जनहित याचिका क्या होती है? जनहित याचिका कैसे लगाए? What is PIL in Hindi?

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Janhit Yachika kya hoti hai, आजकल आप समाचार में जनहित याचिका शब्द के बारे में बहुत सुनते होंगे। तो आपके मन में यह प्रश्न उठता होगा कि आखिरकार यह जनहित याचिका होती क्या हैं और इसका हमसे क्या संबंध होता हैं। जब कभी भी हम समाचार चलाते हैं तो हमारे सामने (Janhit Yachika kya hai) कोई ना कोई समाचार तो जनहित याचिका से जुड़ा आ ही जाता हैं।

जैसे कि समाचार में बताया जा रहा हो कि कोर्ट के द्वारा यह जनहित याचिका स्वीकार की गयी तो उसे निरस्त कर दिया गया या फिर उस जनहित याचिका पर संबंधित व्यक्ति को नोटिस दिया गया इत्यादि इत्यादि।

ऐसे में आज हम इसी मुद्दे पर ही बात करने वाले हैं। आज के इस लेख में आपको जनहित याचिका से जुड़ी संपूर्ण जानकारी मिलने वाली हैं। यदि (What is PIL in Hindi) आपके मन में कुछ इस तरह के प्रश्न उठ रहे हैं कि यह जनहित याचिकाएं होती क्या हैं, इसका आम नागरिक से क्या संबंध हैं और किस तरह से आप भी कोर्ट में अपनी ओर से जनहित याचिका लगा सकते हैं तो आज उन सभी प्रश्नों का उत्तर आपको मिल जाएगा।

आज के इस लेख में आपको (Janhit Yachika in Hindi) जनहित याचिका से जुड़े हर एक चीज़ की बारीकी से जानकारी दी जायेगी। उक्त जानकारी को जानने के बाद आपका जनहित याचिका से जुड़ा कोई भी प्रश्न शेष नही रह जाएगा। आइए जाने जनहित याचिका से जुड़ी हर चीज़ की जानकारी विस्तार से।

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जनहित याचिका क्या होती है? (Janhit Yachika kya hoti hai)

तो आपने जनहित याचिका का नाम तो सुन ही रखा होगा और आपको इसके बारे में थोड़ा बहुत आईडिया भी होगा लेकिन फिर भी हम इसे स्पष्ट शब्दों में आपके सामने रख देते हैं ताकि आपके मन में जनहित याचिका को लेकर कोई शंका ना रहे। तो आप सामान्य तौर पर कोर्ट में (Janhit Yachika kya hota hai) लगने वाले कई तरह के केस के बारे में तो सुनते ही होंगे।

अब कोर्ट में मुख्य रूप से दो तरह के पक्ष ही होते हैं। एक होता हैं पीड़ित पक्ष और दूसरा होता है अपराधी पक्ष। इसमें दोनों ही पक्ष अपने अपने वकील की मदद से अपना अपना पक्ष रखते हैं और कोर्ट द्वारा संपूर्ण मामला सुने जाने के बाद अंत में उसका निर्णय सुना दिया जाता हैं।

किंतु भारतीय न्यायिक व्यवस्था ने जनता से जुड़े सार्वजनिक मामलों को देखते हुए जनहित याचिका का कांसेप्ट शुरू किया। यह अवधारणा अमेरिका गणराज्य से (Janhit Yachika ki shuruaat) ली गयी थी जहाँ पर जनहित याचिका का प्रस्ताव बहुत पहले से हैं। तो भारत सरकार ने इसे अमली जमा पहनाने के लिए इसे एक कानून का रूप दे दिया। इसके तहत भारत का कोई भी नागरिक कोर्ट में जनहित याचिका को दायर करने के लिए स्वतंत्र हो गया फिर चाहे वह पीड़ित पक्ष हो या नही।

अब इसके तहत आप और हम कोई भी न्यायालय में जनहित याचिका को दायर कर सकता था और जनता के मुद्दों की आवाज उठा सकता था। इसको विस्तार से समझने के लिए जरा इसकी परिभाषा को पढ़ लेते हैं ताकि आपको पूरी तरह से इसकी क्लेअरिटी मिल जाए।

जनहित याचिका क्या होती है? जनहित याचिका कैसे लगाए? What is PIL in Hindi?

