ग्लेशियर किसे कहते है? ग्लेशियर कैसे बनते हैं? | Glacier kise kahte hain

|| ग्लेशियर किसे कहते है? | Glacier kise kahte hain | Glacier kya hote hain | ग्लेशियर को हिंदी में क्या कहते है? | Glacier ko Hindi mein kya kahate hain | सबसे ज्यादा ग्लेशियर किस देश में है? | भारत में कितने ग्लेशियर हैं? ||

Glacier kise kahte hain : – आपने बहुत बार ग्लेशियर शब्द को सुना होगा और यह पृथ्वी के लिए कितना आवश्यक है, शायद इसके बारे में भी पढ़ा हो। यदि फिर भी आपने अभी तक ग्लेशियर के बारे में इतना नहीं जाना है और इसके बारे में जानने को इच्छुक है तो आज हम इसी विषय पर ही बात करने (Glacier kya hota hai) वाले है। दरअसल हम पानी के जमे हुए रूप को बर्फ कह देते हैं किंतु जब यही बर्फ बहुत अधिक मात्रा में पर्वतो पर पायी जाती है और जिनसे नदियों का निर्माण होता है, उसे ग्लेशियर कह दिया जाता है।

यह ग्लेशियर किसी भी ठंडे इलाके में जहाँ पर अधिकतम समय तापमान शून्य या जमाव बिंदु का होता है, वहां पर इन ग्लेशियर को देखा जा सकता है। जब वहां पर गर्मियां पड़ती है या समय के साथ साथ इन्ही ग्लेशियर से जमा पानी नदी का रूप ले लेता है और उसी से ही हमारी और दुनिया भर के लोगों की प्यास (Glacier kya hote hain) बुझती है। आइए इस लेख के माध्यम से इन ग्लेशियर के बारे में सब जानकारी जुटा ले और जाने कि आखिरकार यह ग्लेशियर होते क्या है।

ग्लेशियर किसे कहते है? (Glacier kise kahte hain)

ग्लेशियर को सामान्य तौर पर हिमनदी भी कह दिया जाता है। यह मुख्य रूप से बड़े बड़े पर्वतो, चट्टानों पर पाए जाने वाले बर्फ के रूप होते हैं जो गतिशील अवस्था में होते हैं। यह पानी का जमा हुआ रूप कहा जा सकता है जिसे शुद्ध पानी के रूप में (Glacier meaning in hindi) आँका जाता है। अब समुंद्र का पानी तो खारा होता है और उसमे नमक की बहुत मात्रा होती है। उस तरह के पानी से मनुष्य अपनी प्यास नही बुझा सकता है।

ग्लेशियर किसे कहते है ग्लेशियर कैसे बनते हैं Glacier kise kahte hain

तो वही पानी शुद्ध रूप में और बिना नमक के जमा हुआ पाया जाए और गतिशील भी हो तो उसे ग्लेशियर कह दिया जाता है। इस तरह के ग्लेशियर कम मात्रा में होने की बजाए बहुत अधिक और बड़ी संख्या में पाए जाते हैं क्योंकि वहां का तापमान बहुत ही कम होता है। तो भारत के जिस इलाके में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है या जहाँ पर वर्ष के अधिकतम समय ठंड पड़ती है, और वहां पानी भी अधिक है तो वहां पर ग्लेशियर पाए जाते हैं।

ग्लेशियर को हिंदी में क्या कहते है? (Glacier ko Hindi mein kya kahate hain)

ग्लेशियर को हिंदी में हिमनदी या हिमानी कह दिया जाता है। चूँकि यह बर्फ से जमी हुई चादर होती है जिससे नदियों का निर्माण होता है तो इसे हिमनदी कह दिया जाता है। यही नदियाँ आगे बहती हुई कई राज्यों की प्यास बुझाती है और खेती करने के काम आती है। किसी भी नदी का उद्गम किसी ना किसी ग्लेशियर से ही होता है तभी ज्यादातर सभी नदियाँ पहाड़ो से निकल कर बनती है।

अब आप भारत की सबसे पवित्र नदी माँ गंगा को ही ले लीजिए। इसका उद्गम गंगोत्री के हिम ग्लेशियर से होता है। वहां पर बड़ी संख्या में ग्लेशियर जमे हुए रहते हैं और समय के साथ साथ उनमे से पानी निकल कर गंगा नदी का रूप लेता रहता है। इसलिए हम ग्लेशियर को हिंदी में हिमनदी या हिमानी कह देते हैं अर्थात जिससे जल निकले और नदी का रूप ले।

ग्लेशियर कैसे बनते हैं? (Glacier kaise bante hain)

ग्लेशियर को बनने की प्रक्रिया को जाना जाए तो यह बहुत ही सामान्य है। आपने बहुत जगह यह न्यूज़ पढ़ी या सुनी होगी कि पहाड़ो पर बर्फबारी हुई या स्नो फॉल हुई तो वह क्या होती है? वह दरअसल आसमान से सीधे बर्फ के रूप में बरसने वाली वर्षा होती है। अब यदि किसी जगह का तापमान इतना अधिक है कि बादलो से धरती पर पानी पहुँचने से पहले ही वह जम जाए या बर्फ रूप में परिवर्तित हो जाए तो उसे बर्फबारी होना कह देते हैं।

