बेसिस पॉइंट्स क्या है? | बेसिस पॉइंट्स के फायदे, इस्तेमाल व कैसे निकाले? | Basis points kya hai

|| बेसिस पॉइंट्स क्या है? | Basis points kya hai | What is basis points in Hindi | Basis points ke bare mein jankari | बेसिस पॉइंट्स का इस्तेमाल | Uses of basis points in Hindi ||

Basis points kya hai :- बेसिस पॉइंट्स वित्त से संबंधित शब्द है। जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ आधार अंक होता है। बेसिस पॉइंट्स शब्द का वित्त से संबंधित बहुत सी जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है। बेसिस पॉइंट्स माप की एक इकाई है। जिसका मतलब 1% का 100वां हिस्सा होता (What is basis points in Hindi) है। जबकि 1 प्रतिशत ही किसी संख्या का 100वां हिस्सा होता है, इसलिए एक आधार अंक किसी संख्या का 10,000वां हो जाता है। इसे अलग अलग तरह के वित्तीय साधनों के प्रतिशत बदलावों को बताने के लिए उपयोग किया जाता है।

आधार अंक या बेसिस पॉइंट्स का वित्तीय जीवन में बहुत महत्व है, क्योंकि किसी तरह का लोन हो या इन्वेस्टमेंट उसमे होने वाले ब्याज के खर्चे या इनकम में होने वाले बदलाव को दर्शाने के लिए आधार अंक के माध्यम से ही बताया जाता (Basis points ke bare mein jankari) है। इसलिए ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिर बेसिस पॉइंट्स क्या है और इसे अन्य माप की इकाई जैसे प्रतिशत में कैसे बदलें। साथ ही इसकी उत्पत्ति और महत्त्व को जानना भी आवश्यक है, इसलिए दोस्तों इस लेख के माध्यम से हम बेसिस पॉइंट्स से जुड़ी सभी जानकारी लेने की कोशिश करेंगे।

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बेसिस पॉइंट्स क्या है? (Basis points kya hai)

बेसिस पॉइंट्स शब्द में बेसिस दो ब्याज की दरों के आधारिक बदलाव या दूसरे शब्दों में ब्याज की दरों के प्रसार से आया है। इसी तरह पॉइंट्स शब्द का इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है, क्योंकि ब्याज की दरों में आने वाला बदलाव बहुत कम होता है, दूसरे शब्दों में प्वाइंट के बराबर होता है। इस प्रकार से ब्याज या अन्य वित्तीय दरों में आने वाले छोटे छोटे बदलाव को बताने के उद्देश्य से ही बेसिस पॉइंट्स (What is meaning of basis point in Hindi) को लाया गया, जो कि प्रतिशत का ही एक अंश है।

बेसिस पॉइंट्स क्या है बेसिस पॉइंट्स के फायदे, इस्तेमाल व कैसे निकाले Basis points kya hai

बेसिस पॉइंट्स मुख्य रूप से वित्त के साधनों से जुड़े ब्याज के रेट में होने वाले बदलाव को मापने के लिए इस्तेमाल होने वाली इकाई है। एक बेसिस पॉइंट्स की वैल्यू 1% का 1/100 होती है। इसका मतलब एक बेसिस पॉइंट्स की वैल्यू 0.01% होती है। एक बेसिस पॉइंट्स को दशमलव में किसी संख्या का 0.0001 हिस्सा कहा जा सकता है। एक बेसिस प्वाइंट 0.01% के बराबर होता है। वहीं 100 बेसिस पॉइंट्स 1% के बराबर होते हैं। उदाहरण के तौर पर जब किसी बॉन्ड का ब्याज 1% बदल जाता है तो उसे 100 बेसिस पॉइंट्स का बदलाव कहा जाता है।

बेसिस पॉइंट्स को संक्षिप्त में बीपी (Bp), बीपीएस (Bps) और बिप्स (Bips) भी कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर जब किसी लोन के ब्याज की दर में .50% की बढ़ोतरी देखी जाए, तो उसे कहा जायेगा कि लोन के ब्याज में 50 बिप्स का इजाफा आया है।

बेसिस पॉइंट्स का इस्तेमाल (Uses of basis points in Hindi)

हमने जाना कि बेसिस पॉइंट्स का इस्तेमाल वित्तीय साधनों में होने वाले मूल्य या ब्याज की दर के बदलाव को बताने के लिए किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि ब्याज की दरों में होने वाले बदलाव इतने छोटे होते हैं कि प्रतिशत का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया जा सकता। वहीं बेसिस पॉइंट्स इकाई में छोटे होने के कारण, ब्याज के छोटे से छोटे बदलाव पर सामने वाले का ध्यान एकत्र कर सकता है।

