जीएसटी क्या है? | जीएसटी के प्रकार, इतिहास, व फायदे | GST kya hai

|| जीएसटी क्या है? | What is meaning of GST in Hindi | GST kise kahte hai | GST kya hota hai in Hindi | GST history in India in Hindi | GST ke fayde kya hai | (How GST works in Hindi | Advantages of GST in Hindi | (Advantages of GST for business in Hindi ||

GST kya hai in Hindi, :- भारत में जीएसटी को लागू हुए 5 साल से भी ऊपर समय हो गया है। इसके बाद भी बहुत से लोगों को जीएसटी के बारे में बहुत सी बातें नहीं पता है। जिस तरह से आम जीवन में उपयोग होने वाली सभी चीजों और सेवाओं पर मुख्य रूप से जीएसटी लागू होती ही है। इसलिए भारत के निवासी और वस्तुओं के उपभोक्ता होने के नाते हमें जीएसटी के बारे में हल्की फुल्की जानकारी होना तो जरूरी है। इसके साथ ही अगर आप किसी तरह का बिजनेस कर रहे हो तो आपको जीएसटी (What is GST and its types in Hindi) के रूल्स, फायदे और पालन के बारे में पता होना जरूरी है।

भारत में जीएसटी को वन नेशन वन टैक्स की अवधारणा से लाया गया है। जीएसटी को पूरी तरह से समझने के लिए इससे जुड़े बहुत से सवालों को जानना पड़ेगा। हमें जानना होगा कि किस किस सामान और सेवा पर जीएसटी लगता है, जीएसटी कब लगता है, जीएसटी कितना लगता है, जीएसटी के फायदे क्या हैं, जीएसटी क्यों लाया गया और किस व्यक्ति को जीएसटी में रजिस्टर होने की जरूरत है। आपके इन्हीं सब सवालों के हल ढूंढने में मदद करने के लिए हम इस लेख के माध्यम से जीएसटी (GST kise kahte hai) को जानने की कोशिश करेंगे।

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जीएसटी क्या है? (What is meaning of GST in Hindi)

जीएसटी एक तरह का इनडायरेक्ट टैक्स या अप्रत्यक्ष कर है। अप्रत्यक्ष का मतलब होता है कि जीएसटी का जिस व्यक्ति के द्वारा सरकार को भुगतान किया जाता है, असल में जीएसटी का भार उस व्यक्ति पर पड़ने की बजाय किसी और व्यक्ति यानी उपभोक्ता पर पड़ता है। जब किसी व्यक्ति के द्वारा किसी तरह का माल और सेवा अन्य व्यक्ति को बेचा जाता है तो वो उसके मूल्य पर जीएसटी (GST kya hota hai in Hindi) कलेक्ट करता है और सरकार को जमा करवाता है। भारत में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ।

जीएसटी क्या है जीएसटी के प्रकार इतिहास व फायदे GST kya hai

जीएसटी के तहत टैक्स का सिस्टम डेस्टिनेशन बेस्ड यानी कि गंतव्य आधारित होता है। इसका मतलब जीएसटी होता है कि जीएसटी खपत के आधार पर लगाया जाता है। किसी भी उत्पाद या सेवा की खपत जिस राज्य में होती है, जीएसटी का एक हिस्सा उस राज्य को मिलता है और दूसरा हिस्सा केंद्र सरकार को। जीएसटी को वैल्यू एडेड टैक्स भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जीएसटी उत्पाद के प्रत्येक चरण पर होने वाले केवल वैल्यू एडिशन पर लगता है, जिसे हम आगे समझेंगे।

भारत में जीएसटी कैसे लागू हुआ? (History of GST in India in Hindi)

जीएसटी को भारत में लाने का श्रेय इसके लागू होने से 13 साल पहले बनी केलकार टास्क फोर्स को जाता है। सन 2003 में पहली बार केलकार कार्य दल के द्वारा जीएसटी का सुझाव दिया गया। जिसके आधार पर 2006-07 में पहली बार इसका प्रस्ताव (GST history in India in Hindi) रखा गया। चूंकि जीएसटी में केंद्र के साथ राज्य सरकारों के टैक्स भी समाहित होने थे, इसलिए राज्य सरकारों में बनी समिति को इस पर चर्चा करने का समय दिया गया। इसके बाद अलग अलग तरह की समितियों का गठन हुआ।

जीएसटी से पहले संविधान के अनुसार माल के उत्पादन और सेवा पर रूल बनाने का केंद्र सरकार और माल की बिक्री पर राज्य सरकार का हक था। इसलिए दोनों सरकारों को माल और सेवा दोनों के लिए कानून बनाने का हक देने के लिए संविधान के बदलाव की भी जरूरत थी। संविधान में बदलाव और जीएसटी की रूप रेखा को तैयार करने के लिए अलग अलग समितियों का गठन और अलग अलग बैठकें हुई। जिसके बाद 2015 में लोक सभा के द्वारा संविधान संशोधन विधेयक पारित हुआ।

