अदालत की पेशी में शामिल ना होने पर क्या होगा? नियम-कानून, सज़ा, जुर्माना | अदालत की अवमानना

अदालत की पेशी में शामिल ना होने पर क्या होगा? सामान्य जीवन में हम कई ऐसी बातें बोल जाते हैं, जो सही नहीं होती हैं। आपस में, गली मोहल्ले में लड़ते हुए भी कई सारे ऐसी बातें होती हैं जिससे झगड़ा बढ़ जाता है और माहौल भी बिगड़ने लगता है। जीवन के उतार-चढ़ाव में कई बार ऐसी बातें हो जाती हैं। जब कोई भी जुर्म बड़ा और खतरनाक हो जैसे- चोरी, लूटपाट या कोई असामाजिक गतिविधि ऐसे समय में कानून के मुताबिक ही सजा सुनाई जाती है और उसका पालन भी किया जाता है।

कानून क्या है? What is the law?

समाज में होने वाली अपराधिक घटनाओं को दूर करने के लिए कानून का उपयोग किया जाता है। वास्तव में कानून भली प्रकार से लिखी गई संसूचक है, जिसके बिना कानून व्यवस्था को सही तरीके से नहीं चलाया जा सकता है। कानून हमारे देश का अभिन्न अंग है। प्रत्येक देश का अपना स्वयं का एक कानून होता है।

अदालत की पेशी में शामिल ना होने पर क्या होगा? नियम-कानून, सज़ा, जुर्माना | अदालत की अवमानना

कानून आवश्यक क्यों है? Why is the law necessary?

भारतीय कानून व्यवस्था में किसी भी प्रकार से कानून को ही सर्वोपरि माना गया है। अगर हमारे देश में कानून नहीं होगा, तो कभी भी देश की व्यवस्था सही तरीके से नहीं चल पाएगी। समाज में किसी प्रकार की घटना होने पर समाज को सुरक्षा देना आवश्यक है। यह सुरक्षा कानून की वजह से ही होती है। कानून की सही जानकारी होना भी आवश्यक होता है। बिना कानून के सामाजिक ढांचा छिन्न-भिन्न हो सकता है।

किसी भी आपराधिक घटना होने के बाद कानून के तहत व्यक्ति को पेशी अदालत में देनी होती है। पेशी के समय व्यक्ति को  अदालत आना बहुत अनिवार्य है। कई लोग जानबूझकर या किसी कारणवश भी अदालत में नहीं आ पाते हैं। यदि पेशी के समय अदालत में हाजिर नहीं हुए तो इसके लिए कुछ प्रावधान दिए गए हैं जिनके माध्यम से ही प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया जाता है।

कोर्ट की पेशी में शामिल ना होने पर क्या प्रावधान है?

हमारे आसपास कई प्रकार के अपराध होने की स्थिति होने पर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है और उस पर केस दर्ज हो जाता है। कई बार ऐसा होता है कि कोर्ट की पेशी के बावजूद भी लोग शामिल नहीं होते हैं। यदि अदालत से किसी प्रकार के समन आने के बाद भी कोई व्यक्ति उस पेशी में शामिल ना हो, तो उस व्यक्ति के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया जाता है या फिर वारंट भी जारी हो सकता है।

अपराध के प्रकार – Types of crime

किसी भी व्यक्ति को अदालत में बुलाने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि अपराध दो तरह के होते हैं जिसके अंतर्गत ही कोई भी अदालत सजा देती है।

1) संज्ञेय अपराध – Cognizable offence

यह अपराध गंभीर क़िस्म का होता है, जिसमें हत्या, छेड़खानी, अपहरण, गैंगरेप आदि आते हैं। इनमें से किसी भी प्रकार का केस दर्ज होने पर पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। जब कभी भी जरूरत होती हो, तो सीआरपीसी की धारा 160 के तहत आरोपी को पूछताछ के लिए बुलाया जाता है। यदि आरोपी इस समय पेशी के लिए ना आए, तो पुलिस सीधे ही गिरफ्तार कर सकती है और फिर उस पर पेशी शुरू हो सकती है।

2)असंज्ञेय अपराध – Non-cognizable offense

यह भी अपराध है, जो मामूली किस्म के होते हैं। ऐसे समय में एफ आर आई दर्ज नहीं की जा सकती है। जब आरोपी के खिलाफ दिए गए साक्ष्य से अदालत को संतुष्टि मिल जाती है, तब आरोपी के नाम पर समन जारी किया जा सकता है।

