवैध’ एवं ‘असामाजिक’ हैं।

लिव इन रिलेशनशिप में बच्चे पैदा किए जा सकते हैं, गोद नहीं लिए जा सकते –

दोस्तों, यह एक अहम जानकारी है। आपको बता दें कि यदि कोई जोड़ा लिव इन रिलेशनशिप में है तो वह बच्चे अवश्य पैदा कर सकता है, लेकिन उसे किसी बच्चे को गोद लेने का अधिकार नहीं होगा।

यह अलग बात है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत लिव इन रिलेशनश्पि से जन्मे बच्चे को वह सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे, जो एक कानूनन शादीशुदा जोड़े के बच्चे को मिलते हैं।

लिव इन रिलेशनशिप में धोखा देना भी दंडनीय अपराध –

यदि आप भी लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं तो आपके लिए यह एक अहम जानकारी है। आपको बता दें कि यदि लिव इन रिलेशनशिप में एक पार्टनर दूसरे को धोखा देता है तो यह दंडनीय अपराध होगा।

ऐसे में पीड़ित चाहे तो आईपीसी की धारा 497 के अंतर्गत मामला दर्ज कराकर संबंधित व्यक्ति को सजा दिला सकता है। लेकिन इसके लिए पीड़ित को साबित करना होगा कि आरोपित पक्ष के साथ उसका लिव इन रिलेशनशिप है।

लिव इन में रह रहे जोड़े को परिजन अथवा किसी अन्य से खतरा हो तो सुरक्षा याचिका दायर कर सकते हैं –

कानून में यह सुविधा दी गई है कि यदि लिव इन में रह रहे जोडे़ को अपने किसी परिजन अथवा किसी अन्य से खतरा हो तो वह कोर्ट में सुरक्षा याचिका दायर कर अपने लिए सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगा सकता है। ऐसे ढेरों मामलों में कोर्ट पुलिस को संबंधित जोड़े को सुरक्षा उपलब्ध कराने संबंधी आदेश दे चुकी है।

किस तरह साबित कर सकते हैं लिव इन रिलेशनशिप –

लिव इन रिलेशनशिप की बात साबित करनी यद्यपि थोड़ी मुश्किल मानी जाती है, किंतु कुछ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से इसे साबित किया जा सकता है। मसलन रेंट एग्रीमेंट (rent agreement), ज्वाइंट बैंक एकाउंट (joint bank account), पार्टनरशिप बिजनेस (partnership business) के दस्तावेज (documents) अथवा बायोलाॅजिकल चाइल्ड (biological child) के जरिये इसे साबित किया जा सकता है।

लिहाजा, लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे पार्टनर्स को हमेशा इन कागजात, documents को लेकर जागरूक रहना चाहिए।

किस स्थिति में महिला को मिल सकता है संपत्ति में अधिकार –

दोस्तों, जैसा कि हमने आपको बताया कि लिव इन में रह रही जोड़ीदार अपने साथी से भरण पोषण यानी गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार रखती है, लेकिन वह उसकी संपत्ति में कानूनी अधिकार नहीं रखती। अब हम आपको बताएंगे कि किन स्थितियों में महिला को साथी की संपत्ति में अधिकार मिल सकता है। में इस प्रकार से हैं–

  • यदि महिला अपने नाम संपत्ति की वसीयत (will) करा ले।
  • महिला इंश्योरेंस पाॅलिसी (insurance policy) में लिव इन पार्टनर के नाॅमिनी (nominee) के रूप में स्वयं को दर्ज करा ले।
  • लिव इन में रहने वाले एग्रीमेंट (live in agreement) के जरिये। दोस्तों, यह बात ध्यान रखें कि इसके लिए लिव इन में रहने वालों को रजिस्ट्रार आफिस में एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन (registration) कराना होगा। इसमें संपत्ति के हक का स्पष्ट उल्लेख हो।

केवल साथी के जीवित रहते ही महिला गुजारा भत्ता के लिए दावा कर सकती है –

दोस्तों, आपको बता दें कि महिला लिव इन पार्टनर गुजारा भत्ता के लिए दावा केवल साथी के जीवित रहते ही कर सकती है। यदि पुरूष लिव इन पार्टनर की मौत हो जाती है तो महिला को गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा।

