उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज़ करे? How to file complaint in consumer court?

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उपभोक्ता इन दिनों बेहद जागरूक हैं। वे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ना जानते हैं। मसलन कोई सामान खराब आ गया हो, वारंटी पीरियड के भीतर विक्रेता सामान की मरम्मत न कर रहा हो, अथवा कोई अन्य मामला, वे कंज्यूमर कोर्ट में जाने से नहीं चूकते।

लेकिन अभी भी देश में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो यह नहीं जानते कि उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत कैसे दर्ज की जा सकती है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में बारीक से बारीक जानकारी प्रदान करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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उपभोक्ता न्यायालय क्या है? (What is consumer court)

दोस्तों, इससे पूर्व कि हम आगे बढ़े, सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि उपभोक्ता न्यायालय क्या है। मित्रों आपको बता दें कि देश में अन्य सभी कोर्ट यानी न्यायालयों की तरह सरकार ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए उपभोक्ता फोरम (consumer forum) स्थापित किए हैं।

यही उपभोक्ता न्यायालय के रूप में काम करते हैं। उपभोक्ता संबंधी तमाम विवादों पर यही फोरम फैसला करता है। यही ग्राहकों की तमाम शिकायतों, विवादों एवं अन्य मामलों में न्याय दिलाता है। यह फोरम उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (ministry of consumer affairs) के अधीन कार्य करता है।

उपभोक्ता कौन होता है? (Who is consumer)

अब हम आपको बताएंगे कि उपभोक्ता कौन होता है। दोस्तों, उपभोक्ता से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जिसने किसी वस्तु अथवा सेवा को प्राप्त करने के लिए उसका भुगतान (payment) किया हो। चाहे अंशतः भुगतान किया हो अथवा भुगतान का वचन दिया हो। चाहे किसी व्यक्ति ने किसी सेवा का उपयोग किया है, अथवा किराए पर प्राप्त की है, वह भी उपभोक्ता कहलाएगा।

उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज़ करे? How to file complaint in consumer court?

याद रखिए कि यह खरीदारी अथवा उपयोग वाणिज्यिक न हो। उपभोक्ता पर उपभोक्ता सुरक्षा कानून -1986 मान्य है। इसके तहत चल-अचल संपत्ति भी आती है।

आपको बता दें कि सामान में त्रुटि से तात्पर्य क्वालिटी, मात्रा, माप-तोल, शुद्धता अथवा मानक में कोई दोष/ कमी अथवा अपूर्णता है। वर्तमान समय में बाजार से एवं आनलाइन खरीदारी (online shopping) को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।

उपभोक्ता फोरम में किस प्रकार की शिकायत दर्ज की जा सकती है? (What types of complaints are registered in consumer forum)

एक ग्राहक धोखाधड़ी होने की स्थिति में विक्रेता एवं सप्लायर के विरूद्ध उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकता है। इन दिनों इस प्रकार की शिकायतों में दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है।

लेकिन विभिन्न राज्यों में स्टाफ एवं बुनियादी ढांचे की कमी की वजह से बहुत सारे मामले पेंडिंग (pending) रहते हैं। यदि फैसला आता है तो बहुत अवधि के बाद। हालांकि सभी जगह यह स्थिति नहीं है। इन मामलों में उपभोक्ता फोरम में शिकायत की जा सकती है-

  • यदि खरीदे गए अथवा खरीदने के लिए हामी भरने के बाद सामान में त्रुटि हो।
  • यदि किसी व्यापारी, व्यवसायी अथवा सर्विस प्रोवाइडर (service provider) की ओर से अनुचित व्यापारिक व्यवहार (mall business practices) किया गया हो।
  • यदि खरीदे गए अथवा किराए पर लिए सामान अथवा सेवा में किसी प्रकार की कमी आ गई हो।
  • यदि किसी व्यापारी अथवा सर्विस प्रोवाइडर ने सामान, सेवा के लिए अधिक कीमत वसूली हो।

उपभोक्ता फोरम में कौन शिकायत कर सकता है? (Who can file complaint in consumer forum)

