बच्चे क्यों रोते है? | बच्चों के रोने का कारण | Baccho ke rone ka karan

|| बच्चों के रोने का कारण | Baccho ke rone ka karan | Bacho ke rone ki wajah | Bache kyu rote hain | Why babies cry in Hindi | Bacho ke rone ka karan | बच्चे रात में दूध पिलाने के बाद भी क्यों रोते हैं? ||

Baccho ke rone ka karan :- बच्चों को लेकर एक समस्या जो माता पिता को सबसे ज्यादा परेशान करती है वह होती है उनका बेवजह का रोना। अब रोता हुआ बच्चा किसे अच्छा लगता है लेकिन बच्चों की आदत ही होती है रोना। किंतु आप बच्चों के रोने को यूँ ही या हल्के में ना ले क्योंकि वे बेवजह ही नहीं रो रहे होते हैं, बल्कि उनके रोने के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य ही जुड़ा हुआ होता (Bache kyu rote hain) है।

अब हम तो बड़े हैं या जो बच्चा बोलने लग जाता है, वह तो अपनी किसी भी समस्या को कह कर बता सकता है लेकिन बच्चे जो बोल नहीं पाते हैं, वे किसी भी तरह की समस्या के होने पर या उन्हें जब कोई चीज़ चाहिए होती है तो वे उसके लिए रो ही सकते हैं। ऐसे में माता पिता होने के नाते आपका भी यह कर्तव्य बनता है कि आप अपने बच्चे के रोने की असली वजह को जाने और यह देखे कि क्यों आपका बच्चा इतना रो रहा (Bacho ke rone ki wajah) है।

अब आप कहेंगे कि जो बच्चा कह कर कुछ नहीं बता सकता तो बिना बोले आप उसकी परेशानी को कैसे ही समझ सकते हैं या उसके रोने का कारण कैसे पता लगा सकते हैं। इसलिए तो हम आपके लिए यह लेख लिख रहे हैं जिसे पढ़ कर आपको यह जानने को मिलेगा कि आखिरकार बच्चों के रोने के क्या कुछ कारण हो सकते (Bacho ke rone ka karan) हैं।

बच्चों के रोने का कारण (Baccho ke rone ka karan)

अब बच्चे को भूख लग रही हो तो भी वह रोता है या फिर जब उसका पेट आवश्यकता से अधिक भर गया हो तो भी वह रोता ही है। कुल मिला कर कहा जाए तो उसे किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक समस्या होती है तो वह रोने लगता है और इसके कई कारण हो सकते (Bache ke rone ka kara) हैं। मायने यह रखता है कि आप उन कारणों का किस तरह से पता लगाते हैं ताकि आपका बच्चा जल्दी से चुप हो जाए।

Baccho ke rone ka karan

इसी बात को ध्यान में रख कर ही आज हम आपके साथ बच्चों के रोने के कुछ प्रमुख कारणों के बारे में चर्चा करने वाले हैं ताकि आप उसी के अनुसार ही अपने बच्चे के रोने का कारण का पता लगा सके। इसके लिए आपको यह लेख बहुत ही ध्यान के साथ पढ़ना होगा क्योंकि अब हम आपके साथ एक एक करके कुल ऐसे 10 कारणों के बारे में चर्चा करने वाले हैं जो बच्चों के रोने के प्रमुख कारणों में शामिल होता (Bache kyu rote hai) है।

पेट में गैस बनना

बच्चे के रोने का सबसे बड़ा कारण होता है गैस बनना जिसे कोलिक भी कहा जाता है। बच्चे के पेट में गैस बनने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं जैसे कि फॉर्मूला दूध पीना, दूध का सही से नहीं पचना और सब चीजों को मुंह में डालना इत्यादि। इन सबसे बच्चों को पेट में गैस बनने की समस्या से सामना करना पड़ता (Navjaat shishu kyu rote hain) है।

बहुत बार दूध पीते समय बच्चे के अन्दर अनावश्यक हवा भी शरीर में प्रवेश करती है जिससे गैस बन जाती है। कई बार आप बच्चे को डकार नहीं दिलाते या फिर बच्चे को डकार नहीं आती जिससे भी बच्चे को गैस बनती है। इन सब से बच्चों के पेट में दर्द होने लगता है और जब तक उन्हें इस दर्द से राहत नहीं मिल जाती वह रोते रहते हैं और साथ ही वह दूध पी पाने में भी सक्षम नहीं होते हैं। वह स्तनपान नहीं करते (Why babies cry in Hindi) हैं।

ऐसे में आप बच्चे को उल्टा लेटा कर उसके पैर साइकिल जैसे चला सकते हो जिससे उनकी गैस की समस्या दूर हो सकेगी। या फिर उल्टा लेटा कर कुछ देर आप उनके पीठ पर मालिश कर सकते हो। अगर फिर भी आराम न हो तो आप उसके पेट पर हींग का लेप बना कर लगा सकते हो।

