ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी होती है? UP Gram Pradhan Salary 2023

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प्रशासन की दृष्टि से ग्राम (village) सबसे छोटी इकाई है। इसका मुखिया ग्राम प्रधान होता है। ग्राम प्रधान यानी वह व्यक्ति, जिसके ऊपर गांव को आगे ले जाने एवं उसके विकास (development) की जिम्मेदारी होती है। वह व्यक्ति जो चाहे तो अपने गांव को देश दुनिया के सामने एक आदर्श (ideal) बना सकता है।

साथ ही वह व्यक्ति भी, जो राजनीति की इस प्राथमिक पाठशाला से निकल आगे ऊंचे मुकाम हासिल करता है। क्या आपको पता है कि एक ग्राम प्रधान को उसकी जिम्मेदारियां निभाने के एवज में कितना वेतन यानी ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी मिलती है? यदि नहीं तो भी आपको कहीं इधर उधर जाने की आवश्यकता नहीं।

हम आपको बताएंगे कि एक ग्राम प्रधान (gram pradhan) के क्या कार्य होते हैं? इन कार्यों के आधार पर उसकी सैलरी कितनी होती है, आदि। आइए, शुरू करते हैं-

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ग्राम प्रधान का चुनाव कैसे होता है? (How a gram pradhan is elected)

दोस्तों, सबसे पहले जान लेते हैं कि ग्राम प्रधान का चुनाव कैसे होता है। यह तो आप जानते ही होंगे कि पंचायत चुनाव (panchayat election) त्रिस्तरीय होता है। इसका पहला स्तर ग्राम पंचायत होता है, जिसके लिए ग्राम प्रधान का चुनाव होता है। आपको बता दें कि इसी चुनाव के लिए सर्वाधिक उम्मीदवारी भी देखने को मिलती है और बाहुबल का इस्तेमाल भी खूब होता है।

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इसके लिए आम चुनाव होता है। जनता अपने मत से अपना प्रधान चुनती है। खास बात यह है कि इसमें किसी पार्टी (party) का कोई हस्तक्षेप (interference) नहीं होता। यदि प्रधान का पद खाली (Empty) होता है, तो फिर से डायरेक्ट वोटिंग (Direct voting) के जरिए चुनाव होता है।

इसके साथ ही यह भी प्रावधान (provision) किया गया है कि यदि प्रधान का पद छह माह से कम समय के लिए खाली हो तो उसके लिए चुनाव नहीं होगा।

ग्राम प्रधान के क्या क्या कार्य हैं? (What are the functions of a gram pradhan?)

यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि गांव में विकास कार्य (development works) कराने का जिम्मा ग्राम प्रधान का होता है। मसलन, गांव की सड़क, नाली, खड़ंजा बनवाना, सफाई व्यवस्था जैसे शौचालय, मूत्रालय, नाली, नलकूप, गंदे पानी अथवा कूड़े करकट के स्थान को बंद कराने, मरम्मत कराने, सामुदायिक भवन निर्माण समेत अन्य कई योजनाओं को अमली जामा पहनाने का जिम्मा ग्राम पंचायत (gram panchayat) का होता है, जिसका चुना हुआ प्रतिनिधि ग्राम प्रधान होता है, जो इस पूरी कवायद का गांव की ओर से नेतृत्व करता है।

ग्राम पंचायत किसी सार्वजनिक सड़क, पुलिया अथवा पुल का मार्ग बदल सकती है। डसे बंद अथवा समाप्त कर सकती है। लघु सिंचाई योजनाएं (small irrigation scheme) प्रारंभ कर सकती है। सार्वजनिक मार्ग पर निकली हुई झाड़ी अथवा वृक्ष की डाल को कटवा सकती है।

ग्राम प्रधान के वित्तीय अधिकार क्या हैं? (What are the financial rights of gram pradhan?)