साथियों, अब हम आपको इस बात की जानकारी देंगे कि उपभोक्ता फोरम में कौन कौन शिकायत कर सकता है। इनमें यह शामिल हैं-

  • a) पीड़ित उपभोक्ता – वह व्यक्ति जो अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए सामान खरीदता है अथवा सेवाओं का लाभ उठाता है। जान लीजिए कि पुनर्विक्रय अथवा वाणिज्यिक अथवा खरीद-बिक्री के उद्देश्य से खरीदा गया सामान इसके अंतर्गत नहीं आता।
  • b) कोई भी रजिस्टर्ड स्वयंसेवी संगठन यानी एनजीओ (NGO), जो उपभोक्ताओं की ओर से काम करता है।
  • c) एक समान रूचि वाले उपभोक्ताओं का समूह।
  • d) उपभोक्ता की मृत्यु की स्थिति में उसका कानूनी वारिस।
  • e) पीड़ित उपभोक्ता के रिश्तेदार।
  • f) उपभोक्ता के नाबालिग (minor) होने की स्थिति में उसके कानूनी अभिभावक (legal guardian)।

उपभोक्ता फोरम में शिकायत किसके खिलाफ हो सकती है? (complaint can be filed against whom)

उपभोक्ता फोरम में एक पीड़ित उपभोक्ता किसकी शिकायत कर सकता है, अब हम आपको इस बारे में जानकारी देंगे। यह लोग इस प्रकार हैं-

  • धोखाधड़ी करने वाला दुकानदार/विक्रेता [fraudulent shopkeeper/seller]।
  • संबंधित सामान/सेवा का डीलर [Related Goods/Services Dealer]।
  • संबंधित सामान का निर्माता (manufacturers)।
  • सर्विस प्रोवाइडर (service provider)।

उपभोक्ता फोरम में शिकायत से पहले लीगल नोटिस भेजें (sent a legal notice before complaint in consumer court)

मित्रों, आपको बता दें कि उपभोक्ता फोरम में मामला ले जाने से पहले विक्रेता को उसकी वस्तु (product) अथवा सेवा (service) से नाराजगी के क्रम में एक लीगल नोटिस भेजना होगा। इसमें इन बिंदुओं को शामिल करें-

  • नोटिस लिखित में हो (notice should be in written)।
  • इस नोटिस में सबसे पहले वस्तु विक्रेता अथवा निर्माता को अपनी समस्या अथवा सेवा से अप्रसन्न होने का कारण बताएं।
  • नोटिस में आपको अपनी शिकायत, रेफरेंस नंबर (reference number), सेल्स रिप्रेजेंटेटिव (sales representative) के नाम, एवं क्लेम (claim) की राशि स्पष्ट रूप से लिखें।
  • नोटिस रजिस्टर्ड डाक (registered post) से भेजें एवं रसीद (receipt) की पावती दर्ज करें।
  • नोटिस में विनम्रता से पेश आएं एवं गलत भाषा का इस्तेमाल न करें।
  • नोटिस में सही पक्ष को संबोधित करें। तथ्यों (facts) पर ही बात करें।
  • नोटिस में अपने क्लेम की राशि स्पष्ट तौर पर बताएं।
  • दूसरे पक्ष को नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का वक्त दें।
  • यदि यहां से समस्या हल नहीं होती तो आप उपभोक्ता फोरम का रूख करें।

उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज करें (how to file complaint in consumer forum)

विक्रेता यदि आपके नोटिस का जवाब नहीं देता तो आपको मामला कंज्यूमर फोरम यानी उपभोक्ता न्यायालय ले जाना होगा। दोस्तों, अब आपके सामने भी यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आप उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज कर सकते हैं।

इसकी एक बेहद आसान से प्रक्रिया है। कोई भी पीड़ित उपभोक्ता स्वयं अथवा अपने वकील के माध्यम से उपभोक्ता फोरम में अपना मामला दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए यह कदम उठाने होंगे-

