बैटरी स्वैपिंग पालिसी क्या है? Battery Swapping Policy In Hindi

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इन दिनों लोग इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) की खरीद को लोग प्रमुखता दे रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण प्रदूषण के बढ़ते खतरे को रोकना है तो वहीं पेट्रोल-डीजल की महंगी दरों से अपनी जेब को बचाना भी है। सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण एवं बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए भारी-भरकम सब्सिडी (subsidy) दे रही हैं।

इन वाहनों में लोगो को बैटरी (battery) को चार्ज (charge) करने से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहरों में चार्जिंग स्टेशन (charging station) के लिए जगह कम पड़ रही है। ऐसी स्थिति में सरकार ने आम बजट-2022-23 में बैटरी स्वैपिंग पाॅलिसी (battery swaping policy) लाए जाने की घोषणा की है। आज इस पोस्ट में हम आपको बैटरी स्वैपिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-

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बैटरी स्वैपिंग क्या होती है? (what is battery swaping)

दोस्तों, इससे पूर्व कि हम आगे बढ़े सबसे पहले जान लेते हैं कि बैटरी स्वैपिंग (battery swaping) का क्या अर्थ है। मित्रों, इसका सीधा सा अर्थ यह है कि यदि किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicles) की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है तो वह बजाय इसे चार्ज करने के अपनी बैटरी को पहले से चार्ज बैटरी से रिप्लेस (replace) कर सकता है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं।

मान लीजिए कि आप अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ी से 30 किलोमीटर दूर किसी स्थान पर जा रहे हैं। 15 किलोमीटर की यात्रा के बाद आप पाते हैं कि आपकी गाड़ी की बैटरी डिस्चार्ज (battery discharge) हो गई है। ऐसे में आप बजाय बैटरी चार्ज होने का इंतजार करने के अपनी बैटरी को एक चार्ज बैटरी से रिप्लेस कर सकते हैं। बैटरी स्वैपिंग का अर्थ है कि इससे बैटरी एक सर्विस का रूप धारण कर लेगी।

यह गाड़ी का अलग पार्ट (part) होगी। इससे गाड़ी की कीमत में भी कमी आएगी। इसके साथ ही आपको किसी चार्जिंग स्टेशन पर नहीं जाना होगा। इस प्रक्रिया को एज ए सर्विस माॅडल (as a service model) भी कहा जाता है।

बैटरी स्वैपिंग पालिसी क्या है? Battery Swapping Policy In Hindi

सरकार ने बजट में बैटरी स्वैपिंग को लेकर क्या घोषणा की है?

दोस्तों, सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए बैटरी स्वैपिंग पालिसी (battery swaping policy) लाने की घोषणा की है। जैसा कि हम आपको चुके हैं, बैटरी स्वैपिंग पाॅलिसी के अंतर्गत वाहन चालकों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बैटरी चेंज करने की पूरी छूट दी जाएगी।

इसके अलावा बैटरी स्वैपिंग से जुड़े अन्य बिंदुओं का खुलासा सरकार जब यह पाॅलिसी लाएगी, तभी हो पाएगा। अलबत्ता एक बात तो स्पष्ट है दोस्तों कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा तो देना चाहती है, लेकिन शहरों में चार्जिंग स्टेशन बनाने में उसके जगह की कमी मुंह बाए खड़ी है।

सरकार स्वैपिंग नीति के माध्यम से देश में बैटरी स्वैपिंग फैसिलिटी (battery swaping facility) को बढ़ाना चाहती है।

बैटरी स्वैपिंग योजना का क्या लाभ है?