अगर हमें किसी से ब्याज की दर में 0.5% का बदलाव बताना है, तब हो सकता है सामने वाला इसे छोटा सा बदलाव समझ कर नजर अंदाज कर दे। वहीं अगर हम उसे कहें कि ब्याज की दर में 50 बेसिस पॉइंट्स का बदलाव आया है। इसके चलते सामने वाला आपकी बात को नजरंदाज करने की बजाए इंटरेस्ट के साथ सुनेगा क्योंकि 50 बेसिस पॉइंट्स का बदलाव उसे प्रभावित कर सकता है।

बेसिस पॉइंट्स का इस्तेमाल कई वित्तीय पत्रों को दर्शाने में होता है। इसे निवेश पर मिलने वाली उपज का अंतर, लोन के ब्याज में अंतर, इंटरेस्ट रेट में होने वाले बदलाव और साथ ही लंबी अवधि के परियोजनाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है। ब्याज जैसी मूल वित्तीय साधनों को वार्षिक रेट पर बताया जाता है, इसीलिए बेसिस पॉइंट्स भी वार्षिक तौर पर ही बताया जाता है। हम बेसिस पॉइंट्स के अलग अलग स्थिति में इस्तेमाल के बारे में आगे बात करेंगे।

बेसिस पॉइंट्स और ब्याज के रेट (Basis points and interest rates in Hindi)

बैंक के द्वारा लोन पर ब्याज की दर को बेसिस पॉइंट्स के माध्यम से दर्शाया जाता है। इसी तरह बांड्स पर मिलने वाले ब्याज को भी बेसिस पॉइंट्स के माध्यम से ही बताया जाता है। ये वित्तीय साधन के ब्याज की दरों (Basis point in interest rate in Hindi) को मुख्य रूप से जाने माने ब्याज के बेंचमार्क के संदर्भ में बताया जाता है। साथ ही रिजर्व बैंक के द्वारा निर्धारित किए जाने वाले रेपो रेट में बदलावों के लिए भी बेसिस पॉइंट्स का इस्तेमाल होता है। उदाहरण के तौर पर दिसंबर में रिजर्व बैंक के द्वारा रेपो रेट को 35 बेसिस पॉइंट्स बढ़ाकर 6.25% कर दिया है।

किसी बैंक के द्वारा ऋण के ब्याज की दर को मुंबई इंटरबैंक प्रस्तावित दर (MIBOR) के संदर्भ में बताया जा सकता है। अगर किसी घर के लोन पर ब्याज की दर मुंबई इंटरबैंक प्रस्तावित दर से .75% अधिक तय किया जाए, तो इसे MIBOR + 75 Bps के रूप में बताया जा सकता है। इसी प्रकार अगर किसी बॉन्ड का इंटरेस्ट रेट लंदन इंटरबैंक प्रस्तावित दर के तुलना में .50% कम हो तो उसे दर्शाने के लिए LIBOR – 50 Bps कहा जा सकता है।

म्यूचुअल फंड्स में बेसिस पॉइंट्स (Basis points in mutual funds)

किसी म्यूचुअल से मिलने वाली पैदावार को बेसिस पॉइंट्स के माध्यम से बताया जा सकता है। इसी के साथ अलग म्यूचुअल फंड्स पर मिलने वाली पैदावार की तुलना के लिए भी इसे यूज किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर म्यूचुअल फंड ए अगर पिछले वर्ष 12% वार्षिक पैदावार देता है और अबकी साल 14% की पैदावार देता है तो कहा जा सकता है कि इस वर्ष म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन में 200 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी हुई है।

इसी के साथ म्यूचुअल फंड के प्रबंधक के द्वारा लिए जाने वाले कमिशन को भी बेसिस पॉइंट्स के सहारे बताया जा सकता है। जैसे कि एक म्यूचुअल फंड के प्रबंधक के द्वारा उसमें होने वाली निवेश की 125 बेसिस पॉइंट्स कमीशन ली जाए और निवेश 1 लाख हो तो 1250 रुपए का कमिशन बनता है। इसी तरह म्यूचुअल फंड के अन्य खर्चों जैसे कि वार्षिक फीस को बताने के लिए और अलग अलग वर्ष में होने वाले खर्चों की तुलना के लिए भी बेसिस पॉइंट्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

शेयर बाजार और बेसिस पॉइंट्स (Basis points in stock market in Hindi)