जनहित याचिका की परिभाषा (Janhit Yachika kya hai)

तो जनहित याचिका की परिभाषा जानने के लिए आपको हमारे द्वारा लिखे गए अब के शब्द बहुत ही ध्यान से पढ़ने होंगे। एक जनहित याचिका की परिभाषा के अनुसार “भारत का कोई भी नागरिक/ संस्था/ सरकार/ कंपनी/ समूह/ स्वयं न्यायालय या कोई भी अन्य भारत का रहवासी भारत की उच्च या उच्चतम न्यायालय में भारत की प्रजा के हित से जुड़े मामलों से संबंधित याचिका किसी अधिवक्ता या पत्र के माध्यम से दायर कर सकता हैं और उसे ही जनहित याचिका कहा जाएगा।”

तो एक तरह से जनहित याचिका को भारत की आम प्रजा के हितों को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया था जो अभी तक जारी हैं। यदि आपको लगता हैं कि किसी मामले में जनता का हित छिपा हुआ हैं या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ हैं तो उसके लिए आप न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर सकते हैं। यदि न्यायालय को लगता हैं कि आपको जनहित याचिका सुनने लायक हैं तो वह इसे स्वीकार कर लेती हैं अन्यथा इसे निरस्त भी किया जा सकता हैं।

जनहित याचिका का अंग्रेजी नाम (What is PIL in Hindi)

अब यदि जनहित याचिका के अंग्रेजी नाम की बात की जाए तो उसे पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन कहा जाता हैं जिसे अंग्रेजी भाषा में Public Interest Litigation कहा जाएगा। वैसे ज्यादातर इसकी शोर्ट फॉर्म ही प्रचलन में हैं और हर जगह वही इस्तेमाल की जाती हैं। तो जनहित याचिका की अंग्रेजी में शोर्ट फॉर्म PIL या पीआईएल होती हैं। ऐसे में यदि किसी के द्वारा कोर्ट में जनहित याचिका दायर की जा रही हैं तो उसे शोर्ट फॉर्म में PIL भी कह देते हैं।

जनहित याचिका कहां दाखिल की जा सकती है?

अब यदि आप जनहित याचिका दाखिल करने का सोच रहे हैं तो इसकी भी एक सीमा होती हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह आप भारत की सभी तरह की कोर्ट में नही लगा सकते हैं बल्कि कोर्ट ने इसके अधिकार क्षेत्र को सीमित कर रखा हैं। आप जिला न्यायालय या अन्य निचली न्यायालय में जनहित याचिका को नही दायर कर सकते हैं। ऐसे में यदि आपको जनहित याचिका दायर करनी ही हैं तो या तो आप उच्च न्यायालय या फिर सर्वोच्च न्यायालय में ही इसे दायर कर सकते हैं।

तो एक तरह से देखा जाए तो आप किसी भी जनहित के मामले से जुड़ी हुई याचिका लगाने का रहे हैं तो उसके लिए या तो आपको अपने राज्य की हाई कोर्ट में वह मामला लगाना पड़ेगा या फिर देश की सुप्रीम कोर्ट में उस मामले से जुड़ी याचिका लगानी होगी। इसके बाद भी यह जरुरी नही कि आपकी याचिका को स्वीकार कर लिया जाये। यह पूर्ण रूप से आपकी जनहित याचिका की गंभीरता तथा कोर्ट के विवेक पर ही निर्भर करेगा कि आपकी जनहित याचिका को सुना जाएगा या नही।

जनहित याचिका कैसे लगाए? (Janhit Yachika kaise dayar karen)

अब जब आप जनहित याचिका के बारे में इतना सब जान चुके हैं और यह भी अपने जान लिया हैं कि यह किससे जुड़ी हुई होती हैं तो अब हम जानेंगे कि आप किस तरह से हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगा सकते हैं और इसकी क्या प्रक्रिया होती हैं। इसके लिए भारतीय न्यायिक व्यवस्था के द्वारा दो तरह के विकल्प आपके लिए उपलब्ध करवाए गए हैं और आपको (Janhit Yachika kaise dayar kare) उसी प्रक्रिया के तहत ही कोर्ट में जनहित याचिका लगानी पड़ेगी। आइए कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने के दोनों विकल्पों के बारे में जाने।