साथियों, आप जानते ही होंगे कि सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष (financial year) में विकास निधि के तहत पंचायतों के लिए विकास के लिए बजट (budget) निश्चित करती है। ग्राम प्रधान पर गांव में विभिन्न विकास कार्यों के लिए इस राशि के व्यय (expenditure) की जिम्मेदारी (responsibility) होती है।

उत्तर प्रदेश सरकार (uttar Pradesh government) ने अभी केवल करीब पांच ही माह पूर्व यानी दिसंबर, 2021 में ग्राम प्रधान के वित्तीय अधिकारों (financial rights) को पांच लाख से बढ़ाकर 25 लाख किया गया है। वित्तीय अधिकार बढ़ जाने से अब माना जा रहा है कि ग्रामों (villages) में विकास कार्यों में और बढ़ोत्तरी होगी और काम तेजी से हो सकेंगे।

ग्राम प्रधान को कितनी सैलरी मिलती है? (How much salary does a gram pradhan get?)

दोस्तों, अब आते हैं मूल सवाल पर। ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी मिलती है? तो आपको बता दें कि एक ग्राम प्रधान को सैलरी नहीं, बल्कि प्रतिमाह (monthly) एक नियत मानदेय (allowance) दिया जाता है।

इसे अब 5,000 रूपये प्रतिमाह कर दिया गया है। अभी लगभग पांच ही माह पूर्व में यह 3,500 रूपये प्रतिमाह हुआ करता था। इसके अतिरिक्त गांव से जुड़े कार्य के लिए इधर उधर जाने की आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए ग्राम प्रधान को यातायात भत्ता भी मिलता है।

ग्राम प्रधान विकास की राशि कैसे खर्च करता है? (How gram pradhan expends development money?)

गांव के लिए जब भी कोई योजना (plan) पास होती है तो उसकी राशि सचिव (secretary), जो कि प्रशासनिक अधिकारी (administrative officer) होते हैं एवं ग्राम प्रधान, जो जनता के प्रतिनिधि (representative) होते हैं, के संयुक्त हस्ताक्षर joint से निकाली जाती है।

इसके पश्चात यह राशि गांव के लिए पास की गई सड़क, नाला, सफाई, सामुदायिक भवन निर्माण (community centre) जैसे विकास कार्यों, योजनाओं में खर्च होती है। यह स्पष्ट है कि सचिव अथवा ग्राम प्रधान दोनों से कोई भी यदि चाहे कि वह अकेले इस राशि की निकासी कर ले तो वह नहीं कर सकते।

यदि ग्राम प्रधान की मृत्यु हो जाए तो परिजनों को कितनी राशि मिलती है? (If gram pradhan dies, how much money his family persons get?)

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (uttar Pradesh CM yogi Adityanath) ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव (panchayat election) से पहले ही ग्राम प्रधान के मानदेय में इजाफा किया था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि यदि ग्राम प्रधान, प्रमुख क्षेत्र पंचायत अथवा जिला पंचायत अध्यक्ष की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजनों को 10-10 लाख रूपये की राशि दी जाएगी।

ग्राम प्रधान का चुनाव कौन लड़ सकता है? (Who can fight election of gram pradhan?)

गांव के बहुत से युवा ऐसे हैं, जो ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ना चाहते हैं। इस चुनाव में भारी संख्या में धनबल इस्तेमाल होता है, ऐसे में धनी परिवारों एवं सियासत में दिलचस्पी रखने वाले परिवारों के चश्मो चिराग हनक के लिए ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ते हैं। अब हम आपको बताते हैं कि ग्राम प्रधान का चुनाव कौन कौन लड़ सकता है। इसके लिए यह योग्यताएं (qualifications) निर्धारित की गई हैं-

  • प्रत्याशी भारत का नागरिक (citizen of India) हो।
  • उसकी आयु न्यूनतम 21 वर्ष हो।
  • उम्मीदवार पागल या दिवालिया न हो।
  • वह किसी सरकारी सेवा अथवा लाभ के पद पर न हो।

इसके अतिरिक्त भी कई शर्तें हैं, जैसे-प्रत्याशी ने किसी आरक्षण का लाभ न लिया हो। साथ ही उस पर समितियों का बकाया न हो आदि।

ग्राम प्रधान पद के लिए उम्मीदवारी सर्वाधिक होने का क्या कारण है? (What is the reason of maximum contestents in this election?)