  • शिकायतकर्ता अथवा पीड़ित उपभोक्ता को अपने साथ हुई धोखाधड़ी अथवा शिकायत का पूरा ब्योरा एक ए4 कागज पर लिखना होगा।
  • पीड़ित को धोखाधड़ी से संबंधित दस्तावेज (documents) भी शिकायत के ब्योरे के साथ लगाने होंगे। मसलन, सामान का बिल (Bill) अथवा रसीद, कैश मेमो (cash mamo), एग्रीमेंट (agreement) आदि।
  • उसे शिकायत की तीन काॅपियां (three copies) बनानी होंगी। एक स्वयं के लिए, एक कार्यालय के लिए एवं एक उस पार्टी के लिए, जिसके खिलाफ शिकायत हो रही है।
  • पीड़ित को शिकायत के लिए निर्धारित फीस (fee) का डिमांड ड्राफ्ट (demand draft) अथवा पोस्टल आर्डर (postal order) संबंधित फोरम डिस्ट्रिक्ट (district), स्टेट (state) के पक्ष में बनवाना होगा।
  • इसके पश्चात अपनी शिकायत एवं उसे सपोर्ट (support) करते दस्तावेजों के साथ उपभोक्ता फोरम के कार्यालय के फाइलिंग काउंटर (filing counter) पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आपको बता दें कि इसका समय औसत रूप से सुबह साढ़े दस बजे से लेकर दोपहर डेढ़ बजे तक होता है।

उपभोक्ता फोरम में ऑनलाइन शिकायत कैसे दर्ज करें? [How to file complaint online in consumer forum?]

मित्रों, आपको बता दें कि यदि आप चाहें तो अपनी शिकायत आनलाइन भी दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए आपको यह steps फाॅलो करने होंगे-

Total Time: 15 minutes

नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पोर्टल पर जाएँ –

आपको सबसे पहले नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (national consumer helpline) की आधिकारिक वेबसाइट consumerhelpline.gov.in पर जाना होगा। यहां होम पेज (home page) पर आपको सबसे नीचे कंज्यूमर कंप्लेंट का आप्शन (option) दिखेगा। आपको इस option पर क्लिक करना होगा।

एक यूजर अकाउंट बनाएं –

जैसे ही आप इस आप्शन पर क्लिक करेंगे, आपके सामने एक नया पेज खुल जाएगा। यहां आपको साइन अप (sign up) के विकल्प पर क्लिक करना होगा।

sign up फॉर्म भरें –

अब आपके सामने एक फाॅर्म खुल जाएगा। आपको इस फाॅर्म में पूछी गई सभी जानकारी सही सही भरनी होगी। इतना करने के पश्चात फाॅर्म को सबमिट (submit) कर दें।

अकाउंट में लॉग इन करें –

अकाउंट बनाने के पश्चात आपको अपने अकाउंट में लॉगइन करना है । आप अपना यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके अपने अकाउंट में लॉगिन कर सकते हैं ।

कंप्लेंट फॉर्म भरें –

अकाउंट में लॉग इन करने के पश्चात आप कंप्लेंट फॉर्म भर सकते हैं । फॉर्म में सभी जानकारी जैसे कब कौन सा प्रोडक्ट कहां से खरीदा है कितने रुपए में खरीदा है और उसकी वारंटी है या नहीं आदि जानकारी भरना है ।

डॉक्यूमेंट अपलोड करें –

शिकायत दर्ज करने में आपको सपोर्टेड डॉक्यूमेंट भी अपलोड करने की आवश्यकता है । डॉक्यूमेंट में आप बिल एवं वारंटी संबंधित डॉक्यूमेंट अपलोड कर सकते हैं । इसके साथ ही यदि आपके पास अन्य कोई डॉक्यूमेंट है तो उन्हें भी प्रूफ के तौर पर अपलोड कर सकते हैं।

फार्म सबमिट करें –

सारी डिटेल्स भरने के पश्चात एवं डॉक्यूमेंट अपलोड करने के पश्चात आपको अपना फार्म सबमिट कर देना है । जैसे ही आप अपना फार्म सबमिट करेंगे आपकी शिकायत दर्ज हो जाएगी । और आपको एक शिकायत नंबर प्रदान किया जाएगा जिसका उपयोग करके आप कभी भी अपनी शिकायत की स्थिति चेक कर सकते हैं ।