शेयर बाजार में खरीदे और बेचे जाने वाले बहुत से वित्तीय साधनों को दर्शाने के लिए भी बेसिस पॉइंट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसी के साथ शेयर बाजार के प्रदर्शन को बताने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि शेयर बाजार में निर्धारित रिटर्न या पैदावार देने वाले वित्तीय साधनों के मूल्य में बहुत कम बदलाव आता है। बेसिस पॉइंट्स का छोटे बदलावों को दर्शाने में सक्षम होना ही इसका शेयर बाजार (What is basis point in stock market in Hindi) में महत्त्व बढ़ाता है।

उदाहरण के तौर पर कॉरपोरेट बॉन्ड, ट्रेजरी बॉन्ड, ब्याज दर की अदला बदली, ऑप्शंस और फ्यूचर्स, ब्याज वाली प्रतिभूतियां, ब्याज संबंधित डेरिवेट्स, इंटरेस्ट रेट हेज़ इत्यादि को दर्शाने और इनके मूल्य में होने वाले बदलाव को दर्शाने के लिए भी बेसिस पॉइंट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी प्रतिभूतियों पर ब्याज की दरों से होने वाले प्रभावों को बेसिस पॉइंट्स के माध्यम से भली भांति समझाया जा सकता है।

बेसिस पॉइंट्स कैसे निकालें? (How to calculate basis points in Hindi)

जैसा कि हमने जाना वित्तीय क्षेत्र में बहुत से साधनों के मूल्य में होने वाले बदलाव या उनके ब्याज की दर में होने वाले बदलाव को बेसिस पॉइंट्स में मापा जाता है। कई बार हमें बेसिस पॉइंट्स में जानकारी मिलती है, तो कई बार प्रतिशत में जानकारी मिलती है। जिसके चलते उलझन की स्थिति बन जाती है कि बेसिस पॉइंट्स को प्रतिशत में कैसे बदलें या प्रतिशत को बेसिस पॉइंट्स में कैसे बदलें। बेसिस पॉइंट्स और प्रतिशत के बीच का बदलाव दर 100 Bps= 1% होता है।

बेसिस पॉइंट्स को प्रतिशत में बदलने के लिए दिए गए बेसिस पॉइंट्स को 100 से भाग कर दिया जाता है। इसका मतलब 1 Bps/100 = 1% होता है। उदाहरण स्वरूप अगर पूछा जाए (50 basis points to percentage) कैसे करें, तो आसानी से 50 को 100 से भाग कर देने से प्रतिशत की वैल्यू आ जायेगी। 50/100 = .5%, इस प्रकार 50 बेसिस पॉइंट्स का मतलब होता है, 0.5% या आधा प्रतिशत।

इसी तरह से प्रतिशत का मूल्य दिया जाए और उसे बेसिस पॉइंट्स में बदलना हो तो उसे 100 से गुणा कर देने से बेसिस पॉइंट्स आ जाता है। इसका मतलब 1%×100 = 1 Bps होता है। उदाहरण के तौर पर अगर पूछा जाए (How many basis points is 5 percent in Hindi) तो इसे आसानी से 5 को 100 से गुणा कर के बताया जा सकता है। 5×100 = 500 बेसिस पॉइंट्स, इस प्रकार 5 प्रतिशत में 500 बेसिस पॉइंट्स होते हैं।

आधार अंकों का मूल्य मान (Price value of basis points in Hindi)

यह बेसिस पॉइंट्स को अग्रिम स्तर पर इस्तेमाल किया जाने वाले एक तरीका है। जैसा कि हमने जाना बांड्स के ब्याज की दरों में होने वाले बदलाव को बेसिस पॉइंट्स के माध्यम से जाना जाता है। उसी तरह से ब्याज की दरों में होने वाले बदलाव की वजह से बॉन्ड की कीमत पर पड़ने वाले प्रभाव को आधार अंक का मूल्य मान कहा जाता है। बाजार में ब्याज की दरें कम हो जाने से पहले से मौजूद बांड्स आकर्षक हो जाते हैं और उनकी कीमत बढ़ जाती है।

किसी बॉन्ड की कीमत 10,000 रुपए है और ब्याज की दरें 10% चल रही है। अगर ब्याज की दर 10% से बढ़कर 9% हो जाने से बॉन्ड की कीमत 11250 हो जाए, तो ब्याज में 100 बेसिस पॉइंट्स के बदलाव से बॉन्ड की कीमत में 1250 रुपए का बदलाव आया। इसे आधार अंक का मूल्य मान निकालने के लिए 1250 को 100 से भाग कर देंगे। जिससे आधार अंक की मूल्य मान 12.55 रुपए प्रति 1 बेसिस पॉइंट्स हो जायेगी। सरल भाषा में 100 बेसिस पॉइंट्स से 1250 का बदलाव आएगा तो 1 बेसिस पॉइंट्स बदलने से 12.55 बेसिस पॉइंट्स का बदलाव आएगा।