आपको बता दें कि महिला पार्टनर दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CRPC) की धारा 125 के अंतर्गत भी गुजारा भत्ता मांग सकती है।

बड़े शहरों में लगातार बढ़ी रही लिव इन में रहने वालों की संख्या –

मित्रों, आप भी इस तथ्य से नावाकिफ नहीं होंगे। बड़े शहरों में लिव इन रिलेशनशिप में रहने का कल्चर फल फूल रहा है। ऐसा करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। किराए पर मकान मिलने में मुश्किल, एक की तनख्वाह में मुश्किल से काम चलना, अकेलापन जैसी कई वजहें हैं, जिसकी वजह से युवक युवती साथ रहने का फैसला कर लेते हैं।

इसके अलावा कई जोड़े ऐसे भी हैं, जो एक दूसरे को समझने की गरज से विवाह से पहले साथ रहने का फैसला करते हैं। उन्हें लगता है कि साथ रहकर ही वे एक दूसरे को अच्छी तरह से जान पाएंगे।

कई बालीवुड कलाकार भी लिव इन रिलेशनशिप में रहे, युवा भी इनके लाइफ स्टाइल से प्रभावित –

दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि नई पीढ़ी के युवा बाॅलीवुड कलाकारों से भी प्रभावित होते हैं, एवं बहुत सारे युवाओं ने उन्हीं की तरह लिव इन रिलेशनशिप में रहने को उन्होंने फालो (follow) किया है। आइए, आपको बताते हैं कि वे कौन से बाॅलीवुड स्टार हैं, जो लिव इन रिलेशनशिप में रहे, लेकिन दुख की बात कि उनकी बात शादी तक नहीं पहुंची।

सबसे पहले बात फिल्म अभिनेता जाॅन अब्राहम एवं बिपाशा बसु की। यह दोनों कलाकार करीब एक दशक तक लिव इन में रहे, लेकिन इसके बाद उन्होंने अलग अलग होकर शादी का विकल्प चुना। अब दोनों अपनी जिंदगी में खुश हैं। अब बात करें रणबीर कपूर एवं कटरीना कैफ की।

वे मुंबई के बांद्रा में एक अपार्टमेंट में रहते थे, लेकिन बाद में अलग हो गए। अब रणबीर कपूर आलिया भट्ट के साथ रिश्ते में हैं तो वहीं कटरीना नए फिल्म अभिनेता विकी कौशल के साथ शादी रचा चुकी हैं। सुशांत सिंह राजपूत एवं अंकिता लोखंडे भी टीवी सीरियल करते हुए काफी समय तक एक ही अपार्टमेंट में लिव इन में रहे।

लेकिन बाद में सुशांत सिंह राजपूत के फिल्मों में एंट्री के बाद यह जोड़ी अलग हो गई। लारा दत्ता एवं केली दोरजी के बीच भी लिव इन रिलेशनशिप रही। हालांकि उनका मामला भी शादी तक नहीं पहुंचा।

लिव इन रिलेशनशिप के फायदे –

दोस्तों, दुनिया में हर चीज के फायदे व नुकसान दोनाें हैं। ऐसी कोई चीज नहीं, जिसका किसी व्यक्ति को केवल लाभ ही लाभ हो और ऐसी भी कोई चीज नहीं जिसकी केवल हानि ही हो। आज हम आपको लिव इन रिलेशनशिप के भी फायदे व नुकसान की जानकारी देंगे। पहले बात फायदे की करते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • लिव इन रिलेशनशिप में वैवाहिक जिम्मेदारियां लागू नहीं होती।
  • दो लोग खुले दिल दिमाग से एक दूसरे को स्वीकारते हैं।
  • वे प्रेम व सम्मान से साथ रहते शादीशुदा जिंदगी की सच्चाई एवं जिम्मेदारियों से अवगत हो जाते हैं।
  • एक साथ रहने से उनके पैसे की बचत होती है।
  • वैवाहिक जीवन को संभालने का हुनर आता है। छोटी मोटी समस्याओं से निबटने का हुनर आ जाता है।
  • साथ रहने से रिश्ते का भविष्य समझ आता है। अच्छी अंडरस्टैंडिंग बाद में शादी में बदल जाती है।
  • कभी भी इस रिश्ते से बाहर हुआ जा सकता है। ऐसे में तलाक जैसे झंझट से सामना नहीं होता।