National Consumer Helpline – NCH App से शिकायत दर्ज करें [Register complaint with NCH App] –

आप चाहें तो नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर द्वारा जारी किया गया एंड्राइड ऐप को डाउनलोड करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं । मोबाइल ऐप के माध्यम से आप बड़ी आसानी से शिकायत दर्ज कर सकते हैं। साथ ही अपनी शिकायत की स्थिति को चेक कर सकते हैं –

National Consumer Helpline - NCH App से शिकायत दर्ज करें [Register complaint with NCH App]  -
  • ऐप डाउनलोड करने के पश्चात आपको ऐप ओपन करना है । इसके पश्चात आपके सामने साईं नाथ एवं लॉगइन के दो ऑप्शन दिखाई देंगे ।
  • यदि आपके पास पहले से ही एक अकाउंट है तो आप अपने अकाउंट में लॉगइन कर सकते हैं । नहीं तो आप एक नया अकाउंट बना सकते हैं ।
National Consumer Helpline - NCH App से शिकायत दर्ज करें [Register complaint with NCH App] -
  • नया अकाउंट या पुराने अकाउंट में लगन करने के पश्चात आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं ।

उपभोक्ता फोरम शिकायत प्रारूप पीडीएफ –

यदि आपको उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने के लिए सैंपल फॉर्म देखना चाहते हैं या डाउनलोड करना चाहते हैं । तो आप नीचे दिया गया फार्म डाउनलोड कर सकते हैं –

क्लेम की रकम से तय होता है कि मामला किस कोर्ट में जाएगा (claim amount decides which court will hear the complaint)

दोस्तों, आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं और वो ये कि क्लेम की रकम तय करने के पश्चात ही यह तय होता है कि मामला किस उपभोक्ता फोरम में जाएगा। आपको बता दें कि यदि आपकी शिकायत 20 लाख रूपये की धनराशि तक का है तो आपको डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट (district consumer court) में शिकायत करनी होगी।

यदि आपका मामला 20 लाख रूपये से लेकर एक करोड़ रूपये तक का है तो आपको राज्य कंज्यूमर फोरम (state consumer court) के पास शिकायत करनी होगी।

इसी प्रकार यदि आपकी शिकायत एक करोड़ रूपये से अधिक के मामले की है तो आपको इसकी शिकायत नेशनल कंज्यूमर फोरम (national consumer forum) के पास करनी होगी।

क्लेम के अनुसार उपभोक्ता शिकायत शुल्क कितना होगा (what will be the consumer complaint fee on the basis of claim)

दोस्तों, आपको बता दें कि उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करने के लिए एक शुल्क भी चुकाना होता है। क्लेम राशि के अनुसार यह फीस इस प्रकार से होगी-

एक लाख रुपये तक100 रुपये
पांच लाख रुपये तक200 रुपये
10 लाख रुपये तक400 रुपये
20 लाख रुपये तक500 रुपये
50 लाख रुपये तक2000 रुपये
एक करोड़ रुपये तक4000 रुपये

किसी भी सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें (for any assistance call the helpline number)

यदि आपको कंज्यूमर फोरम में शिकायत करने में कोई दिक्कत आ रही है तो आप सरकार की ओर से जारी हेल्पलाइन नंबर (helpline number) 1800-11-4000 पर संपर्क कर सकते हैं। आप चाहें तो 14404 पर काॅल करके भी अपनी बात रख सकते हैं।

राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम के एक नंबर 8130009809 पर एसएमएस (sms) करके भी आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (national consumer helpline) के एप NCH app एवं उमंग एप (umang app) के माध्यम से भी आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

हेल्पलाइन से सहायता किसी भी कार्य दिवस (working day) में सुबह साढ़े नौ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक कभी भी ली जा सकती है।

किसी वस्तु अथवा सेवा के खिलाफ शिकायत कब तक दर्ज की जा सकती है?

