ई-रुपी पेमेंट सिस्टम क्या है? अर्थ, खासियत, कार्य प्रणाली, लाभ

आजकल डिजिटल लेन-देन का जमाना है। लोग ज्यादातर पेमेंट ऑनलाइन करना पसंद करते हैं। कोरोना काल में इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली है। विदेशों में डिजिटल करेंसी काम कर रही है और भारत में भी इस पर काम चल रहा है। इसी बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई-रुपी नाम के डिजिटल पेमेंट सिस्टम को लांच किया है। यह सिस्टम क्या है? यह कैसे काम करता है? इसकी खासियत क्या है? जैसे कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आज हम आपको इस पोस्ट में जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-

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ई-रुपी क्या है?

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने दो अगस्त, 2021 को इलेक्ट्रॉनिक वाउचर पर आधारित एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम को लांच किया है। इसे ई-रुपी यानी e-RUPI का नाम दिया गया है। आपको बता दें कि इस इस पेमेंट सिस्टम को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एनपीसीआई (NPCI), वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) ने तैयार किया है। यह मूलतः एक गिफ्ट वाउचर की तरह कार्य करेगा। इसे वहीं व्यक्ति प्रयोग कर सकेगा, जिसके नाम पर यह जारी होगा।

ई-रुपी पेमेंट सिस्टम क्या है? अर्थ, खासियत, कार्य प्रणाली, लाभ

ई-रुपी की खासियत/ विशेषताएं क्या हैं?

दोस्तों, आइए अब आपको ई-रुपी की खासियतों से रूबरू कराते हैं। इसकी कुछ खूबियां इस प्रकार से हैं-

  • भारत का यह अपनी डिजिटल करेंसी के तौर पर पहला कदम है।
  • जैसा कि हमने बताया, यह एक डिजिटल यानी एक कैशलेस पेमेंट सिस्टम है।
  • लाभार्थियों को यह एक एसएमएस या क्यूआर कोड के रूप में प्राप्त होगा।
  • ई-रुपी एक तरह से गिफ्ट वाउचर जैसा होगा, जिसे बिना किसी क्रेडिट/ डेबिट कार्ड, मोबाइल एप या इंटरनेट बैंकिंग विशेष केंद्रों पर रिडीम कराया जा सकता है।
  • यह बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के सर्विसेज उपलब्ध कराने वाले को लाभार्थियों से कनेक्ट करेगा।
  • यह जिसके नाम होगा, केवल वही इसे इस्तेमाल कर सकेगा।

ई रुपी पेमेंट सिस्टम कैसे काम करेगा?

दोस्तों, अब आपको बताते हैं कि इस सिस्टम की कार्य प्रणाली क्या रहेगी। आपको बता दें कि ई-रुपी को यूपीआई (UPI) प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है। एक वो बैंक होंगे, जो e-RUPI वाउचर जारी करेंगे। एक वो जो इन्हें स्वीकार करेंगे। किसी भी सरकारी एजेंसी या कारपोरेट को वाउचर के इस्तेमाल के लिए सहयोगी सरकारी या निजी बैंक से संपर्क करना होगा। लाभार्थियों का आईडेंटिफिकेशन उनके मोबाइल फोन नंबर के माध्यम से होगा।

सेवा प्रदाता यानी service providers को बैंक एक वाउचर आवंटित करेगा। यह किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर होगा और सिर्फ उसी व्यक्ति को डिलीवर होगा। वही व्यक्ति निर्धारित कार्य के लिए इसका इस्तेमाल कर पाएगा। इस तरह से त्वरित और सुरक्षित लेन देन संभव होगा।

ई-रुपी वाउचर कौन कौन बैंक जारी करते हैं?

साथियों, अब आपको ई-रुपी वाउचर जारी करने वाले बैंकों का ब्योरा देते हैं। आपको बता दें कि कुछ बैंक ऐसे भी हैं, जो दोनों काम करेंगे। वर्तमान में ऐसे 11 बैंक हैं जो e-RUPI को सपोर्ट करेंगे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, HDFC बैंक, PNB एक्सिस बैंक और बैक ऑफ बड़ौदा जैसे बड़े बैंक इस वाउचर को जारी भी करेंगे और स्वीकार भी करेंगे। केनरा बैंक, इंड्सइंड बैंक, इंडियन बैंक, कोटक महिंद्रा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया वाउचर जारी करते हैं, स्वीकार नहीं करते।

ई-रुपी के मुख्य लाभ क्या हैं?