लिव इन रिलेशनशिप के नुकसान –

मित्रों, अब बात करते हैं लिव इन रिलेशनशिप के नुकसान की, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • चूंकि यह विवाह जैसा बंधन नहीं, ऐसे में दूसरे पार्टनर के मन में हमेशा साथी के छोड़ जाने का खटका बना रहता है।
  • दो लोगों के लिव इन रिलेशनशिप की वजह से उनके पूरे परिवार को तनाव झेलना पड़ता है, क्योंकि इस रिश्ते को समाज में अभी भी अच्छी नजर से नहीं देखा जाता।
  • लिव इन में यदि पार्टनर बुरा साबित होता है तो रिश्ता टूटने के बाद आपको लंबे समय तक यह बात खलती रहेगी। आपको किसी दूसरे पर भरोसा करना मुश्किल होगा।
  • ऐसा रिश्ता टूटने पर महिला को अधिक शारीरिक (physical), मानसिक (mental) एवं सामाजिक तनाव एवं अवसाद (depression) झेलना पड़ता है।
  • इस तरह के रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को समाज में तिरस्कार ही झेलना पड़ता है। ऐसे में वे तनावग्रस्त हो जाते हैं।
  • शादी के बाद रिश्ते में जो आदर सम्मान देखने को मिलता है, वह लिव इन रिश्तों में मुश्किल से देखने को मिलता है।

लिव इन रिलेशनशिप के 10 फीसदी मामले ही शादी तक पहुंचते हैं –

साथियों, यह एक कड़वा सच है। आपको बता दें कि लिव इन रिलेशनशिप के केवल 10 प्रतिशत मामले ही शादी तक पहुंच पाते हैं। 90 प्रतिशत रिश्तों के भाग्य में टूटना ही बदा होता है। इसकी वजह यह है कि दोनों ही लिव इन की जगह शादी को अधिक टिकाऊ रिश्ता पाते हैं।

उसमें सामाजिक बंधनों के साथ कुछ कानूनी एवं आर्थिक बंधनों का भी पुट रहता है। ऐसे में दोनों ही इस तरह के संबंधों में रहने को भुलाकर बाद में विवाह बंधन को अधिक सुरक्षित पाते हैं। एक दूसरे से बोर होकर इस रिलेशनशिप को खत्म कर देने के किस्से भी बेहद आम हैं।

लोग अभी भी इन संबंधों को अच्छी नजर से नहीं देखते –

बेशक कानून लिव इन रिलेशनशिप को मान्य करार दे, लेकिन बात भारतीय समाज की करें तो लोग अभी भी इन संबंधों को अच्छी नजर से नहीं देखते। ऐसे संबंधों में रहने वाले लोगों को लेकर बातें बनने एवं फब्तियां कसने का दौर खत्म नहीं होता। छोटे शहरों में जहां लोग एक दूसरे को जानते हैं, इस तरह के रिश्ते में रहने वालाें का जीना मुहाल हो जाता है।

ऐसे संबंध में रह रहा कोई व्यक्ति यदि बाद में विवाह करना चाहे तो उसके लिए और मुश्किल खड़ी हो जाती है। उसका बीता समय उसके वर्तमान के सामने आकर खड़ा हो जाता है।

भारत में लिव इन रिलेशनशिप के तहत मिलने वाले अधिकारों पर जागरूकता नहीं –

यह जागरूकता के स्तर पर एक चिंतित करने वाली अवस्था है, लेकिन यह सच है। आपको बता दें कि विदेश में अवश्य लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग जागरूक हैं, लेकिन भारत में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों में जागरूकता देखने को नहीं मिलती।