दोस्तों, एक सवाल आपके दिमाग में जरूर उठ रहा होगा कि जब ग्राम प्रधान का मानदेय इतना कम है तो भला ग्राम प्रधान बनने के लिए बड़े बड़े लोगों में होड़ क्यों मची रहती है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें दोस्तों कि ग्राम प्रधान पद पर बेशक मानदेय केवल 5,000 रूपये है, लेकिन इसमें सरकारी योजनाओं (government schemes) के लिए इतना बजट (budget) आता है कि उसके लालच में इस पद के लिए सर्वाधिक उम्मीदवारी देखने को मिलती है।

इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मानदेय मामूली होने के बाद बावजूद पंचायत चुनाव में प्रत्याशी शाही खर्च करते हैं। निर्वाचन आयोग (election commission) द्वारा खर्च की सीमा निर्धारित किए जाने के बावजूद ढके-छिपे खूब धनबल एवं बाहुबल इस्तेमाल होता है। आलम यह है कि कई गांवों में तो ग्राम प्रधान दशकों से एक ही परिवार के बनते चले आ रहे हैं।

ऐसा उनका गांव में दबदबा होने की वजह से हो पाता है। जनता प्रत्येक बार उन्हीं के नाम पर मुहर लगाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि प्रधान कोई दूसरा बन जाता है, लेकिन लोग पहले वाले को ही प्रधान जी कहकर बुलाते रहते हैं। यह परिवार के रसूख की वजह से होता है।

ग्राम प्रधान के चुनाव में आपराधिक मामलों में लिप्त प्रत्याशी भी सर्वाधिक हिस्सेदारी करते नर आते हैं। कई पर तो संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज (cases file) होते हैं। लेकिन यह हमारे यहां गांवों की राजनीति (politics) का चरित्र (character) बयां करता है। यहां सियासत बाहुबल के इर्द-गिर्द घूमती है।

क्या महिलाओं को पंचायतों में आरक्षण का लाभ मिला है? (Did women get benefit of reservation?)

चुनावों/लोकतांत्रित संस्थाओं/राजनीति में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए सरकार ने महिलाओं के लिए पंचायतों में सीटें तो आरक्षित (reserved) की हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इसका लाभ उन्हें धरातल में मिलता नजर नहीं आता। यहां भी वे अपने पति अथवा अपने परिवार के साए तले बैठकों में आते, फैसले लेती नजर आती हैं।

चुनाव के दौरान ही ऐसा आलम देखने को मिलता है कि चुनाव पत्नी लड़ रही होती है, लेकिन पोस्टर पर पति का चेहरा चस्पा होता है। महिला प्रत्याशी का परिचय फलां की पत्नी, फलां की बहू के रूप में होता है।

यदि वह महिला जीत जाती है तो उसके पति अथवा परिवार के सदस्य ही प्रधान जी कहलाते हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण का उद्देश्य पूरा होता नजर नहीं आता।

ग्राम प्रधान कौन होता है?

वह ग्राम पंचायत का मुखिया होता है, जो गांव के विकास के लिए जिम्मेदार होता है।

ग्राम प्रधान बनने के लिए क्या भारत का नागरिक होना अनिवार्य है?

जी हां, ग्राम प्रधान बनने के लिए भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।

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ग्राम प्रधान बनने के लिए न्यूनतम उम्र क्या निर्धारित की गई है?

ग्राम प्रधान बनने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है।

ग्राम प्रधान को कितना मानदेय मिलता है?

ग्राम प्रधान को 5,000 रूपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है।

इससे पूर्व ग्राम प्रधान को कितना मानदेय मिलता था?

इससे पूर्व ग्राम प्रधान को 3,500 रूपये प्रतिमाह मानदेय मिलता था।

क्या कोई पागल अथवा दिवालिया ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ सकता है?

जी नहीं, कोई पागल अथवा दिवालिया ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं लड़ सकता।

दोस्तों, हमने अभी आपको इस पोस्ट (post) में ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी होती है? विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप इसी प्रकार के जानकारीपरक विषय पर हमसे पोस्ट चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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