कई बार कोर्ट में आरोपी के खिलाफ समन जारी किया जाता है और आरोपी कोर्ट में पेशी के लिए ना आए तो ऐसे में गैर जमानती वारंट भी दे दिया जाता है। जिसके अंतर्गत उस व्यक्ति को बॉन्ड भर कर केस को आगे बढ़ा दिया जाता है।

जमानत के बाद अदालत की पेशी में उपस्थित ना होने पर प्रावधान

जब भी अदालत में किसी व्यक्ति की जमानत होती है, तो वह इसी बात का आधार होती है कि आरोपी हर पेशी में शामिल जरूर होगा। यदि किसी कारणवश जमानत के बाद अदालत में पेशी के लिए व्यक्ति आरोपी उपस्थित ना हो पाए, तो ऐसी स्थिति में जमानत के लिए भरा हुआ बांड जप्त कर लिया जाता है और उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करने का प्रावधान होता है।

यदि पेशी में शामिल होने का कारण वास्तविक है, तो ऐसे में एक बार फिर से जमानत किया जाता है। यह काम एक काबिल वकील के माध्यम से ही होना सही है। अगर पुरानी जमानत की राशि जप्त हो गई हो, तो आने वाले पेशियों में हाजिर होकर फिर से अपने मुकदमे को पूर्ण रूप से खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।

यदि ज्यादा समय तक किसी पेशी में ना जाएँ तो क्या होगा?

जमानत के बाद हर पेशी में जाना एक आरोपी का कर्तव्य है। यदि कुछ ज्यादा समय या कुछ वर्षों से पेशी में ना जा पाए हो, तो ऐसे में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे समय में जल्द से जल्द अपने वकील से मिलकर समाधान खोजना उचित होगा। इसके लिए पूर्व के जमानत की राशि जप्त हो जाती है, तब कोशिश करनी चाहिए कि जुर्माना देकर मुकदमे को खत्म करने की कोशिश हो। यदि अदालत में हाजिर होकर अपने आरोप को स्वीकार कर लिया जाए तो ज्यादा बड़ा आरोप ना होने पर जुर्माने के साथ मुकद्दमा खत्म किया जा सकता है।

अदालत की अवमानना – contempt of court

किसी भी अपराधी को सजा दिलाने के लिए अदालत की शरण में जाना सही है। कानून की नजर में हर आरोप की सजा अलग-अलग होती है। जब कोई मामला अदालत में आता है, तो रिपोर्टिंग पर कई प्रकार की पाबंदियां लगी होती हैं। जब कानूनी कार्यवाही शुरू होती है, तब मुकदमे में रखी गई सामग्री के प्रकाशन को अदालत की अवमानना की श्रेणी में लाया जाता है जिसके अंतर्गत संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है और उसके बाद अदालत की कार्यवाही शुरू हो जाती है।

इलाज में व्यस्त रहने की वजह से पेशी में ना शामिल होने का मामला

अदालत की पेशी हर आरोपी के लिए आवश्यक है। कई पेशी के लिए गवाहों को भी बुलाया जा सकता है। किसी अस्पताल के डॉक्टर यदि मिला इलाज में व्यस्त रहते हुए पेशी में शामिल नहीं हुए तो यह अदालत की तौहीन के बराबर ही समझा जाता है। ऐसे मामले में डॉक्टर के खिलाफ भी गैर जमानती या गिरफ्तारी का वारंट जारी हो सकता है। अदालत की नजर में हर इंसान बराबर ही है। किसी के ओहदे की वजह से अदालत के नियम नहीं बदलते हैं।

ऑनलाइन केस का स्टेटस कैसे चेक करें? How to check online case status?

हमारे आसपास का माहौल बदलाव की ओर अग्रसर है। जब पूरी दुनिया हाईटेक हो चुकी है, ऐसे में अदालत का भी हाईटेक होना लाजमी है। अदालत में होने वाली पेशी की जानकारी और अन्य कोई जानकारी के लिए अब आप एक क्लिक ही दूर हैं।

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  • होम पेज के खुलने पर आपको भारत का नक्शा दिखाई देगा यहाँ आपको अपने स्टेट और उसके बाद अगले पेज में डिस्ट्रिक्ट पर क्लीक करें।

अदालत की पेशी में शामिल ना होने पर क्या होगा? नियम-कानून, सज़ा, जुर्माना | अदालत की अवमानना

  • नेक्स्ट पेज में आप Case Status पर क्लीक करें जिसमे आप Case Number, FIR Number, Party Name, या Advocate Name से अपना केस का स्टेटस चेक कर सकतें हैं।