जैसा कि हमने आपको बताया कि भारत में भी लिव इन में रहने वाली महिलाओं को, बच्चों को अधिकार मिलते हैं, लेकिन वे इसके प्रति अलर्ट नहीं। वहीं, विदेशों में इसके उलट अपने कानूनी अधिकारों को लेकर लोग अलर्ट हैं। भारत में जानकारी के अभाव में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कई बार मुश्किलों का सामना करते हैं।

कई बार वे इस तरह के रिश्ते को लेकर अपराधबोध से भी ग्रसित नजर आते हैं। लेकिन अपराधबोध होने से अधिक आवश्यक है अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता, जो किसी स्तर पर नहीं।

बालीवुड में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कई फिल्में बनी हैं –

साथियों, यह तो आप जानते ही हैं कि फिल्में समाज का आईना होती हैं। वह समाज की अच्छाईयों, बुराईयों को बड़े पर्दे पर दिखाने के साथ ही कई बार समाज में चल रहे ट्रेंड पर भी फोकस करती हैं। इसी तरह लिव इन रिलेशनशिप को आधार बनाकर भी कई फिल्में बनाई गई हैं।

इनमें कुछ के नाम लें तो कार्तिक आर्यन की ‘लुका छिपी’, लव रंजन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘प्यार का पंचनामा’, सुशांत सिंह राजपूत, परिणति चोपड़ा एवं वाणी कपूर के अभिनय से सजी ‘शुद्ध देसी रोमांस’, रणवीर सिंह एवं वाणी कपूर अभिनीत ‘बेफिक्रे’, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण एवं डायना पेंटी की स्टार कास्ट के साथ रिलीज हुई ‘काॅकटेल’, कई साल पहले आई सैफ अली खान एवं प्रीति जिंटा स्टारर ‘सलाम नमस्ते’ आदि के नाम खास तौर पर लिए जा सकते हैं।

लिव इन के दोनों पक्षकारों का स्वस्थ चित्त होना भी जरूरी –

लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले दोनाें पक्षकारों का स्वस्थ चित्त होना भी आवश्यक है। यदि महिला अथवा पुरूष में कोई मानसिक कमजोरी है एवं वे किसी मामले में सहमति देने में सक्षम नहीं तो ऐसे में लिव इन रिलेशनशिप नहीं माना जाएगा। आपसी सहमति से संबंध रखना लिव इन रिलेशनशिप का एक बड़ा उसूल है।

लिव इन में हों तो इन बातों का ध्यान अवश्य रखें –

मित्रों, यदि आप किसी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में हों तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें, ताकि आप सुरक्षित रहें-

  • ध्यान रखें कि आपके पार्टनर के पास आपका कोई ऐसा फोटो अथवा वीडियो न हो, जिसके आधार पर वह आपको बाद में अथवा रिश्ता टूटने पर ब्लैकमेल कर सके।
  • पार्टनर के साथ अपना कोई भी ऐसा सीक्रेट शेयर न करें, जिससे वह आपको बाद में किसी भी तरह से परेशान कर सके।
  • अपने परिवार वालों को अपने लिव इन पार्टनर के विषय में अवश्य सूचित करें।
  • ध्यान दें कि कहीं पार्टनर ने आपका फैमिली स्टेटस (family status) देखकर अथवा आपके साथ केवल पैसे के लिए तो रिलेशनशिप नहीं बनाया है।
  • कहीं आपके पार्टनर की नीयत धोखाधड़ी की तो नहीं। कहीं वह किसी और के साथ भी तो रिलेशनशिप में नहीं।
  • कहीं आपके पार्टनर को ऐसा कोई संक्रामक रोग तो नहीं, जिसकी वजह से आपको बाद में लेने के देने पड़ जाएं।
  • लिव इन रिलेशनशिप के दौरान ही इसे साबित करने वाले दस्तावेज जरूर सुरक्षित करें।
  • यदि किसी भी प्वाइंट पर आपको अपने लिव इन पार्टनर से धोखाधड़ी मिले तो कोर्ट का रास्ता अख्तियार करने से न चूकें। याद रखिए कानून दो बालिग लोगों के बीच रिश्ते का सम्मान करते हुए अपना फैसला देता है।

लिव इन रिलेशनशिप क्या है?