मित्रों, इस ई- रूपी पेमेंट सिस्टम के कोई एक या दो नहीं, बल्कि कई लाभ हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • ई-रुपी पेमेंट सिस्टम पैसा भेजने वाले और पैसा वसूल करने वाले के बीच ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड’ है। इसका अर्थ यह है कि यह सुरक्षित है। दो पार्टियों के बीच किसी तीसरे का कोई दख़ल नहीं है।
  • ई-रुपी के माध्यम से लेन देन में लाभार्थियों का ब्योरा पूरी तरह से गोपनीय रहता है। लिहाजा, इसे आसान और सुरक्षित माना जा रहा है।
  • इस सिस्टम को तेज और भरोसेमंद माना जा रहा है, क्योंकि इस गिफ्ट वाउचर में आवश्यक राशि पहले से ही मौजूद होती है।
  • इस गिफ्ट वाउचर का इस्तेमाल सरकार या अन्य पक्ष मुद्रा सहायता के लिए भी किया जा सकता है।

डिजिटल करेंसी से कैसे भिन्न है ई रुपी

मित्रों, अभी हमने आपको बताया कि ई रुपी भारत का डिजिटल करेंसी की ओर पहला कदम है, लेकिन यह कई मायने में डिजिटल करेंसी से भिन्न है। आपको बता दें कि देश का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक आफ इंडिया यानी आरबीआई (RBI) डिजिटल करेंसी की योजना पर काम कर रहा है। और e-RUPI की लांचिंग से देश में डिजिटल पेमेंट्स इंफ्रा में डिटिजल करेंसी के नजरिए से क्या स्थिति है, इसका आकलन किया जा सकेगा।

ई-रूपी की विशेषताएं ही इसे वर्चुअल करेंसी से भिन्न बनाती है। आपको बता दें कि पहले से मौजूद डिजिटल पेमेंट के तरीकों से यह इस मायने में अलग है कि ये वाउचर की शक्ल में मिलेंगे। आसान भाषा में कहें तो ये प्रीपेड गिफ्ट कार्ड है। इन्हें रिसीव करने वाला व्यक्ति इन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है। इसके लिए इंटरनेट और बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं है।

एक उदाहरण से समझिए ई-रुपी पेमेंट सिस्टम

हम आपको उदाहरण के जरिए यह सिस्टम समझाते हैं। मिसाल के तौर पर मान लीजिए कि सरकार गरीबों को वैक्सीन लगवाने के लिए पैसे देना चाहती है। इसका एक तरीका तो ये है कि वो सबके अकाउंट में नगदी ट्रांसफर कर दे। इसमें दिक्कत ये है कि बहुत से लोगों का बैंक अकाउंट ही नहीं होता। दूसरे यह भी पता नहीं रहेगा कि जो पैसा भेजा गया, उससे वैक्सीन ही ली गई। ऐसे में e-RUPI काम आएगा।

यह एक SMS अथवा क्यूआर कोड के रूप में भेजा जा सकता है। यह इस्तेमाल और रिसीव करने वाले के हिसाब से यूनिक होंगे। यानी कि जिसे यह भेजा गया है, वही व्यक्ति तय कार्य के लिए ही इसका इस्तेमाल कर सकेगा। वैक्सीन के लिए भेजा गया e-RUPI वाउचर जिसके मोबाइल नंबर पर आया है, वही वैक्सीन के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही, इस वाउचर के इस्तेमाल के बाद इश्यू करने वाली संस्था को भी नोटिफिकेशन जाएगा कि वाउचर का इस्तेमाल हो चुका है।

पेमेंट सिस्टम पारदर्शी और लीकेज फ्री डिलीवरी देगा

ई-रूपी पेमेंट सिस्टम देश में डिजिटल लेन देन और डीबीटी को बढ़ावा देगा, ऐसा माना जा रहा है। इसके माध्यम से लोगों को पारदर्शी और लीकेज-फ्री डिलीवरी में सहायता मिलेगी। इसके जरिए कल्याणकारी योजनाओं को लीकेज फ्री तरीके से डिलीवर किया जा सकेगा। यानी इन योजनाओं का दुरूपयोग नहीं हो सकेगा। कोई कर्मचारी भुगतान के बदले रिश्र्वत नहीं मांग सकेगा। योजनाओं का क्रियान्वयन पारदर्शी तरीके से संभव होगा।

आपको बता दें कि ई-रुपी का इस्तेमाल मातृ-शिशु कल्याण योजनाओं, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत दवाओं और खाद सब्सिडी आदि योजनाओं के अंतर्गत सेवा प्रदान करने के लिए किया जा सकेगा। इसके अलावा निजी क्षेत्र की संस्थाएं भी अपने कर्मचारी कल्याण और सोशल रिस्पांसिबिलिटी प्रोग्राम के तहत इन डिजिटल वाउचर्स का इस्तेमाल कर सकेंगी।

खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पेमेंट सिस्टम को लांच करते हुए कहा कि न सिर्फ सरकार, यदि कोई एनजीओ किसी को उसकी शिक्षा या इलाज में सहायता करना चाहती है तो वे नगद भुगतान की जगह की जगह ई-रूपी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे दान दी गई राशि का निर्धारित उद्देश्य के लिए इस्तेमाल संभव होगा।

ई-रुपी से वित्तीय लेन-देन सरल और जिंदगी आसान होगी

ई-रुपी के जरिए सरकार का फोकस ईज आफ लाइफ (ease of life) पर भी है। वह बगैर किसी परेशानी के लाभार्थियों को भुगतान सुनिश्चित करना चाहती है। इसीलिए इसे विशेष मुद्रा सहायता का भी जरिया बनाया गया है। यह निजी कंपनियों के लिए भी आसान होगा।

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि कंपनी ने आपकी सेलरी के अलावा किसी महीने में 300 रुपये प्रति कर्मचारी एक्स्ट्रा पेमेंट के तौर पर देने का फ़ैसला किया है। ऐसे में ई-रुपी वाउचर मददगार होगा। इसे कंपनी आपके मोबाइल फ़ोन पर मैसेज या QR कोड के रूप में भेज सकती है। इसके साथ ही वाउचर का इस्तेमाल हुआ या नहीं, ये ट्रैक करना भी संभव है।

भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ाने पर जोर

दोस्तों, सरकार का लक्ष्य देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने पर है। कोरोना काल में डिजिटल ट्रांजेक्शन में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को भी मिली है। एक गैर सरकारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो पिछले साल यानी 2020 में भारत के कुल ट्रांजैक्शन यानी का 89 फ़ीसदी कैश में हुआ। इसके ठीक विपरीत विश्व की आर्थिक महाशक्ति चीन का 44 फ़ीसदी ट्रांजैक्शन कैश में था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का नारा दिया है। लेकिन उनके इसे लेकर किए गए प्रयासों को और अधिक गति देने की आवश्यकता है। ऐसे में विशेषज्ञ ई-रुपी को लेकर उठाए गए उनके कदम को बेहद लाभदायक और सकारात्मक मानकर चल रहे हैं। उनका मानना है कि जैसे-जैसे कम कीमत वाले स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ेगा, उसके साथ ही साथ देश में डिजिटल वॉलेट के इस्तेमाल में भी इजाफा देखने को मिलेगा।

दोस्तों आपको बता दें कि वर्तमान में देश के प्रसिद्ध डिजिटल वॉलेट में पेटीएम, फोनपे, अमेज़न पे, एयरटेल मनी और गूगल पे जैसे डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल बेहद आम गया है। ई-रुपी की सफलता के प्रति सरकार और वित्तीय विशेषज्ञ दोनों ही बेहद आश्वस्त हैं।

कई देशों में पहले से है यह पेमेंट सिस्टम

ई-रुपी जैसा पेमेंट सिस्टम पहले से कई देशों में होगा। अमेरिका में एजुकेशन वाउचर्स या स्कूल वाउचर्स का एक सिस्टम है। इसके माध्यम से सरकार स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए पे करती है। यह सब्सिडी सीधे माता-पिता को उनके बच्चों को शिक्षित कराने के मकसद से दी जाती है‌। अमेरिका के इतर कोलंबिया, चिली, स्वीडन, हांगकांग जैसे कई देशों में स्कूल वाउचर सिस्टम लागू है।

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ई-रुपी से जुड़े सवाल –

ई-रुपी क्या है?

ई-रुपी एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है। यह एक गिफ्ट वाउचर की तरह काम करता है।

ई-रुपी की शुरुआत कब और किसने की?

ई-रुपी की लांचिंग देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अगस्त, 2021 को की।

क्या ई-रुपी डिजिटल करेंसी है?

जी नहीं, ई-रुपी डिजिटल करेंसी नहीं है।

क्या इस पेमेंट सिस्टम को लागू करने वाला भारत पहला देश है?

जी नहीं, बाहर के कई मुल्कों में डिजिटल वाउचर पेमेंट सिस्टम पहले से लागू है।

क्या सभी बैंक ई-रुपी वाउचर जारी और स्वीकार करते हैं?

जी नहीं, अभी सभी बैंक इसे जारी और स्वीकार नहीं करते।

दोस्तों, यह थी ई-रुपी के बारे में सारी जानकारी। उम्मीद है कि आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। यदि आप ऐसे ही किसी अन्य रोचक और ज्ञानवर्धक विषय पर हम से जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें हमेशा की तरह इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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