अदालत की पेशी में शामिल ना होने पर क्या होगा? नियम-कानून, सज़ा, जुर्माना | अदालत की अवमानना

  • सारी डिटेल्स भरकर GO बटन पर क्लीक करें। जिसके बाद आपको अगले पेज में जज, मुकदमे की स्थिति, तारीख की पेशी, फैसला सभी जानकारी देखी जा सकती है।
  • आप अपने नाम से भी अपने मुकदमे की स्थिति का पता लगा सकते हैं। वेबसाइट पर ग्रामीण कोर्ट की स्थिति भी जानी जा सकती हैं।

क्या अदालत में हर पेशी पर जाना जरूरी है? Is it necessary to visit every muscle in court?

  1. यदि किसी व्यक्ति का मामला किसी भी अदालत में चल रहा हो और उसका केस या तो दांपत्य जीवन से संबंधित हो या घरेलू हिंसा से। यदि ऐसे केस में व्यक्ति पेशी में नहीं जा पाता, तो व्यक्ति का वकील पेशी में जाकर कारण दे सकता है। वकील को प्रार्थना पत्र देने का भी अधिकार प्राप्त होता है।
  2. यदि किसी सिविल केस में पेशी के लिए ना जा पा रहे हो, तो ऐसे में अदालत थोड़ा समय दे सकती है। इसके लिए आपको कारण बताओ नोटिस देना होगा।
  3. क्रिमिनल केस जैसे हत्या, अपहरण, मारपीट, चेक संबंधित केस में यदि व्यक्ति पेशी में ना पाए तो, वकील प्रार्थना पत्र पेश कर सकता है। साथ ही साथ कारण बताओ नोटिस भी देना होता है। जिसमें ना आने की वजह को बताया जाता है।
  4. किसी क्रिमिनल केस की पेशी में यदि वकील भी ना आ पाए और प्रार्थना पत्र ना दे पाए ऐसी स्थिति में आरोपी की जमानत जप्त हो जाती है। बाद में प्रार्थना पत्र लगाने पर अदालत अस्वीकृत कर देती है और मुचलके की राशि रद्द हो जाती है।
  5. अगर पेशी में ना आया जाए और बिना सूचित किए रहा जाए ऐसे में जमानत जप्त हो जाती है और आरोपी को पुलिस के द्वारा लाए जाने पर अदालत माफी दे देती है। साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जाता है।

अंतिम शब्द –

इस प्रकार से हमारे देश में किसी भी आरोप को साबित करने के लिए अदालत की आवश्यकता होती है। कानून व्यवस्था बनाए रखना बहुत बड़ा काम होता है। यदि सही तरीके से कार्य संपन्न किया जाए, तो परिणाम तक पहुंचने में देर नहीं होती है। ऐसी कोशिश की जानी चाहिए कि कभी भी पेशी के समय अदालत से अनुपस्थित ना रहे क्योंकि ऐसे में दिक्कतें बढ़ती हैं। किसी भी गैर जिम्मेदार व्यवहार से अदालत की तोहीन समझी जाती है।

इसीलिए अपने किसी भी मामले को सुलझाने के लिए अदालत में अपनी पेशी देना अनिवार्य है। पेशी देना कोई डर या घबराहट की बात नहीं है बल्कि इससे इंसाफ होता है। अदालत की कार्यवाही को जल्दी खत्म करने के लिए कानून का साथ देना सबसे अच्छा विकल्प है, जिससे आप जल्द से जल्द अपनी स्थिति में सुधार कर पाएंगे।

तो दोस्तों अदालत की पेशी में शामिल ना होने पर क्या होगा? नियम-कानून, सज़ा, जुर्माना | अदालत की अवमानना आदि की जानकारी। यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले। साथ ही यदि आपको किसी भी प्रकार का कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करें। हम जल्दी आपके सवालों का जवाब देंगे।। धन्यवाद।।

3 thoughts on “अदालत की पेशी में शामिल ना होने पर क्या होगा? नियम-कानून, सज़ा, जुर्माना | अदालत की अवमानना”

  1. मैं एक नागरिक सहकारी बैंक में कार्यरत हु । मेरे द्वारा संयुक्त पंजीयक सहकारिता में वेतन वृद्धि का लाभ दिए जाने हेतु वाद दायर किया।
    बैंक मुझे पेशी पर जाने के लिए अवकाश देने से मना करता है । ऐसी परिस्थिति में मुझे कानूनन क्या अधिकार प्राप्त है।

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