दोस्तों, आपको बता दें कि बैटरी स्वैपिंग स्कीम के क्या-क्या लाभ हैं-

  • इस स्कीम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब आप बगैर बैटरी के इलेक्ट्रिक वाहन खरीद सकेंगे। इससे वाहन की कीमत कम हो जाएगी।
  • खरीदार के पास किसी दूसरी कंपनी से बैटरी लीज (lease) पर लेने का विकल्प होगा।
  • बैटरी को केवल पांच से 10 मिनट में चेंज (change) किया जा सकेगा।
  • रास्ते में बैटरी खत्म होने की चिंता से मुक्ति।
  • देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (charging infrastructure) को बढ़ावा मिलेगा।

आपको बता दें दोस्तों कि इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाने की आवश्यकता है, लेकिन शहरों में स्थान की कमी को देखते हुए बैटरी स्वैपिंग पालिसी लाई जा रही है।

बैटरी स्वैपिंग की राह में कौन कौन सी दिक्कतें आ सकती हैं?

दोस्तों, आपको बता दें कि सरकार ने बेशक बैटरी स्वैपिंग पालिसी लाने की घोषणा की है, लेकिन इसकी राह में कई मुश्किलें हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • बगैर सरकार की भागीदारी के इसे बेहतर तरीके से लागू किए जाने में दिक्कत आएगी।
  • सरकार को इसके लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी देनी होगी।
  • कार कंपनियां बैटरी की तकनीक को साझा नहीं करती हैं।
  • सभी कार कंपनियों की बैटरियों के डिजाइन एवं तकनीक समान नहीं होते।
  • बैटरी पैक बनाना बहुत महंगा पड़ता है।
  • लीथियम एवं कोबाल्ट की लिमिटेड सप्लाई भी बहुत बड़ी दिक्कत है।

सरकार इंटरआपरेबिलिटी के मानक तय करेगी –

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से एक फरवरी, 2002 को पेश किए देश के आम बजट में इंटर आपरेबिलिटी के मानक तय करने की बात कही गई है। यदि यह मानक तय हो जाते हैं कि विभिन्न ब्रांड एवं कंपनियों की गाड़ी के लिए एक ही जगह से बैटरी स्वैपिंग करना आसान होगा।

यह भी हो सकता है कि सरकार बैटरी स्वैपिंग पालिसी में गाड़ियों में बैटरी की जगह (place), साइज (size) एवं डिजाइन (design) के लिए कोई एक मानक (standard) तय कर दे।

बैटरी को सर्विस बनाने पर क्यों जोर रहेगा?

दोस्तों, आपको बता दें कि सरकार का जोर निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा बैटरी को एक सर्विस की तरह पेश किए जाने पर रहेगा। इसका अर्थ यह होगा कि कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी को किराए (rent) अथवा सब्सक्रिप्शन (subscription) पर भी दे सकेंगी।

आपको बता दें मित्रों कि सरकार ने पेट्रोल एवं डीजल (petrol and diesel) के इंपोर्ट को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन को लेकर बड़ा लक्ष्य रखा है।

चार्जिंग बैटरी के एक्सचेंज की सिफारिश कब हुई –

आपको बता दें दोस्तों कि करीब तीन साल पहले फिक्की (FICCI) से जुड़े उद्योगपतियों ने बैटरी से चलने वाले व्हीकल्स को प्रोत्साहन के लिए चलाई जा रही फेम-2 योजना में चार्जिंग की बैटरी की अदला-बदली के माॅडल (model) को भी शामिल किए जानेे की सिफारिश की थी।

इसके अंतर्गत बैटरी बदलने के निर्धारित स्टेशनों पर डिस्चार्ज बैटरी रखकर पूरी तरह से चार्ज बैटरी लेने की सुविधा की बात कही गई थी।

आपको बता दें दोस्तों कि फेम-2 योजना के अंतर्गत 10 लाख रजिस्टर्ड दोपहिया वाहनों, पांच लाख ई-रिक्शा एवं 7090 ई-बसों के लिए सब्सिडी दिए जाने की कवायद की जा रही थी। ऐसा ही प्रोत्साहन बैटरी स्वैपिंग सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को भी दिया जा सकता है।

क्लीन इनर्जी इकोसिस्टम के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने पर फोकस

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि सरकार लगातार क्लीन एनर्जी (clean energy) पर काम कर रही है। वह इसका एक बेहतरीन इको सिस्टम डेवलप (eco system develop) करना चाहती है, इसीलिए उसका इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन पर लगातार फोकस (focus) है। वह निजी कंपनियों से भी इस क्षेत्र में आगे आकर काम करने पर जोर दे रही है। इसके लिए वह भारी-भरकम सब्सिडी का भी भुगतान कर रही है।