अब यह जरुरी नही कि यह पानी बर्फ रूप में बरस कर ही आये, बल्कि यह पानी रूप में भी बरसता है और फिर धीरे धीरे जम जाता है। अब ऐसी बारिश केवल मैदानी इलाको में होने की बजाए चट्टानों, पर्वतो पर भी तो होती (Glacier kaise banta hai) रहती है। कुछ कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहाँ पर मनुष्य का जाना संभव नही हो पाता है या फिर वहां पर सर्दियों के मौसम में मार्ग बंद हो जाते हैं। गर्मियों के मौसम में आप शायद ऐसी कई जगहों पर घूमने भी गए होंगे।

तो अब यदि यही बर्फ बहुत अधिक संख्या में बन जाती हैं या जम जाती हैं तो उससे ग्लेशियर का निर्माण होता है। यह केवल और केवल कम तापमान के कारण हो पाता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो यदि किसी जगह का तापमान इतना अधिक है कि वहां के पहाड़ो पर जमा पानी बर्फ का रूप ले लेता है तो उसे ग्लेशियर का बनना कहा जाता है।

ग्लेशियर क्यों पिघलते हैं? (Glacier kyon pighal rahe hain)

अब ग्लेशियर का बनना या जमना तो आपने जान लिया लेकिन यह पिघलते क्यों है, इसके बारे में भी तो जान लीजिए। तो ग्लेशियर यदि बनते हैं तो वे पिघलेंगे भी। कहने का मतलब यह हुआ कि तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी या कमी ग्लेशियर के बनने और पिघलने का मुख्य कारण (Glacier kyu pighalta hai) होती है। सर्दियों में जिस इलाके का तापमान शून्य से बहुत नीचे चला जाता है और वहां बहुत अधिक मात्रा में बर्फबारी होती हैं और ग्लेशियर बन जाते हैं वही गर्मियों के मौसम में तापमान कम होने के कारण पिघलते भी रहते हैं।

अब ऐसा नहीं है कि यह केवल गर्मियों के मौसम में ही पिघले। अब ऐसा होता तो सर्दियों के मौसम में सभी नदियों का प्रवाह रुक जाता और वे बनती ही नही। हमने ऊपर आपको यह भी बताया की यह ग्लेशियर गतिशील भी होते हैं जो पहाड़ो की दिशा में आगे बढ़ते रहते हैं। कहने का मतलब यह हुआ कि यह ठोस बर्फ नहीं होती है जो एक जगह ही जम कर रह जाए। यह हमेशा गतिशील रहती है और आगे बढ़ती जाती है।

तो ऐसे में जब इन ग्लेशियर का भाग बहते हुए या चलते हुए ऐसी जगह पहुँच जाता है जहाँ का तापमान थोड़ा ज्यादा हो तो यह पानी का रूप ले लेते हैं। अब यही पानी आगे बहता हुआ नदी का रूप ले लेता है जिससे कई नदियों का निर्माण होता है। साथ ही इसके तेजी से पिघलने में ग्लोबल वार्मिंग का भी बहुत बहुत बड़ा योगदान होता है।

ग्लेशियर कहां पाए जाते हैं? (Glacier kaha hai)

यदि आपको ग्लेशियर देखने हैं या यह जानना है कि यह मुख्य रूप से कहां पाए जाते हैं तो आपको पहाड़ी इलाको में जाना होगा या फिर ऐसी जगह पर जहाँ का तापमान बहुत कम रहता हो। ग्लेशियर किसी भी ऐसी जगह नहीं मिलेंगे जहाँ का तापमान शून्य से अधिक हो या जहाँ पर सामान्य तौर पर गर्मी रहती हो। इसलिए जो जो इलाके ठन्डे रहते हैं या जहाँ का तापमान शून्य से नीचे रहता हो या जहाँ वर्ष के अधिकतर महीनो में ठंड का मौसम रहता हो, वहां पर यह ग्लेशियर देखे जा सकते हैं।

इनमे भारत के चार प्रमुख राज्य आते हैं जो है उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख व जम्मू कश्मीर। इनके अलावा हिमालय पर्वत के साथ वाले राज्यों में भी ग्लेशियर देखे जा सकते हैं जो कि उत्तर पूर्व भारत के कुछ राज्य हो गए। तो ऐसे राज्य जहाँ पर हिमालय है या जहाँ पर बहुत अधिक ठंड देखने को मिलती है, वहां पर ग्लेशियर पाए जाते हैं।

ग्लेशियर तेजी से क्यों पिघल रहे हैं? (Glacier pighalne ka karan kya hai)