साथियों, आपको बता दें कि किसी भी वस्तु अथवा सेवा के खिलाफ शिकायत उसकी खरीद की तिथि से दो साल के भीतर ही दर्ज कराई जा सकती है। यदि खरीद की समयावधि दो वर्ष से अधिक हो चुकी है तो आप संबंधित उत्पाद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए अर्ह नहीं होंगे।

बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती। वे वस्तु खराब होने पर इस समयावधि के पश्चात भी शिकायत दर्ज कराने के लिए आतुर रहते हैं।

खरीद-बिक्री आनलाइन हुई तो शिकायत कहां दर्ज की जाएगी (in case of online sale-purchase where the complaint will be filed)

आपको यह भी बता दें कि जिस जिले, राज्य में विक्रेता अपना व्यवसाय करता है अथवा रहता है अथवा जहां खरीद की गई थी अथवा सेवा प्रदान की गई थी, उस स्थान पर शिकायत की जा सकती है।

आपको बता दें कि यदि बिक्री अथवा खरीद आनलाइन हुई है तो सेलर की वेबसाइट (seller’s website) पर विवादों से निपटने के लिए दी गई सेवा शर्तों (terms of service) में उल्लिखित स्थान पर शिकायत दर्ज की जाती है।

किस अधिनियम में उपभोक्ता के अधिकारों की बात की गई है

कानून ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम यानी consumer protection act-1986 के तहत उपभोक्ताओं को कई अधिकार दिए हैं। जैसे यदि किसी विक्रेता ने कोई त्रुटिपूर्ण उत्पाद (defected product) बेचा है अथवा किसी सर्विस प्रोवाइडर ने अपर्याप्त सेवा प्रदान की है तो उसके खिलाफ इस कानून के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है।

उपभोक्ताओं के अधिकार क्या हैं? [What are the rights of consumers?]

आपको बता दें कि यदि दस्तावेज पूरे हों तो अधिकांशतः कंज्यूमर फोरम ग्राहक के पक्ष में ही अपना फेसला सुनाते हैं। आपको बता दें कि शिकायत उस स्थिति में दर्ज की जाती है, जब विक्रेता अथवा सर्विस प्रोवाइडर लीगल नोटिस दिए जाने के बावजूद समस्या को दूर नहीं करता। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता को यह अधिकार प्रदान किए गए हैं-

1. सुरक्षा का अधिकार (right of safety)- किसी भी खतरनाक उत्पाद अथवा सेवा के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार।

2. चुनने का अधिकार (right of selection)- एक उपभोक्ता के तौर पर आप कंपीटीटिव प्राइस (competitive price) पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं को लेने के अधिकारी हैं।

3. सूचना का अधिकार (right of information)- आपके द्वारा खरीदी जा रही सेवाओं एवं उत्पादों के बारे में सूचना पाने अथवा जानकारी का अधिकार।

4. सुनवाई का अधिकार (right of hearing)- यदि किसी विक्रेता अथवा सर्विस प्रोवाइडर ने किसी उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन किया है तो उस पीड़ित उपभोक्ता को न्यायालय के माध्यम से सुनवाई एवं शिकायत निवारण का अधिकार है।

5. अनुचित व्यापार, व्यवहार के खिलाफ अधिकार (right against mall business practices)- आपको किसी भी अनुचित व्यापार, व्यवहार के खिलाफ अधिकार है। मसलन-यदि कोई व्यापारी सामान का बिल न जारी करे। वापसी की स्थिति में रिफंड (refund) न करे, एक्सचेंज (exchange) न करे तो इन सबके खिलाफ उसे न्याय (justice) पाने का अधिकार है।

उपभोक्ता फोरम में शिकायत से उपभोक्ता को क्या लाभ मिलते हैं?

उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत फोरम के पास ले जाने के कुछ लाभ अवश्य होते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • भुगतान की गई धनराशि की पूर्ण वापसी।
  • सामान अथवा सेवा की कमी को दूर किया जाना।
  • त्रुटिपूर्ण सामान अथवा सेवा का बदला जाना।
  • शिकायत दर्ज करने में लगने वाली लागत की प्रतिपूर्ति।
  • किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए मुआवजा। इसमें मानसिक पीड़ा भी शामिल है।
  • विक्रेता को अनुचित बिजनेस प्रैक्टिस को बंद करने का आदेश दिया जाना।

गंभीर प्रकृति के मामलों में वकील हायर कर लें (hire an advocate in case of serious nature cases)

मित्रों, हमने आपको जानकारी कि आप उपभोक्ता फोरम में स्वयं भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। लेकिन आपको आगाह कर दें कि यदि मामला गंभीर प्रकृति का है अथवा सेवा का मूल्य अधिक है तो लापरवाही न बरतें। ऐसे मामलों में वकील हायर कर लें।

वकील गंभीर मामलों से निपटने में अनुभव रखते हैं, लिहाजा वे आपकी बात को आपसे बेहतर तरीके से फोरम में रख सकते हैं एवं आपको बेहतर मुआवजा दिला सकते हैं। आपको बता दें कि किसी भी उपभोक्ता की शिकायत का निस्तारण होने में छह महीने से लेकर 18 महीने यानी डेढ़ साल तक लग सकता है। कई बार आउट आफ कोर्ट सेटलमेंट (out of court settlement) भी हो जाता है।

किन उपभोक्ताओं को शिकायत के लिए शुल्क भुगतान से छूट है (which consumers get rebate from fee payment)

दोस्तों, आपको बता दें कि जो शिकायतकर्ता गरीबी की रेखा से नीचे (BPL) जी रहे हैं। वे अंत्योदय अन्न योजना की वेरिफाइड कापी (verified copy) प्रोड्यूस करने पर एक लाख रूपये धनराशि तक के मामलों की शिकायत के लिए फीस के पेमेंट से छूट प्राप्त कर सकते हैं।

यदि निचले फोरम के समाधान से संतुष्ट न हों तो ऊपरी फोरम में शिकायत करें

अमूमन उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता के पक्ष में समाधान देते हैं। किंतु यदि कोई उपभोक्ता निचले फोरम के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह ऊपरी फोरम में इस समाधान के खिलाफ शिकायत/अपील कर सकता है। उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया है।

ऐसे बहुत से मामले में जिनमें उपभोक्ताओं को निचले फोरम का निर्णय समाधान नहीं लगा तो उन्होंने फपरी फोरम में अपील की। आपको बता दें कि राज्य स्तरीय आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य पद नियुक्ति के लिए उम्मीदवार को कम से कम 20 साल एवं जिला स्तरीय आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य पद पर कम से कम 15 साल का अनुभव आवश्यक है।

भारत में उपभोक्ता संरक्षण का इतिहास (history of consumer protection in india)

हमने आपको उपभोक्ता शिकायतों के संबंध में उपयोगी जानकारी दी। यह भी बताया कि आप उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत कैसे पहुंचा सकते हैं। अब हम आपको उपभोक्ता संरक्षण के इतिहास के बारे में बताएंगे। दोस्तों, आपको बता दें कि भारत में सन् 1966 में जेआरडी टाटा की अगुवाई में उद्योगपतियों ने उपभोक्ता संरक्षण के अंतर्गत मुंबई में फेयर प्रैक्टिस एसोसिएशन (fair practice association) की स्थापना की।

कुछ प्रमुख शहरों में इस एसोसिएशन की शाखाएं भी स्थापित की गई। ग्राहक एनजीओ के रूप में 1974 में बीएम जोशी ने पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना की। विभिन्न राज्यों में उपभोक्ता कल्याण (consumer welfare) के लिए संस्थाएं गठित की गईं। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर 24 दिसंबर, 1986 में संसद में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक (consumer protection bill) पास हुआ।

तत्कालीन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह एक्ट देश भर में कानून के रूप में लागू हो गया। सन् 1993 एवं 2002 में इस एक्ट में अहम संशोधन किए गए। इस एक्ट में धारा 27 के तहत जेल एवं सजा तथा धारा 25 के तहत कुर्की का प्रावधान किया गया।