बच्चे को भूख लगना

बच्चों के रोने की एक और वजह यह है कि जब उन्हें भूख लगती है तब भी वह रोने लगते हैं। बच्चे अपनी सभी तकलीफ, भूख, प्यास सब रोकर ही बता सकते हैं। क्योंकि उनको बोलना या बताना नहीं आता है। ऐसे में जब उन्हें भूख लगती है तब वह रोकर ही अपनी भूख जाहिर करते (Bache kyu rote hain) हैं। 

आप अगर दूध पिला कर अभी अभी हटे हैं फिर भी बहुत बार बच्चे थोड़ी देर में रोने लगते हैं ऐसे में हो सकता है कि उनको दोबारा भूख लगी हो। क्योंकि बच्चों का पेट छोटा सा होता है और वह जल्दी खाली भी हो जाता है। ऐसे में बच्चे के रोने का कारण भूख लगना भी हो सकती है। 

बच्चे के लिए दिन रात बराबर होते हैं ऐसे में उनको रात को भी दो से तीन बार भूख लगती है। क्योंकि उसने अनाज खाना शुरू नहीं किया और दूध से बारी बारी भूख लगती है। ऐसे में आप उसको दूध पिला सकते हैं जैसे ही बच्चे का पेट भरेगा वह चुप हो जायेगा।

बच्चे में अकेलेपन का डर

बहुत बार ऐसा देखने को मिलता है कि बच्चे अकेले होते हैं तो रोने लगते हैं। क्योंकि बच्चे को अकेले डर लगता है और ऐसे में वह किसी को अपने पास भुलाने के लिए रोना शुरू कर देता है। ताकि कोई उसके पास आकर उसे उठा ले। बच्चे को पता होता है कि अगर वह रोएगा तो कोई उसे उठा लेगा।

ऐसे में अपने बच्चे को अकेले न छोड़े। अगर आपका बच्चा सो रहा है और आपको कोई काम करने इधर उधर जाना है। तो अपने बच्चे के आस पास तकिए लगा दीजिए और साथ ही अपना कोई दुपट्टा उसके ऊपर उड़ा दीजिए। इससे उसको आपके पास होने का अनुभव होता रहेगा और वह सोता रहेगा तो रोएगा नहीं।

पिछले जन्म की यादे आना

आपने अक्सर ही सुना होगा की अगर कोई बच्चा रो रहा है तो हमारे घर के बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि इसे पिछले जन्म की कोई बुरी याद आ रही है। और अगर हंसता है तो कुछ अच्छा याद आता है तब हंसता है। आपने भी कभी बच्चे को सोते समय हंसते हुए और नींदों में रोते हुए देखा होगा।

ऐसे में हो सकता है कि आपके बच्चे को भी कोई पिछले जन्म की याद आ रही हो और वह इसीलिए ही रो रहा हो। ऐसे में आप थोड़ा सा इंतजार कीजिए क्या पता आपका बच्चा चुप हो जाए और अगर वह चुप नहीं हो रहा है तो उसके सपने को तोड़ कर उसे नींद से उठा लीजिए। यकीन मानिए उसका रोना बंद हो जायेगा या फिर आप उसे स्तनपान भी करवा सकती है ऐसे में वो चुप भी हो जाएगा और उसकी नींद भी खराब नहीं होगी।

अँधेरा होना

अंधेरे में बच्चे को कुछ नहीं दिखता वैसे तो अंधेरे में किसी को नहीं दिखता। पर बच्चे छोटे होते हैं ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता कि क्या हो गया है और उन्हे बेचैनी होनी शुरू हो जाती है। इसीलिए वह रोना शुरू कर देते हैं।

ऐसे में जब भी आप बच्चे को सुलाओ तो उस कमरे में माध्यम रोशनी अवश्य कीजिए। तेज़ रोशनी में तो बच्चे को नींद अच्छे से नहीं आयेगी। इसीलिए कमरे में मध्यम रोशनी कीजिए। ताकि जब भी बच्चे की नींद खुले तो वह डर कर रोना शुरू ना करे।

नींद आना

अगर बच्चा थक गया है और उसको आराम करना है तो भी वह रोने लगता है। जब शिशु को नींद आती है और वह सोना चाहते हैं तो वह रो कर यह बताते हैं कि मुझे सुला दो। बहुत बार शिशु खुद से भी सो जाता है। पर ज्यादातर शिशु खुद से सोने में असमर्थ होता है और नींद की वजह से परेशान होने लगता है इसीलिए रोने लगता है।

ऐसे में आप अपने बच्चे को सुलाने का प्रयास कीजिए। इसके लिए आप उसे लोरी सुना सकते हो, झूला सकते हो या स्तनपान करवा कर सुला सकते हो। इससे बच्चा सो जायेगा और उसकी परेशानी खत्म हो जायेगी तो वह रोएगा भी नहीं।

ज्यादा सर्दी या गर्मी लगना

अगर सर्दी का मौसम है तो हो सकता है की बच्चे को ज्यादा सर्दी लग रही हो इसीलिए वह रो रहा हो। या फिर गर्मी का मौसम है तो उसे गर्मी लग रही हो इसीलिए वह रो रहा हो। ऐसे में आप उसे सर्दी लग रही है या गर्मी यह चेक कीजिए और उसकी वह परेशानी दूर कीजिए।