इसके बाद राज्य सरकारों के द्वारा विधेयक को पारित नहीं किया गया। तात्कालिक वित्त मंत्री अनुसार इसके पीछे कोई खास कारण नहीं रहा। इसके बाद अगस्त 2016 में आखिरकार राज्य सरकारों के द्वारा भी प्रस्ताव को सहमति दी गई और राज्य सभा में बिल पास हो गया। सितंबर 2016 में माननीय राष्ट्रपति की अनुमति भी ले ली गई और संविधान संशोधन को अधिनियम बना दिया गया। जिसके बाद 2017 में जीएसटी के 4 विधेयक सांसद की स्वीकृति और राष्ट्रपति की सहमति पा सके और 1 जुलाई 2017 से भारत में जीएसटी को लागू किया गया।

राज्य और केंद्र स्तर के समाहित कर (Taxes replaced by GST in Hindi)

जीएसटी को भारत में लगभग सभी तरह के अप्रत्यक्ष करों की जगह पर लाया गया है। जीएसटी के आ जाने से केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनो के कई सारे कर इसमें समाहित हो गए हैं।

केंद्र स्तर पर समाहित होने वाले कर

  • सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी
  • एडिशनल एक्साइज ड्यूटी
  • एडिशनल कस्टम ड्यूटी
  • स्पेशल एडिशनल कस्टम ड्यूटी
  • सर्विस टैक्स
  • सेस एंड सरचार्ज

राज्य स्तर पर समाहित होने वाले कर

  • सेंट्रल सेल्स टैक्स
  • एंट्री टैक्स
  • स्टेट वैल्यू एडेड टैक्स
  • लग्जरी टैक्स
  • परचेज टैक्स
  • एंटरटेनमेंट टैक्स
  • टैक्स और लॉटरी एंड गैंबलिंग
  • स्टेट सेस एंड सरचार्ज

जीएसटी किस तरह से काम करता है? (How GST works in Hindi)

जैसा कि हमने जाना जीएसटी एक बहुस्तरीय और गंतव्य आधारित टैक्स है, जो वैल्यू एडिशन पर लगता है। जीएसटी किस तरह से काम करता है ये जानने में इसकी यही परिभाषा काम आएगी। सबसे पहले तो जीएसटी बहुस्तरीय टैक्स है, क्योंकि यह किसी उत्पाद से जुड़े अलग अलग स्तर पर लगता है, जैसे कि उत्पादन, थोक विक्रेता, रिटेल विक्रेता और आखिर में खपत। इसके साथ ही जीएसटी गंतव्य आधारित यानी खपत के हिसाब से लगने वाले टैक्स है। जो अंतिम रूप में उस सरकार को प्राप्त होता है, जिसके क्षेत्र में उत्पाद या सेवा की खपत होती है।

इसके अलावा जीएसटी वैल्यू एडेड टैक्स (GST kaise kaam karta hai) इस तरह से होता है कि यह केवल उस मूल्य पर लगता है जो किसी व्यापारी ने उस उत्पाद को प्रदान किया होता है। उदाहरण के तौर पर दूध का उत्पाद करने के बाद उसे डायरी वाले को बेचा गया। अब डायरी वाले व्यापारी के द्वारा उस दूध से पनीर बनाया गया। इस प्रकिया में पनीर के मूल्य में से दूध का मुख्य घटाने से आने वाले मूल्य पर ही जीएसटी लगता है। इसके साथ ही अगर पनीर बना हरियाणा में है और बेचा राजस्थान में जायेगा, तो इस पर राजस्थान सरकार को जीएसटी मिलेगा।

जीएसटी के भारत में फायदे (Advantages of GST in Hindi)

जीएसटी को भारत में लाने से बहुत तरह के फायदे सामने आए है। जीएसटी के आने से देश की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ गई है और कर के अनुपालन में भी आसानी आई है। अलग अलग स्तर के लोगों और सरकार के लिए जीएसटी के अलग अलग फायदे हैं। सभी के लिए होने वाले जीएसटी के फायदे (GST ke fayde kya hai) को एक एक करके जानने की कोशिश करते हैं।

व्यवसायों के लिए फायदे (Advantages of GST for business in Hindi)

