हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ | Hanuman chalisa in Hindi

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हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को संकट मोचक कहा जाता है अर्थात जो हमारे सभी संकटों का नाश कर दे और हमें सुख शांति से भर (Hanuman chalisa lyrics in Hindi) दे। तो ऐसे हनुमान जी की स्तुति करना तो हम सभी का दायित्व होता है। अब चालीसा तो लगभग हर भगवान और देवी देवता की होती है किंतु उसमे से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध चालीसा हनुमान जी की होती (Hanuman chalisa Hindi mein) है। यही कारण है कि लगभग हर हिंदू को हनुमान चालीसा मूजबानी याद होती है और याद क्यों ना हो, अब हनुमान जी हम सभी के संकटों का नाश जो करते हैं।

तो आपको भी हनुमान चालीसा मूजबानी याद होगी किंतु क्या आपको उसका अर्थ पता है? कहने का मतलब यह हुआ कि हनुमान चालीसा तो सभी याद कर लेते हैं लेकिन उसका अर्थ जानने की कोई इच्छ व्यक्त नही करता (Hanuman chalisa Hindi arth) है। ऐसे में बहुत ही कम भक्त ऐसे होंगे जिन्हें हनुमान चालीसा का मतलब पता होगा। तो यदि आप भी हनुमान चालीसा का अर्थ जानना चाहते हैं तो आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पूरा पढ़ना चाहिए ताकि आपको हनुमान चालीसा का अर्थ समझ में आ सके।

हनुमान चालीसा हिंदी में (Hanuman chalisa in Hindi)

यहाँ पर हम आपके सामने हनुमान चालीसा तो रखेंगे ही रखेंगे बल्कि साथ के साथ उनका अर्थ भी समझाएंगे। अब जो भी चालीसा होती है उसमे 40 श्लोक होते हैं और इसी कारण उसे चालीसा कहा जाता (Hanuman chalisa Hindi arth sahit) है। अब वह चालीसा जिस भी भगवान को समर्पित होती है, तो उसकी शुरुआत में उस भगवान का नाम जुड़ जाता है तो वह उस भगवान की चालीसा बन जाती है। तो इस तरह जो चालीसा हनुमान भगवान को समर्पित होती है उसे ही हनुमान चालीसा कहा जाता है।

तो आज के इस लेख में आपको पूरी हनुमान चालीसा तो पढ़ने को मिलेगी ही मिलेगी और साथ के साथ आपको उसमे हर एक श्लोक, दोहा इत्यादि का पूरा अर्थ भी जानने को मिलेगा। तो आइए पढ़ें हनुमान चालीसा उसके हिंदी अर्थ सहित।

हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ | Hanuman chalisa in Hindi

॥ दोहा॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥

मैं श्री गुरु अर्थात हनुमान जी की चरणों की धूल से अपने मन को पवित्र करता हूँ और उसको पूर्ण रूप से शुद्ध करता हूँ। मैं उन भगवान की स्तुति करता हूँ जो हमें चारों फल अर्थात धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्रदान करते हैं और हमारा उद्धार करते हैं।

हे भगवान हनुमान, आपको तो पता ही हैं कि मैं इतना ज्ञानी नहीं हूँ और ना ही मुझमे इतनी शक्ति हैं, इसलिए मुझे दीन हीन समझ कर मुझे शक्ति प्रदान कीजिए। मैं आपका ही सुमिरन करता हूँ और आप मेरे सभी कष्टों को दूर करके मेरा उद्धार कर दीजिए।

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

हे भगवान हनुमान आपकी जय हो, आपकी जय हो, आप तो ज्ञान के अथाह सागर है अर्थात आपके अंदर ज्ञान भरा पड़ा है। हे कपीश्वर अर्थात बंदर रुपी भगवान, आपके प्रकाश से ही तीनों लोक अर्थात स्वर्ग लोक, पाताल लोक व पृथ्वी लोक प्रकाशमान होते हैं।

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

आपको ही भगवान श्री राम का दूत कहा जाता है जो अत्यधिक शक्तिशाली है और आपके समान बलवान इस पृथ्वी पर और कोई भी नही है। आप अंजनी माता के पुत्र है और आपको पवन देव का पुत्र भी कहा जाता है।

महाबीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥

हे भगवान हनुमान, आप अत्यधिक शक्तिशाली और बलवान है और आपका पराक्रम हर जगह व्याप्त है। आप बज्रानी भी कहे जाते हैं। आप लोगों की ख़राब बुद्धि को ठीक करते हैं और जिनकी बुद्धि अच्छी है, आप उनका साथ निभाते हैं।

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४

आपका रंग अत्यधिक सुंदर है और आप सुंदर कपड़ों को पहने हुए हैं। आपने अपने कानो में कुण्डल पहने हुए हैं और आपके बाल भी घुंघराले हैं जो आपकी शोभा को और अधिक बढ़ाते हैं।