जब दो गैर शादीशुदा, तलाकशुदा अथवा, जिनके साथी गुजर गए हों, लंबे समय तक पति पत्नी की तरह साथ रहते हैं तो वह लिव इन रिलेशनशिप माना जाएगा।

क्या लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भारतीय संसद ने कोई कानून पास किया है?

जी नहीं, लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भारतीय संसद ने कोई कानून पास नहीं किया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ही कानून की तरह ट्रीट किया जाता है।

क्या चंद दिन साथ रहने से ही लिव इन रिलेशनशिप माना जाएगा?

जी नहीं, इसके लिए जोड़े का लगातार साथ रहना, घर के कामों में भागीदारी एवं घर के सामान का इस्तेमाल करना आवश्यक होगा।

क्या लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को कानूनी मान्यता है?

जी हां, ऐसे बच्चे को वह सभी अधिकार दिए जाएंगे, जो कानूनन शादीशुदा जोड़े के बच्चे को मिलते हैं।

क्या एक शादीशुदा व्यक्ति लिव इन में रह सकता है?

जी नहीं, तलाक लिए बगैर एक शादीशुदा व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता। यह अपराध होगा।

क्या लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला को भरण पोषण मांगने का अधिकार होगा?

जी हां, लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला को अपने साथी से भरण पोषण का खर्च मांगने का अधिकार होगा।

लिव इन रिलेशनशिप को संविधान के किस अनुच्छेद में राइट टू लाइफ की श्रेणी में रखा गया है?

लिव इन रिलेशनशिप को संविधान के अनुच्छेद 21 में राइट टू लाइफ की श्रेणी में रखा गया है।

यदि लिव इन में रह रहे किसी जोड़े को अपने परिजनों अथवा किसी अन्य से खतरा हो तो वह क्या कर सकता है?

यदि जोड़े को परिजनों अथवा किसी अन्य की ओर से खतरा है तो वह कोर्ट में सुरक्षा याचिका दायर कर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग कर सकता है।

यदि तलाक लिए बगैर लिव इन में रहे तो क्या होगा?

यदि तलाक लिए बगैर आप लिव इन में रहते हैं तो इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत अपराध माना जाएगा एवं इसके लिए निर्धारित सजा के हकदार होंगे।

दोस्तों, हमने आपको लिव इन रिलेशनशिप को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके काम आएगी। यदि आप इसी तरह के किसी हटकर अथवा जनोपयोगी विषय पर हमसे जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट कर सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों का हमें हमेशा की भांति इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (10)

  1. यदि कोई तलाकशुदा महिला अविवाहित पुरुष पर 376 का झूठा आरोप लगाकर शादी का दबाव बनाए और थाने में रिपोर्ट करें तो पुरुष को क्या करना चाहिए?

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  2. अगर कोई महिला 10 साल से अपने साथी के साथ रह रही है।उसका अपने पती के साथ कोर्ट मे केस चालू है तथा खावटी(maintenance)मिलती है तो वह अपने साथी के साथ लीव ईन मे रहना जायज है??

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    • अगर मामला कोर्टे में चल रहा है तो किसी अन्य व्यक्ति के साथ लीव ईन मे रहना जायज नहीं है.

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  3. MERA BHAI BINA TLAK KE KISI DUSRI CAST KI ORET KE SATH RAHTA H OR US ORET KA BHI TLAK NHI HUAA H MERE BHAI KE 3 BACHE H JO JWAN HO RHE H PULIS BHI KUCH NHI KARTI ESE ME HAM KYA KRE HAM BHUT PROBLEM ME H PLEAS BTAEYE.

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  4. Ek shadi shuda insan 7 saalo se apne life partner se alg rh rha ho bina relationship k to kya wo kisi or k sath live in me rh skta h…7 saal k baad shadi kharij ho jati h ya ni

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    • आप तलाक लेकर दूसरी शादी कर सकते हैं ।

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