उपभोक्ता फोरम में खाली पदों पर भर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की राज्य सरकारों को फटकार

भारत में उपभोक्ता फोरम में खाली पदों पर भर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकार लगाई है। मामला भर्तियों पर स्टेटस रिपोर्ट (status report) दाखिल न किए जाने का है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने राज्य सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि ऐसा न होने पर दो लाख रूपये का जुर्माना लगाा जाएगा।

यदि राज्य अवमानना का नोटिस नहीं चाहते तो वे डेडलाइन (deadline) का पालन करें। 22 अक्तूबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उपभोक्ता फोरम में खाली पड़े पदों को लेकर नाराजगी जताई थी। उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग एवं समितियों में खाली पड़े पदों की लगातार बढ़ती संख्या पर जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने स्वतः संज्ञान (suo moto) लिया था।

कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि राज्य एवं जिला स्तरीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग एवं समितियों में बड़ी संख्या में खाली पदों पर भर्ती न होेने से लोग परेशान हैं। सालों से अर्जियां यूं ही लंबित पड़ी हैं, लेकिन सरकारें निश्चिंत हैं। उसकी टिप्पणी थी-

यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है कि खाली पदों पर भर्ती को लेकर भी कोर्ट को दखल देना पड़े। यदि सरकार ट्रिब्यूनल्स (tribunals) एवं उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों को नियमानुसार चलाना नहीं चाहती तो उन्हें खत्म कर दे। सरकार को ट्रिब्यूनल्स एक्ट ही खत्म कर देना चाहिए।

उपभोक्ता फोरम का गठन कैसे होता है? (how consumer forum is formed)

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 में जिला उपभोक्ता फोरम के गठन का प्रावधान किया गया है। इसके तहत एक अध्यक्ष, एक पुरुष एवं एक महिला सदस्य की तैनाती पांच साल के लिए की जाती है। अध्यक्ष के लिए ज्युडिशियल बैकग्राउंड (judicial background) का होना आवश्यक है।

साथ ही उसके लिए 15 वर्ष अथवा इससे अधिक वकालत का अनुभव आवश्यक किया गया है। सदस्य का 35 वर्ष की अवस्था पूरी होना, मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट एवं सामाजिक, वाणिज्य, विधि आदि क्षेत्र का विशेषज्ञ होना जरूरी है। राज्य आयोग का अध्यक्ष बनने के लिए ज्युडिशियल बैकग्राउंड का होने के साथ ही 20 वर्ष का अनुभव आवश्यक है।

सर्वाधिक शिकायतें बैंकिंग, बिजली एवं टेलीकाॅम से जुड़ीं

दोस्तों, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उपभोक्ता फोरम में बैंकिंग (banking), बिजली (electricity) एवं टेलीकाॅम (telecom) से संबंधित सर्वाधिक शिकायतें पहुंचती हैं, जबकि इसके ठीक विपरीत मिलावटी एवं नकली उत्पादों की शिकायतें बेहद कम हैं।

यह भी आश्चर्य वाली बात है कि लोग जोखिम से बचाव के लिए बीमा कंपनी की शरण में जाते हैं। बीमा कराते हैं, लेकिन इसमें भी सबसे ज्यादा खामियां देखने को आ रही हैं। बीमा कंपनियां (insurance companies) बजाय उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए क्लेम भुगतान (claim payment) के बचने की राह ढूंढ रहे हैं।

इससे जुड़े मामलों की शिकायतों का न केवल जिला उपभोक्ता फोरम, बल्कि राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग तक में अंबार लगा है। एक आंकलन की बात करें तो अकेले 21 प्रतिशत से अधिक शिकायतें केवल बीमा कंपनियों के विरूद्ध हैं। इसके पश्चात बैंकिंग एवं हाउसिंग सेक्टर (housing sector) से जुड़ी शिकायतें हैं।

सामान खराब होने, अधिक पैसे मांगे जाने संबंधी शिकायतें बेहद कम है। लेकिन दोस्तों, बहुत जगह हाल यह है कि उपभोक्ता फोरम में कोरम पूरा न होने की वजह से शिकायतों का अंबार है। मामलों की सुनवाई (hearing) नहीं हो पा रही है। ऐसे में त्वरित न्याय का उपभोक्ताओं का सपना चकनाचूर हो रहा है।