कई बार हम सर्दी में बच्चे को सर्दी से बचाने के लिए उस पर ज्यादा कपड़े ढक देते हैं जिससे भी उसको गर्मी लग सकती है और वह परेशान होकर रोना शुरू कर सकता है। बच्चे के शरीर में खुद में बहुत गर्मी होती है ऐसे में उसके शरीर के हाथ लगा कर देखें की उसका शरीर गर्म तो नहीं है या ज्यादा ठंडा तो नहीं है। अगर ज्यादा गर्म या ठंडा है तो उसे नॉर्मल करने के लिए प्रयास कीजिए। जैसे ही उसका शरीर नॉर्मल टेंपरेचर में आएगा वह रोना बंद कर देगा।

उसकी लंगोट का गीला होना

जब बच्चा सुसु कर देता है और वह गिला हो जाता है। तो वह नींद से उठ कर भी रोना शुरू कर देता है। ऐसे में सर्दियों में उसको सर्दी लगती है और अगर सर्दी ना भी हो तो भी उसे इरिटेशन होती है और वह रोने लगता है। बच्चे सुसु की वजह से नींद से काफी बार उठते हैं।

ऐसे में चेक करते रहे कि कहीं आपके बच्चे ने भी सुसु या पॉटी कुछ ना कर रखा हो। अगर ऐसा है तो उसकी लंगोट बदल दीजिए और साथ ही उसे बिल्कुल सुखी जगह दीजिए। तभी उसे अच्छे से नींद आ पाएगी। हो सकता है कि आपको रात को भी 2 से 3 बार उसकी लंगोट बदलनी पड़े। क्योंकि बच्चे लिक्विड ही पीते हैं जो कि दूध होता है। ऐसे में ज्यादा सुसु आना लाजमी है। इसीलिए अपने बच्चे को चेक करते रहे और उसके रोने और उठने से पहले ही उसकी नैपी चेंज कर दें।

शरीर पर रैशेज होना

बहुत बार आपको जब बाहर जाना पड़ता होगा तो आप अपने बच्चे को डायपर पहनाते होंगे या फिर रेगुलर में डायपर का इस्तेमाल करते होंगे। तो ऐसे में बच्चे के शरीर पर डायपर के रैशेज हो जाते हैं। जिससे उन्हें दर्द होता है और वह रोना शुरू कर देते हैं।

ऐसे में आप पहले देख लीजिए की कहीं आपके बच्चे को भी रैशेज की समस्या हो और वह इसीलिए ही रो रहा हो। इसके लिए आप रैशेज वाली क्रीम लगा सकते हो। या फिर घरेलू उपाय करने है तो तेल से जहां रैशेज है वहां मालिश कर सकते हो और कुछ देर बच्चे को खुला छोड़ सकते हो। सबसे बड़ी बात जब भी बच्चे को डायपर पहनाओ तो बच्चे को नीचे से अच्छे से साफ करके तेल लगा कर फिर पहनाओ। इससे बच्चे में रैशेज की समस्या कम होगी।

तबियत ठीक नहीं होना

अपने बच्चे की एक्टिविटी पर ध्यान दीजिए। क्या वह पहले जैसे ही खेल रहा है। या फिर उसे कोई तकलीफ तो नहीं है। क्योंकि कई बार जब बच्चे की तबीयत सही नही होती है तो उनका हाव भाव बदल जाता है। जब उनकी तबीयत खराब होती है तो वह चिड़चिड़े हो कर रोने लगते हैं।

ऐसे में अपने बच्चे को देखिए की कहीं उसे बुखार, जुखाम या पेट संबंधी कोई समस्या तो नही है। तुरंत आप उसे डॉक्टर के पास ले जाए और उसका इलाज करवाएं।

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बच्चों के रोने का कारण – Related FAQs

प्रश्न: बच्चा बहुत ज्यादा क्यों रो रहा है?

उतर: बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा है तो हो सकता है कि उसकी तबियत सही न हो।

प्रश्न: मेरा दो महीने का बच्चा हर समय क्यों रो रहा है?

उतर: हो सकता है कि आपके बच्चे को बारी बारी भूख लग रही हो।

प्रश्न: बच्चे रात में दूध पिलाने के बाद भी क्यों रोते हैं?

उतर: बच्चे अगर रात को दूध पिलाने के बाद भी रो रहे हैं तो हो सकता है की उसकी लंगोट गीली हो।

प्रश्न: शिशुओं में लगातार रोने का क्या कारण है?

उतर: शिशुओं में लगातार रोने का कारण कोलिक या गैस की समस्या हो सकती है।

तो इस तरह से आपने इस लेख के माध्यम से बच्चे के रोने के कारण और उसको ठीक करने के बारे में सब कुछ जानकारी ले ली है। जब भी आपका बच्चा रोए तो ध्यान दीजिए की ऊपर दिए गए किस कारण से आपका बच्चा रो रहा है और उसका समाधान कीजिए।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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