  1. पहले की तरह अलग अलग टैक्स के जाल से बचाव हो गया। वस्तुओं पर टैक्स के ऊपर टैक्स लग जाने से लागत में बढ़ोतरी से बचाव हो गया।
  2. टैक्स को भुगतान करना और नियमों का पालन करना आसन हो गया। जीएसटी के पोर्टल और तकनीक में सुधार आने से काफी सहूलियत होगी।
  3. टैक्स की अलग अलग दरों से होने वाली परेशानी से छुटकारा मिल गया, क्योंकि अब पूरे भारत में एक सामान पर एक ही रेट पर टैक्स देना होता है। इससे व्यवसाय में निश्चितता बढ़ेगी।
  4. जीएसटी के अंदर अन्य तरह के टैक्स के मुकाबले दस्तावेज को संभालना आसन हो गया है, क्योंकि दस्तावेजों की संख्या भी कम हो गई है और सब ऑनलाइन है।
  5. जीएसटी में छोटे व्यवसायों को अलग अलग तरह की छूट भी मिली है। जिससे की छोटे व्यापारियों को बहुत फायदा हुआ है।
  6. इसके साथ ही निर्यात और आयात करने वाले व्यापारियों के लिए भी फायदा हो गया, क्योंकि पूरे विश्व में जीएसटी ही लागू होता है तो उनके लिए सहूलियत हो जायेगी अनुपालन में।

सरकार के लिए फायदे (Advantages of GST for government in Hindi)

  1. केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को जीएसटी को लागू करने में सरलता होगी। जीएसटी को पूरे देश में समान तरीके से लागू किया जाना है, इसलिए इसमें सबकी साझी मेहनत रहेगी।
  2. जीएसटी के तहत ई वे बिल और ई इनवॉइस जैसी बहुत से ऐसे तरीके लागू किए गए हैं जिससे कि कर की चोरी को पकड़ा जा सके, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
  3. जीएसटी को आसान करने के साथ इसके दायरे को बढ़ा पाना सरल हो गया, इससे सरकारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीएसटी में लाने में कामयाबी होगी और राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
  4. पहले अलग अलग राज्य में होने वाले टैक्स के अलग अलग रेट से वस्तुओं का मूल्य अलग अलग होता था। इसके चलते सामान की तस्करी भी होती थी। जीएसटी में पूरे देश में एक ही टैक्स होने से इससे छुटकारा मिलेगा।
  5. जीएसटी पोर्टल के आसान और पूरी तरह से डिजिटल कार्य प्रणाली के चलते करदाताओं और उनसे जुड़े डाटा को प्रबंधित करना आसान हो जायेगा।

सामान्य लोगों के लिए फायदे (Advantages of GST to public in Hindi)

  1. सरकार के राजस्व में जीएसटी के चलते होने वाली बढ़ोतरी की वजह से आम जनों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं जैसे कि शिक्षा, स्वास्थय और परिवहन में गुणवता बढ़ेगी।
  2. जीएसटी के तहत अलग अलग टैक्स को समहित कर लेने की वजह से बहुत तरह के टैक्स के हट जाने से वस्तुओं के मूल्य में गिरावट भी होगी।
  3. आम जनता के काम आने वाली दैनिक जरूरत की चीजों को जीएसटी में टैक्स फ्री रखा गया है। इससे भी आम जनों को राहत की सांस मिलेगी।

भारत में जीएसटी के प्रकार (Types of GST in India in Hindi)

भारत में जीएसटी को 4 अलग अलग नामों से लगाया है। जिनमे लागू होने के हिसाब से किसी तरह का कोई खास फर्क नहीं है, फिर (GST kitne prakar ka hai) भी सबके बारे में जान लेना जरूरी है।

CGST – सीजीएसटी का मतलब होता है सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स। यह जीएसटी तब लगता है, जब वस्तु या सेवा का लेन देन एक ही राज्य के अलग अलग व्यापारियों के बीच होता है। उस स्थिति में लगने वाले जीएसटी का 50% हिस्सा सीजीएसटी के रूप में केंद्र सरकार को मिलता है।

SGST – एसजीएसटी का मतलब स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होता है। सीजीएसटी की तरह ही जब एक राज्य के ही व्यापारी के द्वारा उसी राज्य के व्यापारी या उपभोक्ता को सामान या सेवा की बिक्री होती है, तब सीजीएसटी के साथ साथ एसजीएसटी भी लगता है, जो कि कुल कर का 50% हिस्सा होता है।

UTGST – यूटीजीएसटी का अर्थ यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होता है। जब किसी एक केंद्र शासित प्रदेश के व्यापारी के द्वारा उसी केन्द्र शासित प्रदेश के अन्य व्यापारी या उपभोक्ता को सामान या सेवा की बिक्री होती है, तब यूटीजीएसटी लगाया जाता है। यह भी कुल कर का 50% होता है। जो जाता तो केंद्र सरकार के पास ही है, परंतु केंद्र शासित प्रदेश के नाम से अलग खाते में जमा होता है।