क्या बेसिस पॉइंट्स नकारात्मक हो सकते हैं? (Can basis points be negative)

जैसा कि हमने अभी तक जाना, बेसिस पॉइंट्स बस वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी किसी संख्या में आने वाले बदलाव को दर्शाने के लिए ही इस्तेमाल होता है। इसलिए इसका सकारात्मक या नकारात्मक कोई सवरूप खुद का नहीं होता। बेसिस पॉइंट्स तो जिस वित्तीय साधन को दर्शाने के लिए यूज होते हैं, वह वित्तीय साधन ही इनका आधार होता है। अगर वित्तीय साधन में आना वाला बदलाव नकारात्मक होगा तो बेसिस पॉइंट्स अवश्य ही नकारात्मक हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर मंदी के चलते किसी बॉन्ड के ब्याज की दर में 1.25% की गिरावट आए तो बेसिस पॉइंट्स माइनस 125 हो जाएंगे।

बेसिस पॉइंट्स के फायदे (Importance of basis points in Hindi)

आमतौर की भाषा में जब बातें की जाती है, तब प्रतिशत शब्द के इस्तेमाल करने से भर्म कर देने वाले स्थिति बन सकती है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बॉन्ड का ब्याज का रेट 12% चल रहा है और कोई आपसे कहे कि बॉन्ड का ब्याज का रेट 10% बढ़ गया है, तो आप उलझन में पड़ सकते हो कि अब ब्याज का रेट 12%+1.2% = 13.2% हो गया है या 12%+10% = 22% हो गया है। ऐसी स्थिति में आपको सामने वाले को अपनी बात दोहराने के लिए बोलना पड़ सकता है।

परंतु वहीं बेसिस पॉइंट्स के इस्तेमाल से इस परेशानी का उपाय निकाला जा सकता है। ऊपर वाले उदाहरण में ही सामने वाला आपको सीधा सीधा कह सकता है कि 1.2%×100 = 120, ब्याज का रेट 120 बेसिस पॉइंट्स से बढ़ गया है। इस तरह उसने अपनी बात एक बार में रख दी और आपको पता चल गया कि ब्याज की रेट में 1.2% का बदलाव आया है। इस प्रकार बेसिस पॉइंट्स (Why are basis points important in Hindi) का इस्तेमाल करने से वार्तालाप में स्पष्टता आती है और उलझन की स्थिति खत्म होती है।

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इसी तरह से मुख्य रूप से बेसिस पॉइंट्स वित्तीय विकल्पों के बीच में तुलना करने में फायदेमंद साबित होता है। सभी विकल्प उसमे लगने वाली इन्वेस्टमेंट का प्रतिशत बताते हैं, जिसकी निवेशक को रिटर्न या पैदावार होती है। बेसिस पॉइंट्स विकल्पों के प्रतिशत का प्रतिशत होते हैं। जिनसे आसानी से पता चल जाता है कि एक विकल्प का चयन करने से कितने बेसिस पॉइंट्स का बदलाव आ सकता है। उदाहरण के तौर पर 7% के रिटर्न वाले विल्कप से 1 बेसिस पॉइंट्स का बदलाव पूरे निवेश की रिटर्न पर पर 0.07% का बदलाव ला सकता है।

Basis points kya hai – Related FAQs

प्रश्न: बेसिस पॉइंट्स क्या होते हैं?

उत्तर: बेसिस पॉइंट्स 1% का 100वां भाग होते हैं।

प्रश्न: बेसिस पॉइंट्स कैसे निकालें?

उत्तर: प्रतिशत से बेसिस पॉइंट्स निकालने के लिए प्रतिशत को 100 से गुणा कर देते हैं।

प्रश्न: जब प्रतिशत है, तो बेसिस पॉइंट्स क्यों यूज होता है?

उत्तर: बेसिस पॉइंट्स के सहारे तुलना करना आसान हो जाता है।

प्रश्न: क्या बेसिस पॉइंट्स नेगेटिव भी हो सकते हैं?

उत्तर: हां अगर ब्याज में गिरावट आए तो बेसिस पॉइंट्स नेगेटिव होंगे।

शेफाली बंसल
शेफाली बंसल
इनको लिखने में काफी रूचि है। इन्होने महिलाओं की सोशल मीडिया ऐप व वेबसाइट आधारित कंपनी शिरोस में कार्य किया। अभी वह स्वतंत्र रूप में लेखन कार्य कर रहीं हैं। इनके लेख कई दैनिक अख़बार और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
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