वकील के माध्यम से जनहित याचिका दायर करना

आप अपने किसी जानकर या अन्य किसी वकील के माध्यम से कोर्ट में जनहित याचिका को लगा सकते हैं। यदि आपको लगता हैं कि मामला गंभीर हैं या उसके लिए प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन की आवश्यकता हैं तो आपको अवश्य ही किसी वकील की सहायता लेनी चाहिए। वह आपको सब प्रक्रिया के बारे में अच्छे से समझा देगा और जनहित याचिका लगाने में आपकी पूरी सहायता करेगा।

तो सबसे पहले तो आप अपने यहाँ के किसी वकील से संपर्क करें और उसे बताये कि आप किस मुद्दे से जुड़ी जनहित याचिका को लगाना चाहते हैं। उसके बाद वह आपको बताएगा कि क्या वह जनहित याचिका लगाए जाने की स्थिति में हैं भी या नही और यदि हैं तो उसके लिए आपको क्या कुछ करना होगा और क्या नही। साथ ही आपको किस किस तरह के डॉक्यूमेंट इत्यादि लगाने की आवश्यकता पड़ेगी। यह सब करने के बाद आप संबंधित न्यायालय में उस जनहित याचिका को लगा सकते हैं।

हालाँकि जनहित याचिका को लगाने के लिए किसी भी तरह का शुल्क नही लिया जाता हैं लेकिन यदि आप यह किसी वकील के माध्यम से लगाने जा रहे हैं तो आपको उसमे अपनी सहायता करने के लिए उसे उसकी फीस देनी होगी। इसलिए किसी भी वकील से सहायता मांगने से पहले आप उसकी फीस के बारे में अवश्य पता कर ले।

पत्र के माध्यम से जनहित याचिका दायर करना

अब आप बिना किसी वकील के माध्यम से स्वयं ही जनहित याचिका दायर करना चाहते हैं तो उसके लिए भी भारतीय न्यायिक व्यवस्था ने आपको एक विकल्प दिया हुआ हैं। इसके लिए आप देश की सर्वोच्च न्यायालय या राज्य की उच्च न्यायालय के नाम या उनके मुख्य न्यायाधीश के नाम एक पत्र लिखा जा सकता हैं। इस पत्र में आप अपनी जनहित याचिका से संबंधित हर विवरण को विस्तार से लिखे।

आप उस जनहित याचिका का एक विषय भी दे और उसमे मुख्य बिंदुओं को अलग से लिखें। साथ ही आपको यह भी बताना होगा कि वह याचिका किस तरह से जनहित के मामले से जुड़ी हुई हैं। उक्त जानकारी के साथ साथ यदि उससे संबंधित किसी तरह के डॉक्यूमेंट हैं तो उन्हें भी आप जोड़ सकते हैं। इसके बाद यह पत्र आप संबंधित जगह पर पोस्ट कर दीजिए। यदि कोर्ट को लगता हैं कि आपका पत्र जनता के मुद्दों से जुड़ा हुआ हैं तो कोर्ट उस लेटर को जनहित याचिका में बदल देता हैं।

जनहित याचिका में क्या लिखे?

अब यदि आप जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं तो आपको यह भी जानना चाहिए कि आखिरकार आपको अपनी जनहित याचिका में ऐसा क्या लिखना चाहिए कि वह जल्द से जल्द स्वीकार कर लिया जाए। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आपने सही से जनहित याचिका दायर नही की हैं या फिर उसमे बहुत सारी कमियां हैं या आप अपनी बात को सही तरीके से नही रख पाए हैं या नही लिख पाए हैं तो न्यायालय के द्वारा आपकी जनहित याचिका निरस्त करते हुए एक पल की भी देरी नही की जाएगी। ऐसे में आपका सारा प्रयास व्यर्थ चला जाएगा।

तो यदि आप जनहित याचिका दायर करने को लेकर गंभीर हैं तो आपको सही तरीके से ही यह दायर करनी चाहिए। यदि आप वकील के माध्यम से यह काम कर रहे हैं तो फिर तो चिंता करने की कोई बात नही क्योंकि वकील को इसके बारे में संपूर्ण जानकारी होती हैं। किंतु यदि आप स्वयं से पत्र लिखकर जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं तो इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता हैं।