IGST – आईजीएसटी का अर्थ होता है इंटीग्रेटेड जीएसटी। जीएसटी के साथ आईजीएसटी को लागू करना सरकार का एक अच्छा कदम था। जब किसी एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के व्यापारी के द्वारा अन्य राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के व्यापारी या उपभोक्ता को सामान या सेवा की बिक्री की जाती है, तब सीजीएसटी और एसजीएसएट के जगह पर आईजीएसटी लगाया जाता है। जिसमे से 50% प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार को और बाकी का 50% हिस्सा खपत वाली राज्य सरकार को मिलता है।

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जीएसटी में रजिस्टर करवाना किसके लिए जरूरी है? (Who is required registration under GST in Hindi)

जीएसटी में रजिस्टर करवाने की सामान्य सीमा 20 लाख है। इसके अतिरिक्त भी बहुत से नियम हैं जिनके हिसाब से जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। टर्नओवर के हिसाब से विशेष राज्यों को छोड़ कर किसी भी राज्य में अगर आपकी सिर्फ गुड्स की टर्नओवर 40 लाख से नीचे है तो आपको जीएसटी में पंजीकरण करवाने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपकी गुड्स के साथ साथ एक सीमा से अधिक सेवा की टर्नओवर भी है तो आपके लिए 40 की बजाए 20 लाख की टर्नओवर देखी जायेगी। इसके साथ ही विशेष राज्यों में सामान और सेवा दोनों स्थितियों में 20 लाख की लिमिट है।

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विशेष राज्यों में से 4 राज्य मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में 20 लाख की जगह यह सीमा 10 लाख की है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन राज्य में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण 10 लाख कमा पाना भी मुश्किल है। इसके साथ ही ये लिमिट पूरे भारत में कहीं से भी की गई बिक्री के लिए लागू है। इसके लिए आपकी टर्नओवर (GST registration limit in Hindi) को पैन के आधार पर चेक किया जाता है। इसके आलावा भी निम्न व्यक्तियों को जीएसटी में पंजीकृत होना आवश्यक है, भले ही उनकी कारोबार ऊपर दी गई सीमाओं से कम है:

  • एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री करने वाला व्यक्ति।
  • कैजुअल कारोबारी जो एक राज्य में अस्थायी रूप से माल या सेवा की बिक्री के लिए जाते हैं, हैंडीक्राफ्ट गुड्स के अलावा।
  • एक व्यक्ति का बिजनेस जब किसी और को ट्रांसफर किया जाता है, तो उसको भी जीएसटी में रजिस्टर करवाना अनिवार्य है।
  • जो व्यक्ति पहले किसी और लॉ के तहत रजिस्टर थे, उन्हें भी जीएसटी में रजिस्टर होना जरूरी है।
  • कैजुअल कारोबारी की तरह ही नॉन रेजिडेंट कारोबारी।
  • वो व्यक्ति जिन पर रिवर्स चार्ज का नियम लागू होने की वजह से रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है।
  • इलेक्ट्रिक कॉमर्स ऑपरेटर, जो यात्री परिवहन सेवा, हाउसकीपिंग या होटल आदि की सेवा का प्रबंध करवाते हैं।
  • जीएसटी के अंतर्गत टीडीएस के लिए योग्य व्यक्ति।
  • किसी और व्यक्ति के लिए खरीद और बिक्री करने वाले एजेंट।
  • इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर।
  • इलेक्ट्रिक कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से सामान की बिक्री करने वाले व्यक्ति।
  • इलेक्ट्रिक कॉमर्स ऑपरेटर।
  • ऑनलाइन डाटा एक्सेस एंड रेट्रीवल सर्विसेज देने वाले व्यक्ति।
  • अन्य व्यक्ति जिनको सरकार के द्वारा नोटिफाई किया जाए।

GST kya hai in Hindi – Related FAQs

प्रश्न: भारत में जीएसटी कब लागू किया गया?

उत्तर: भारत में 1 जुलाई 2017 जो जीएसटी लागू किया गया।

प्रश्न: जीएसटी की सरकारी साइट कौन सी है?

उत्तर: जीएसटी की ऑफिसियल साइट www.gst.gov.in है।

प्रश्न: जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की लिमिट कितनी है?

उत्तर: सामान्य तौर पर जीएसटी की लिमिट 40 लाख कर दी गई है।

प्रश्न: जीएसटी की रजिस्ट्रेशन फीस कितनी है?

उत्तर: सरकार की तरफ से रजिस्ट्रेशन पर कोई फीस नहीं है, परंतु आपकी रजिस्ट्रेशन में सहायता करने वाला फीस चार्ज कर सकता है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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