शहरी इलाकों में स्पेशल मोबिलिटी जोन बनाए जाएंगे

साथियों, आपको बता दें कि सरकार भविष्य में ऐसी कई जगहें निर्धारित कर सकती है, जहां ईंधन से चलने वाले वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी। सरकार खास तौर पर शहरी इलाकों में स्पेशल मोबिलिटी जोन (special mobility zone) बनाएगी, जहां पेट्रोल डीजल के वाहन प्रतिबंधित रहेंगे।

सरकार इसके लिए पालिसी भी लाएगी। दोस्तों आपको बता दें कि सरकार 2030 तक निजी कारों में 30 प्रतिशत, कामर्शियल वाहनों (commercial vehicles) में 70 प्रतिशत एवं दोपहिया (two wheeler) के साथ ही तिपहिया वाहनों (three wheeler vehicles) में 80 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है।

आईओसी ने कामर्शियल वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग सर्विस शुरू की है

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि इंडियन आयल कारपोरेशन (indian oil corporation) यानी आईओसी (IOC) ने रास्ते में कामर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों यानी इलेक्ट्रिक आटो, रिक्शा, इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स आदि की बैटरी खत्म हो जाने पर बैटरी बदले जाने की सुविधा देने की जून, 2020 में शुरूआत की है।

इसके अंतर्गत केवल दो मिनट में पूरी तरह डिस्चार्ज बैटरी को फुल चार्ज बैटरी से बदला जा सकता है। आईओसी ने इस सुविधा को चंडीगढ़ (chandigarh) के अपने एक आउटलेट से पायलट प्रोजेक्ट (pilot project) के रूप में शुरू किया है।

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य नई दिल्ली, गुड़गांव समेत अन्य शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को बैटरी धीमी चार्ज होने की समस्या से मुक्ति दिलाना था। यह सुविधा फैक्ट्री फिटेड अथवा बैटरी फिट कराए गए दोनों ही प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपलब्ध कराई गई।

इसके लिए आईओसी ने सन मोबिलिटी के साथ करार किया, ताकि इसके लिए क्विक इंटरचेंज स्टेशन (quick interchange station) स्थापित किए जा सकें।

हमारे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का कितना कारोबार है?

यह जानकारी आपको उत्साहित कर सकती है। आपको बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में पिछले साल (last year) यानी 2021 में 167 फीसदी की ग्रोथ रिकार्ड (growth record) की गई। 2021 में कुल 329190 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बिक्री (sales) हुई।

जबकि इससे पहले साल यानी 2020 में यह आंकड़ा 122607 रहा। 90 फीसदी बिक्री दोपहिया एवं तिपहिया से जुड़ी है। आपको बता दें दोस्तों कि यदि सरकार चार्जिंग स्टेशन का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करे पर ध्यान दे तो इनकी मांग में आशातीत वृद्धि होने की संभावना है।

कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों की कंपनियों ने शहर में हर तीन किलोमीटर एवं हाईवे पर हर 20 किलोमीटर चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाने के साथ ही यहां चार्जिंग संग बैटरी स्वैपिंग सुविधा देने का भी सुझाव दिया है। बहुत सारे विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि टैक्स छूट (tax rebate) से भी इलेक्ट्रिक वाहनों को और बढ़त मिल सकती है।

आपको बता दें कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर 5 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि बैटरी पर 18 प्रतिशत टैक्स काटा जाता है। दोस्तों, सरकार ने ली-आयन (li-ion) के लोकल प्रोडक्शन (local production) को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना (PLI scheme) भी शुरू की है, लेकिन इसमें पांच वर्ष लगेंगे।

ऐसे में विशेषज्ञ ली-आयन के आयात पर टैक्स छूट की मांग कर रहे हैं, ताकि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से जुड़े स्टार्ट अप (start up) को बड़ा फायदा हो।