सबसे पहले तो आप यह सोचे कि आप किसके नाम पर यह जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं। यदि आप सर्वोच्च न्यायालय के लिए यह लिख रहे हैं तो शुरू में उनका नाम लिखे अन्यथा संबंधित उच्च न्यायालय का नाम लिखें। उसी नाम और पते के अनुसार ही आप अपना वह पत्र भेजे। अब आप शुरुआत में संबंधित जनहित याचिका का विषय अवश्य लिखें। इसके बाद आप जनहित याचिका के विषय से संबंधित जानकारी को लिखें अर्थात आप उस जनहित याचिका का ब्यौरा दे।

जब आप ब्यौरा दे देंगे तो इसके बाद आप न्यायालय को यह बताये कि संबंधित जनहित याचिका किस तरह से जनहित के मुद्दों से संबंधित हैं। यहाँ पर आपको अपनी बात प्रभावी तरीके से समझानी होगी क्योंकि न्यायालय को यह लगा कि यह मुद्दा तो जनहित से जुड़ा ही नही हैं तो वह बिना ज्यादा सोचे ही उस जनहित याचिका को निरस्त कर देगी। तो जब आप यह लिख दे तो अंत में आप अपने से संबंधित संपूर्ण जानकारी जैसे कि आपका नाम, पता, फोन नंबर इत्यादि दे। इसी के साथ यदि आप संबंधित मामले से जुड़े हुए कुछ कागजात भी लगा देंगे तो आपकी याचिका स्वीकार करने की संभावना बढ़ जाएगी।

जनहित याचिका कहां जमा करे?

अब यदि आप पत्र के माध्यम से जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं तो इसके लिए तो आपको न्यायालय जाने की जरुरत ही नही हैं। आपको बस संबंधित न्यायालय का पता लिखकर उस पर इस जनहित याचिका को पोस्ट करवा देना होगा। उसके बाद पोस्ट ऑफिस के द्वारा आपकी जनहित याचिका को अपने आप संबंधित न्यायालय में पहुंचा दिया जाएगा। अब यदि आप किसी वकील के माध्यम से जनहित याचिका को दायर करने जा रहे हैं तो भी आप उसे पोस्ट करवा सकते हैं।

अब यदि आप उसी शहर में रहते हैं जहाँ पर वह न्यायालय स्थित हैं तो आप न्यायालय जाकर वहां के काउंटर पर जाकर इस जनहित याचिका को दे सकते हैं। इसके लिए आपसे किसी तरह का कोई शुल्क नही लिया जाएगा। तो आप चिंतामुक्त होकर या तो इसे सीधे काउंटर पर जमा करवाए या फिर कोर्ट के पते पर पोस्ट कर दीजिए।

जनहित याचिका की फीस कितनी है?

यदि आपको लगता हैं कि जनता से जुड़े मुद्दों को कोर्ट में लगाने के लिए आपसे किसी तरह का शुल्क लिया जाएगा तो आप गलत हैं। आप कितनी भी और कैसी भी जनहित याचिका को कोर्ट में लगाए, इसके लिए आपसे किसी भी तरह का शुल्क नही लिया जाएगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि न्यायालय में जनहित याचिका लगाने के लिए लगने वाली फीस शून्य हैं। किंतु आप व्यर्थ की जनहित याचिका को लगाकर न्यायालय का समय व्यर्थ ना करें।

क्या जनहित याचिका को ऑनलाइन लगाया जा सकता है?

आज के समय में जब सब कुछ ऑनलाइन हो गया हैं। आप अपने घर बैठे ऑनलाइन कुछ भी काम कर सकते हैं और कुछ भी ऑर्डर कर सकते हैं या सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं तो ऐसी स्थिति में आपके मन में यह शंका भी होगी कि क्या जनहित याचिका को भी ऑनलाइन दाखिल किया जा सकता हैं। तो आपके इस प्रश्न का उत्तर हैं बिल्कुल नही। भारतीय न्यायिक व्यवस्था ने जनहित याचिका को ऑनलाइन दाखिल करने की कोई भी सुविधा नही दी हुई हैं।

जनहित याचिका लगाने के बाद क्या होता है?