ग्लेशियर के पिघलने की प्रक्रिया पूरी तरह से सामान्य है और यह हमेशा चलते रहनी वाली प्रक्रिया है क्योंकि ग्लेशियर पिघलेंगे तभी तो हमें पीने और खेती करने योग्य पानी प्राप्त होगा। किंतु जब यही ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे तो यह मनुष्य जाति के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है। अब आपने बहुत बार पर्यावरण की चर्चा सुनते हुए या करते हुए ग्लेशियर के तेजी से पिघलने का मुद्दा भी सुना होगा और बहुत लोगों को इस पर चिंता व्यक्त करते हुए भी देखा होगा। तो ऐसा क्यों है और यह क्यों हो रहा है? इसका कारण जानना बहुत जरुरी है।

आज के समय में मनुष्य अपनी सुख सुविधाओं के लिए पर्यावरण के साथ बहुत अधिक छेड़खानी कर रहा है। साथ ही मनुष्य की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं और इस कारण वन सामाप्त होते जा रहे हैं और संसाधनों का दोहन बढ़ता जा रहा है। हमने असंख्य एसी, फ्रिज, वाहनों का निर्माण कर लिया है और हर दिन किसी ना किसी चीज़ का निर्माण कर रहे हैं और प्रदूषण फैलाते जा रहे हैं।

इन सब कारणों के कारण धरती का तापमान बढ़ता ही जा रहा है और हर वर्ष की तुलना में धरती गर्म होती जा रही है। इसे हम ग्लोबल वार्मिंग के नाम से भी जानते हैं अर्थात धरती का लगातार गर्म होते रहना। तो अब धरती गर्म होगी तो उसका प्रभाव ग्लेशियर पर दिखेगा ही दिखेगा। ग्लेशियर तो ठन्डे तापमान में ही बनते रहते हैं और समय के साथ साथ पिघलते और जमते रहते हैं।

चूँकि अब तापमान अधिक हो जाएगा तो इनके जमने की गति धीमी हो जाएगी और पिघलने की गति तेज। तो यही मुख्य कारण है ग्लेशियर के इतनी तेजी से पिघलने का व प्राकृतिक आपदाओं के आने का। जितनी तेजी से ग्लेशियर के पिघलने की गति बढ़ रही है उतना ही अधिक खतरा मानव सभ्यता पर बढ़ता जा रहा है।

ग्लेशियर के तेजी से पिघलने का मानव जीवन पर प्रभाव (Glacier pighalne se kya hoga)

बहुत जगह ऐसे ग्लेशियर भी है जो हजारो सालो से वैसी ही स्थिति में हैं जैसे तब थे। कहने का मतलब यह हुआ कि वे ऐसी जगह स्थित है जहाँ का तापमान हमेशा ही कम रहता है और वहां कभी भी बर्फ नही पिघली। अब चूँकि ग्लेशियर लगातार धरती के बढ़ते तापमान के कारण पिघलते जा रहे हैं तो इसकी आंच उन तक भी पहुँच रही है। सदियों सदियों तक ऐसे ही दबे रहने के कारण उन ग्लेशियर में पहले के कई वायरस भी निवास करते हैं जो उनके पिघलते ही बाहर आ जाएंगे और मानव सभ्यता के लिए विनाशकारी सिद्ध होंगे।

इसी के साथ साथ इनके लगातार पिघलने के कारण नदियों व समुंद्र का जल स्तर भी बढ़ता जा रहा है जिस कारण समुंद्र की सतह ऊपर उठती जा रही है। इस कारण सुनामी, बाढ़ इत्यादि का खतरा भी बढ़ रहा है। तो यदि हमने समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया और दुनिया भर की सरकारे नही जागी तो यह मानव सभ्यता ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पायेगी।

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ग्लेशियर क्या होते है – Related FAQs

प्रश्न: ग्लेशियर से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: ग्लेशियर का अर्थ होता है जमा हुआ पानी जो बहुत अधिक संख्या में पर्वतो और चट्टानों पर रहता है।

प्रश्न: भारत में कितने ग्लेशियर हैं?

उत्तर: भारत में लगभग 15 हज़ार से अधिक ग्लेशियर हैं।

प्रश्न: भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर कौन सा है?

उत्तर: सियाचीन का ग्लेशियर भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।

प्रश्न: सबसे ज्यादा ग्लेशियर किस देश में है?

उत्तर: सबसे ज्यादा ग्लेशियर कनाडा देश में है।

तो इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि ग्लेशियर क्या होते हैं और इनका मानव सभ्यता में कितना कुछ योगदान रहता है। आशा है कि आपने ग्लेशियर की महत्ता को समझा होगा और अब आप पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से ही काम करेंगे, ना कि उसके विनाश के उद्देश्य से।

शेफाली बंसल
शेफाली बंसल
इनको लिखने में काफी रूचि है। इन्होने महिलाओं की सोशल मीडिया ऐप व वेबसाइट आधारित कंपनी शिरोस में कार्य किया। अभी वह स्वतंत्र रूप में लेखन कार्य कर रहीं हैं। इनके लेख कई दैनिक अख़बार और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
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