ईवी फाइनेंस इंडस्ट्री के 2030 तक साढ़े तीन लाख करोड़ से ऊपर पहुंचने की आस

जिस कदर इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक व्हीकल फाइनेंस इंडस्ट्री (electric vehicles finance industry) का साइज 3.5 लाख करोड़ रूपये से अधिक का होगा।

इसके साथ ही इन व्हीकल्स के इंफ्रा एवं बैटरियों में 19.7 लाख करोड़ रूपये के इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता होगी। दिक्कत यह है कि अभी तक कोई व्यक्तिगत स्तर पर चार्जिंग स्टेशन नहीं खोल सकता। अभी सरकार की ओर से इसे लेकर कोई गाइडलाइन (guidelines) निर्धारित नहीं की गई है।

ज्यादातर पेट्रोलियम कंपनियों ने चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए

मित्रों, देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए पेट्रोलियम कंपनियां भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने अपने अपने पंपों पर चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए हैं। सरकारी कंपनियों की बात करें तो हिंदुस्तान पेट्रोलियम (hindustan petroleum), भारत पेट्रोलियम (bharat petroleum), इंडियन आयल कारपोरेशन (indian oil corporation), पावर ग्रिड (power grid) जैसी कंपनियां तेजी से इस पर काम कर रही हैं।

इसके अतिरिक्त यदि निजी कंपनियों की बात करें तो महिंद्रा एंड महिंद्रा (mahindra & mahindra), हीरो मोटोकॉर्प (Hero motocorp), टाटा पावर (tata power) आदि भी पीछे नहीं हैं। डेल्टा इलेक्ट्रानिक्स, मासटेक, ओकाया पावर ग्रुप, पी2पावर साल्यूशंस जैसी कंपनियां भी इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण के साथ ही चार्जिंग साल्यूशन एवं चार्जिंग नेटवर्क आदि की सुविधा दे रही हैं।

एक रिपोर्ट बताती है दोस्तों, कि आज से चार साल बाद यानी सन् 2026 तक हमारे देश में चार लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होगी। इनसे कुल 20 लाख इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज हो सकेंगे। आपको बता दें कि मार्च, 2021 तक हमारे देश में केवल 1800 चार्जिंग स्टेशन थे, जिनसे करीब साढ़े 16 हजार कारें चार्ज हो पा रही थीं।

बैटरी स्वैपिंग क्या है?

बैटरी स्वैपिंग का अर्थ डिस्चार्ज होने पर बैटरी को चार्ज करने की जगह उसे चार्ज बैटरी से बदलने से है।

सरकार ने बैटरी स्वैपिंग को लेकर बजट में क्या महत्वपूर्ण घोषणा की है?

सरकार ने बजट में बैटरी स्वैपिंग पालिसी लाए जाने की घोषणा की है।

शहरों में चार्जिंग स्टेशन बनाने में कौन सी बड़ी दिक्कत आ रही है?

शहरों में चार्जिंग स्टेशन बनाने में जगह की कमी सबसे बड़ी दिक्कत है।

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बैटरी स्वैपिंग में सबसे बड़ी मुश्किल क्या है?

विभिन्न इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी डिजाइन एवं तकनीक समान न होना सबसे बड़ी मुश्किल है।

क्या बैटरी पैक बनाना सस्ता है?

जी नहीं, बैटरी पैक बनाना महंगा पड़ता है।

सरकार बैटरी को सर्विस की तरह क्यों पेश करना चाहती है?

सरकार के इस कदम से कंपनियां बैटरी को रेंट अथवा सब्सक्रिप्शन पर दे सकेंगी।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट के जरिए बैटरी स्वैपिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी। यदि आप भी अपने पेट्रोल डीजल के वाहन को छोड़ इलेक्ट्रिक वाहन को अपनाना चाहते हैं तो कतई देर मत करिए।

सरकार बैटरी स्वैपिंग फैसिलिटी के जरिए इन वाहन मालिकों की एक बड़ी दिक्कत दूर करने जा रही है। इस पोस्ट को लेकर आपका कोई सवाल है तो बेखटके हमसे नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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