अब जब आप संबंधित न्यायालय में जनहित याचिका को लगा देंगे तो उसके बाद आगे की कार्यवाही पूर्ण रूप से न्यायिक व्यवस्था पर निर्भर करेगी। सबसे पहले तो आपकी जनहित याचिका को उस कोर्ट तक पहुँचाया जाएगा। इसके बाद वहां बैठने वाला न्यायाधीश आपकी जनहित याचिका को देखेंगे और उस पर निर्णय करेंगे। यदि उन्हें लगेगा कि आपके द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका में दम हैं और वह जनहित के मुद्दों से जुड़ी हुई हैं तो उसे उसी समय स्वीकार कर लिया जाएगा।

जनहित याचिका को स्वीकार किये जाने के बाद वह न्यायालय संबंधित पक्ष या संस्था को नोटिस जारी कर उत्तर मांगेगी और उस पर कार्यवाही क्यों ना की जाए, इत्यादि पूछेगी। कहने का अर्थ यह हुआ कि उस जनहित याचिका को स्वीकार किये जाने के बाद वह एक केस के रूप में बदल जाएगा जिसमें आपको उसका मुख्य पक्ष माना जाएगा और जिसके विरुद्ध भी आपने वह जनहित याचिका लगायी हैं, उससे जवाब तलब किया जाएगा।

यदि न्यायालय को लगता हैं कि आपके द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका में कोई दम नही हैं और ना ही यह जनहित के मुद्दों से जुड़ी हुई हैं तो उसे उसी समय निरस्त कर दिया जाएगा। इस स्थिति में आप कुछ नही कर सकते हैं। यदि आपकी जनहित याचिका निरस्त हो जाती हैं तो आप फिर से उसे और प्रभावी बनाकर दायर कर सकते हैं लेकिन न्यायालय का समय व्यर्थ करने के चक्कर में आपको कोर्ट से डांट भी पड़ सकती हैं या आपके ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता हैं।

जनहित याचिका का दुरूपयोग होना

जब भी कोई अच्छी योजना या व्यवस्था शुरू की जाती हैं तो उसका दुरूपयोग होना भी शुरू हो जाता हैं। अब आप जनहित याचिका को ही ले लीजिए। इसकी शुरुआत जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए किया गया था ताकि एक आम नागरिक भी जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट में उससे संबंधित याचिका को दायर कर सके। किंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसका ज्यादातर इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों की परिपूर्ति करने या दूसरों को नीचा दिखाने या दबाने के उद्देश्य से किया जा रहा हैं।

इसके साथ ही भारतीय न्यायालयों में पहले से ही करोड़ो मामले लंबित पड़े हैं। ऐसे में व्यर्थ की याचिकाओं के द्वारा केवल और केवल न्यायालय का समय ही व्यर्थ हो रहा हैं। इससे आम नागरिक को न्याय मिलने में भी देरी का सामना करना पड़ रहा हैं। तो जनहित याचिका का यह सबसे बड़ा दुरूपयोग सामने आया हैं जिस पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक हो गया हैं।

जनहित याचिका क्या है – Related FAQs

प्रश्न: PIL का क्या अर्थ है?

उत्तर: PIL का अर्थ है पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन अर्थात जनहित से जुड़े मुद्दों को जनहित याचिका के द्वारा न्यायालय में उठाना।

प्रश्न: पिल का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: पिल का पूरा नाम पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन होता है।

प्रश्न: जनहित याचिका कहाँ से प्रारंभ हुई?

उत्तर: जनहित याचिका अमेरिका गणराज्य से प्रारंभ हुई।

प्रश्न: जनहित याचिका कैसे तैयार करें?

उत्तर: जनहित याचिका तैयार करने के लिए आप किसी अनुभवी अधिवक्ता की सहायता ले सकते हैं और उसके जरिये एक उचित जनहित याचिका बना सकते हैं।

तो इस तरह से आज आपने जान लिया कि यह जनहित याचिका क्या होती हैं और इसका जनहित से जुड़े मुद्दों से किस तरह का संबंध हैं। ऐसे में यदि आप भी जनहित से जुड़े किसी मुद्दे के लिए कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं तो आप हमारे द्वारा बताये गए सभी नियमों का पालन करते हुए ही कोर्ट में यह याचिका लगाए अन्यथा आपकी जनहित याचिका निरस्त होते देर नही लगेगी।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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