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

आपने अपने दोनों हाथों में गद्दा और धर्म ध्वजा पकड़ी हुई है और आपने अपने कंधे पर जनेऊ धारण किया हुआ है। यह सभी मिल कर आपकी शोभा को और भी बढ़ा देते हैं।

शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

आप भगवान शिव के ही एक रूप है और आपके पिता का नाम केसरी है और इसी कारण आपको केसरी नंदन कहा जाता है। आपका तेज हर जगह फैला हुआ है और इसी कारण पूरा विश्व केवल आपकी ही वंदना करता है।

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥

आपके अंदर विद्या का भंडार भरा हुआ है और आप समय समय पर उस विद्या का परिचय देते हैं। आपको अत्यधिक बुद्धिमान माना जाता है और इसी कारण आपने अपनी बुद्धि से भगवान श्री राम के कामो को पूर्ण किया था। आप तो भगवान श्री राम के सभी काम करने को हमेशा तैयार ही रहा करते थे।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥

आप तो भगवान श्रीराम की स्तुति और कथा को सुनने के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं। भगवान श्री राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण हमेशा ही आपके मन में वास करते हैं।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

आपने जब समुंद्र पार करके लंका में अशोक वाटिका में माता सीता को ढूँढ निकाला था तब आपने उन्हें अपना छोटा रूप दिखाया था। इसी तरह आपने अपना विकट रूप दिखाते हुए पूरी लंका तक को जला डाला था।

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

आपने अपना भीम रूप धारण करके कई असुरों का वध किया था और उन्हें पाताल लोक पहुंचा दिया था। आपने अपनी बुद्धि से श्रीराम के सभी कार्यों को बना दिया था।

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

जब रामायण के युद्ध में मेघनाथ ने लक्ष्मण को शती बाण चलाकर घायल कर दिया था और वे मरणासन्न स्थिति में पहुँच गए थे तब आपने हिमालय पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर उनकी प्राण रक्षा की थी। यह देख कर श्री राम बहुत खुश हो गये थे।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२

आपकी बुद्धि को देख कर भगवान श्रीराम ने आपकी बहुत ही प्रशंसा की थी और वे आपसे इतना खुश हो गए थे कि उन्होंने यह तक कह दिया था कि आप उनके लिए भरत समान ही भाई हो।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

श्री राम ने आपको अपने सीने से लगाते हुए यह कहा था कि हज़ार मुहं से भी आपकी प्रशंसा नहीं की जा सकती है क्योंकि आप बहुत ही महान हो।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

सभी देवी देवता, भगवान ब्रह्मा, सभी संत मुनि, ब्रह्मा जी के सभी पुत्र व चारों वेद, नारद मुनि, माँ सरस्वती इत्यादि सभी मिलकर आपका ही गुणगान करते हैं।

यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

भगवान यमराज, कुबेर भगवान, सभी दिशाओं के रक्षक व दिगपाल, कवि, पंडित, सभी विद्वान मिल कर आपकी महिमा का वर्णन नहीं कर सकते हैं।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६

आपने अपने राजा महाराज सुग्रीव पर बहुत बड़ा उपकार किया है और उन्हें श्री राम से मिलाने का कार्य किया है। आपके कारण ही महाराज सुग्रीव को राज पद मिला था और वे किष्किन्धा नरेश बने थे।

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

आपने ही विभीषण को ज्ञान दिया था और उन्हें सब समझाया था। आपके कारण ही वे लंका के राजा बन पाए थे और उन्हें राजसी सुख मिला था।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

एक हज़ार योजन युग की दूरी पर जो सूर्य भगवान स्थित है, आपने उन्हें एक फल समझा और उसे मुहं में ले लिया।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

आपने श्रीराम के द्वारा दी गयी अंगूठी को मुहं में रख कर पूरा का पूरा समुंद्र पार कर लिया था और इसमें हैरान होने वाली कोई भी बात नहीं है।

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

इस दुनिया के मुश्किल से मुश्किल काम भी केवल आपका नाम लेने से बन जाते हैं क्योंकि आप सभी काम को सरल बना देते हैं।

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

आप ही श्री राम तक पहुँचने का एकमात्र मार्ग है क्योंकि आप उनके द्वार के रखवाले कहलाते हैं। इसलिए जिस किसी को भी श्री राम की भक्ति चाहिए उन्हें पहले आपको प्रसन्न करना होगा।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपकी शरण में आकर हम सभी को अत्यधिक सुख की प्राप्ति होती है और आप यदि हमारे रक्षक है तो हमें भला किस बात का डर रहेगा।

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥

आपके तेज को देख कर तो तीनो लोकों में फैले पापी व दुष्ट प्रवत्ति के लोग थर थर कांपने लग जाते हैं।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥

जब भी यदि हमें भूत, पिशाच इत्यादि से डर लगता है या वे हमें डराने का प्रयास करते हैं तो हम उसी समय आपका नाम लेना शुरू कर देते हैं जिस कारण वे दूर भाग जाते हैं।

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

आपके नाम का जाप करते रहने से तो हमारे शरीर के सभी रोग भी मिट जाते हैं और हम निरोगी काया वाले बनते हैं।

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

जो भी व्यक्ति मन से और अपने कर्मो से भगवान हनुमान का ध्यान करता है, उसे उसके संकटों से छुटकारा भगवान हनुमान स्वयं दिलाते हैं।

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥

सभी में तपस्वी भगवान श्री राम सबसे अधिक श्रेष्ठ है और उनके सभी कार्यों को आपने ही सरल बना दिया था।

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥

जो व्यक्ति आपकी स्तुति करता है, उसकी हर अभिलाषा को आप पूरा कर देते हैं और उसे जीवन भर फल देते हैं।

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

आपका प्रताप तो हर युग में फैला हुआ है और इस जगत में आपके कारण ही उजाला फैला हुआ है अर्थात इस विश्व को आप ही राह दिखलाते हो।

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

आप ही सभी साधु संतों के रखवाले हैं और उनकी हर तरह से सहायता करते हैं। आप ही असुरों का नाश करते हैं और आप ही श्री राम के लिए बहुत प्रिय है।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥

आप सभी आठों सिद्धि व नौ निधियों को प्रदान करने वाले हैं और आपको यह सब माता जानकी से मिला था।

राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥

आप हमेशा ही श्री राम की भक्ति में लीन रहते हैं और उनकी सेवा में प्रस्तुत रहते हैं। आप हमेशा ही उनके लिए दास की भूमिका निभाते हैं।

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

आपका भजन करने से ही तो हमें श्री राम की प्राप्ति हो सकती हैं और हमारे सभी जन्मों के दुःख दूर हो जाते हैं।

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

हम सभी की जब मृत्यु होती है तो हम सभी रघु धाम में जाते हैं और जब भी कभी फिर से जन्म होगा तो हम हरि भक्त ही कहलायेंगे।

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥

जब आपकी स्तुति करने से ही हमें सभी तरह के सुख मिल जा रहे हैं तो फिर किसी और देवता की स्तुति क्यों ही की जाए।

संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

जो भी व्यक्ति भगवान हनुमान के नाम का सुमिरन करता है उसके तो सभी संकट दूर हो जाते हैं।

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

हे भगवान हनुमान आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप हम सभी पर एक गुरु की भांति अपनी कृपा बरसाए।

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो भी व्यक्ति इस हनुमान चालीसा का सात बार पाठ कर लेता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और महा सुख की प्राप्ति होती है।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

जो भी व्यक्ति इस हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसे सभी तरह की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और सफलता मिलती है।

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥

तुलसीदास जी हमेशा ही हरि भक्ति में लीन रहते हैं और यही कामना करते हैं कि भगवान हनुमान उनके हृदय में वास करे।

॥ दोहा ॥

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥

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हे पवन पुत्र और सभी के संकटों को हरने वाले भगवान हनुमान, आप हम सभी का मंगल करने वाले (Hanuman chalisa Hindi me) हैं। आप भगवान श्री राम, माता सीता व भगवान लक्ष्मण सहित हमारे हृदय में हमेशा के लिए वास करो, यही हम सभी की कामना है।

हनुमान चालीसा हिंदी में – Related FAQs

प्रश्न: हनुमान चालीसा पढ़ने का नियम क्या है?

उत्तर: हनुमान चालीसा पढ़ने का नियम कुछ नहीं है और आप कभी भी इसे पढ़ सकते हैं।

प्रश्न: क्या हनुमान चालीसा रोज पढ़ी जा सकती है?

उत्तर: हां, हनुमान चालीसा रोज पढ़ी जा सकती है।

प्रश्न: हनुमान जी खुश होने पर क्या संकेत देते हैं?

उत्तर: हनुमान जी खुश होने पर आपके सभी संकटों को हर लेते हैं।

प्रश्न: हनुमान चालीसा किसे नहीं पढ़ना चाहिए?

उत्तर: हनुमान चालीसा सभी को पढनी चाहिए।

तो इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने हनुमान चालीसा का संपूर्ण अर्थ जान लिया है। इससे आपको कई मायनो में हनुमान चालीसा की महत्ता और भगवान हनुमान की महिमा के बारे में पता चल गया होगा। तो आगे से आप हनुमान चालीसा के अर्थ को ध्यान में रख कर उसका पाठ करेंगे तो आपको ज्यादा लाभ देखने को मिलेगा।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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