कोरोना काल के दौरान आनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियों के खिलाफ सर्वाधिक शिकायतें (most complaints were against online companies during corona period)

कोरोना महामारी ने जहां लोगों के रोजगार, काम-धंधे छुटा दिए, वहीं आनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियों ने भी खूब धोखाधड़ी की। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कोरोना काल के दौरान आनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियों के खिलाफ सर्वाधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं।

निराशाजनक बात यह है कि जिला स्तरीय उपभोक्ता फोरम में इंटरनेट एवं बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इनमें से बेहद कम शिकायतों का ही निपटारा हो सका है। इन जिला स्तरीय उपभोक्ता आयोगों में सितंबर, 2020 तक दर्ज 53 हजार से अधिक शिकायतों में से निपटारा बामुश्किल 28 हजार शिकायतों का ही हो सका।

उपभोक्ता संरक्षण संशोधन अधिनियम-2019 के प्रावधान सरल, सहज बनाए गए हैं

साथियों, आपको बता दें कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 संसद से पारित होकर 20 जुलाई, 2020 को देश भर में लागू हो गया। इसके प्रावधान बेहद सरल, सहज बनाए गए हैं। इसी के अंतर्गत यह व्यवस्थाएं दी गई हैं-

  • उपभोक्ताओं को घर बैठे शिकायत दर्ज कराने एवं अपनी शिकायतों की सुनवाई में वीडियो कांफ्रेंसिंग (video conferencing) के माध्यम से हिस्सा लेने की सुविधा।
  • जिला एवं राज्य स्तरीय उपभोक्ता आयोग को निर्णय पर पुनर्विचार (reconsider) करने का अधिकार दिया गया है।
  • शिकायतों पर कोई फैसला न करने की स्थिति वह 21 दिन के भीतर स्वतः स्वीकृत मान ली जाएगी।
  • जिला उपभोक्ता आयोग के नाम वाली निचली अदालतों में शिकायतों के निपटारे के लिए मध्यस्थता का प्रावधान।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब लागू हुआ?

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में लागू हुआ।

इस अधिनियम को लाने का उद्देश्य क्या था?

इस अधिनियम को लाने का उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना था।

उपभोक्ता फोरम में किस प्रकार की शिकायत दर्ज की जा सकती है?

उपभोक्ता फोरम में पीड़ित ग्राहक विक्रेता की धोखाधड़ी, सामान, सेवाओं में कमी आदि संबंधी शिकायत दर्ज करा सकता है।

20 लाख तक का मामला किस न्यायालय में सुना जाएगा?

20 लाख रूपये तक की शिकायत का मामला डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में सुना जाएगा।

20 लाख से अधिक की शिकायत किस कोर्ट में की जाएगी?

20 लाख से अधिक की शिकायत स्टेट कंज्यूमर फोरम में करनी होगी।

क्या उपभोक्ता फोरम में वाद दर्ज करने की फीस लगती है?

जी हां, उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करने के लिए एक निर्धारित फीस लगती है। यह मामले की क्लेम धनराशि पर निर्भर करती है।

क्या उपभोक्ता फोरम में आनलाइन शिकायत दर्ज कराई जा सकती है?

जी हां, उपभोक्ता चाहे तो आनलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है।

मित्रों, हमने आपको जानकारी कि आप उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत कैसे दर्ज कर सकते हैं। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। आप इस पोस्ट में दी गई जानकारी का इस्तेमाल अपने साथ हुई विक्रेता की धोखाधड़ी के संबंध में कभी भी कर सकते हैं।

आवश्यकता इस बात की है कि अन्य ग्राहक भी जागरूक बनें। इसके लिए आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। इस पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें हमेशा की तरह इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comment (1)

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत अच्छी जानकारी दी आपने ।हम आशा करते हैं कि आप ऐसी जानकारी उपभोक्ता को देते रहेंगे।

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